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निजी कंटेनर कंपनियां तोड़ेंगी कनकॉर का एकाधिकार

Last Updated- December 05, 2022 | 9:42 PM IST

अभी रेल मंत्रालय की ओर से निजी कंपनियों को कंटेनर परिवहन परिचालन की अनुमति दिए हुए सिर्फ एक ही वर्ष बीता है कि निजी कंपनियों ने इस क्षेत्र में भी सरकारी कंपनी कंटेनर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (कनकॉर) के क्षेत्राधिकार में दखल देना शुरू दिया और सड़क परिवहन कारोबारियों से भी कारोबार छीन लिया है।


विश्लेषकों को उम्मीद है कि इस बाजार में कनकॉर का हिस्सा 95 प्रतिशत है जो वित्त वर्ष 2008-09 में गिर कर 75 प्रतिशत रह जाएगा। इसके पीछे अतिरिक्त क्षमता का दिया जाना और निजी कंटेनर रेल ऑपरेटरों की ओर से क्षमता में विस्तार के निवेश को माना जा रहा है।निजी कंटेनर रेलों की संख्या वित्त वर्ष के अंत तक वर्तमान में 45 से बढ़कर लगभग तीन गुणा 120 हो जाएगी। निजी कंपनियों को उम्मीद है कि वे क्षमता में विस्तार के लिए लगभग 1,200 करोड़ रुपये निवेश करेंगी।


इस अवधि के दौरान, कनकॉर अपनी रेलों की संख्या लगभग 600 करोड़ रुपये निवेश कर 148 से 13 प्रतिशत बढ़ाकर 168 कर लेगी।निजी कंटेनर विस्तार के चलते परिवहन में रेलवे क्षेत्र के हिस्से के साथ-साथ रोडवेज के हिस्से में भी बदलाव की उम्मीद है। कनकॉर और अन्य निजी कपंनियों के साथ रेलवे का माल ढुलाई में लगभग 35 फीसदी या 79 करोड़, 40 लाख टन का योगदान है। जो आगे 40 प्रतिशत हो जाएगा।निजी कंपनियां आयात और निर्यात के लिए कनकॉर से कार्गो के लिए और रोडवेज के साथ घरेलू कार्गो गतिविधियों में मुकाबले के मैदान हैं।


इनलैंड कंटेरन डीपो (आईसीडी) गढ़ी हरसरू गेटवे रेल, 6 कंपनियों द्वारा बनाया गया भारत-सिंगापुर का संयुक्त उद्यम, के प्रमुख प्रबंधक राजगुरु बहगल का कहना है, ‘हमारे आयात-निर्यात या दोनों परिचालनों में हम कनकॉर के बराबर ही चार्ज करते हैं। अपने घरेलू परिचालनों में, जहां मुख्य तौर पर हमारा मुकाबला रोडवेज से है, हम अपने ग्राहकों को प्रतियोगी दरें मुहैया करवाते हैं।’दूसरों का कहना है कि रोडवेज के साथ प्रतिस्पर्धा काफी सीमित है, इनलॉजिस्टिक्स सॉल्यूशंस लिमिटेड (कंटेनर कार्गो ऑपरेटर, बगाडिया ब्रदर्स प्राइवेट लिमिटेड और बोथरा शिपिंग की कंपनी ) के कार्यकारी निदेशक, संकल्प शुक्ला का कहना है, ‘हमें उम्मीद है कि रेल माल ढुलाई ट्रैफिक में मिश्रित वार्षि वृध्दि दर में 10 से 15 प्रतिशत की वृध्दि होगी, जिसमें मुख्य योगदान सकल घरेलू उत्पाद विकास और आयात-निर्यात परिचालानों का रहेगा।


इससे खुद-ब-खुद रेल क्षेत्र के सभी कंटेनर ऑपरेटरों को फायदा पहुंचेगा।’ निजी कंपनियां बहु-आयामी रणनीति के साथ बाजार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ा रही हैं। इसमें औद्योगिक और निर्यात केन्द्रों जैसे कि फरीदाबाद, मुकबई और पश्चिम बंगाल के पास आईसीडी  (कंटरोंनरों को लादना और उतारने के लिए) स्थापित करना और गाजियाबाद, चेन्नई और नवी मुंबई में गोदामों को बनाना (जो कि सड़क ट्रांसपोटरों के पास कुछ ही हैं) शामिल है। यहां तक कि वे अब सड़क ट्रांसपोटरों के साथ गठजोड़ कर दरवाजे-दरवाजे सेवाएं मुहैया करवा रहे हैं, जो सेवा अभी तक रेलवे की ओर से पहले कभी नहीं दी गई।


निजी कंटेनर ऑपरेटर अपने परिचालनों में वृध्दि भी कर रहे हैं।ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने के लिए, निजी कंपनियां गोदामों से भी गठजोड़ कर रही हैं। बॉक्सट्रैन लॉजिस्टिक्स, जेएम बैक्सी ऐंड कम्पनी और यूनाइटेड लाइनर एजेंसी ऑफ इंडिया की सहायक कंपनी ने सेंट्रल वेयरहाउस कॉर्पोरेशन (सीडब्ल्यूसी) के साथ गठजोड़ किया है। कंपनी हरियाणा के सोनीपत में लॉजिस्टिक्स पार्क भी बनाने वाली है। बॉक्सट्रैन, भारत में रेल सेवाएं देने वाली पहली पांच कंपनियों में शामिल है, का इरादा अगले तीन वर्षों में अलग-अलग स्थानों पर 12 आईसीडी स्थापित करने की है।


कंपनी का दिल्ली और मुंद्रा बंदरगाह और दिल्ली और विजाग के बीच एक निश्चित परिचालन है। कंपनी की राउरकेला और पंजाबी की मंडी गोबिंद गढ़ के बीच वाहनों, स्पॉन्ज लौह, कृषि और इस्पात उत्पाद के लिए चार्टर्ड सेवाएं भी हैं। बॉक्सट्रैन के वरिष्ठ अधिकारी का कहना है, ‘अपने ग्राहकों को दरवाजे-दरवाजे सेवाएं देने के लिए हमनें 100 ट्रेलर अलग-अलग कंपनियों से किराए पर लिए हैं और हमारी तीन हजार सुजुकी मोटर्स की कारें भी इस काम में लगी हुई हैं।’


इनलॉजिस्टिक्स लिमिटेड, जो इस्पात, निर्माण सामग्री, खाद्यान्न और ऑटोमोबाइल पाट्र्स अन्य के साथ, राउरकेला और पंजाब, राजस्थान और पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और हैदराबाद के बीच ढोती है, भारत के उत्तर, केन्द्र और पूर्व में आईसीडी स्थापित करने वाली है। शुक्ला का कहना है, ‘हम अपने ग्राहकों को दक्ष सेवाएं मुहैया करवाते हैं। उदाहरण के लिए राजस्थान में, हम संगमरमर उत्पादन इकाई से अपने ट्रेलरों की मदद से उठाते हैं और रेल टर्मिनल तक ले जाते हैं और उन्हें उनके अंतिम पड़ाव तक पहुंच देते हैं। यह सभी सेवाएं आकर्षित पैकेज में उपलब्ध कराई जाती हैं।


‘बॉक्सट्रैन के कार्यकारी का कहना है कि हम मारुति सुजुकी की कारें गुड़गांव से उठाते हैं और अपने लोनी वाले आईसीडी में भेज देते हैं और उन्हें उनके अंतिम पड़ाव जैसे कि विजाग या बेंगलुरु तक परिवहन करवा देते हैं। अभी इसे बेंगलुरु पहुंचने में 4 दिन लगते हैं, अगर इसे सड़क से भेजा जाए तो उसमें 5 दिन लगते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि निजी कंपनियों की कनकॉर से अधिक विशेषताओं के चलते वे जल्दी निर्णय ले पाते हैं और ग्राहकों को उनकी जरूरतों के मुताबिक समाधान दे पाते हैं।


अपने लिए तैयार इस नई चुनौती पर कनकॉर की क्या प्रतिक्रिया है? कनकॉर के प्रबंध निदेशक राकेश मेहरोत्रा का कहना है, ‘खुद को बाजार में बनाए रखने के लिए हमने इस वित्त वर्ष में 700 करोड़ रुपये निवेश करने की योजना बनाई है। अपने ग्राहकों को खुद से जोड़े रहने के लिए हमने कीमतों के लिए पॉलिसी पर चल रहे है। हमें वित्त वर्ष 2008-09 में अपने आयात-निर्यात परिचालनों से 15 प्रतिशत से अधिक और घरेलू कारोबार को 20 प्रतिशत से अधिक बढ़ने की उम्मीद है।’उद्योग जगत के विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में कनकॉर को भारी चुनौतियों का सामना करना पडेग़ा। एक विश्लेषक के मुताबिक, ‘अगर वे ठोस छूट देते हैं, तब इसका दबाव उनके परिचालन मुनाफे पर पड़ता है।


और अगर वे छूट नहीं देते, तब उनकी बाजार में हिस्सेदारी कम हो जाएगी।’फ्यूचर लॉजिस्टिक्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंशुमन सिंह का कहना है कि वर्तमान में हम सड़क परिवहन प्रणाली का इस्तेमाल सामान को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाने के लिए कर रहे हैें। लेकिन भारी और अधिक मात्रा में माल की ढुलाई की लागत रेल में कम आती है, इसलिए सड़क परिवहन से रेल परिवहन में आएंगे। ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक विनीत अग्रवाल का कहना है, ‘निजी ऑपरेटरों के पास दरवाजे  तक सेवाएं पहुंचाने के लिए सेवाएं बुनियादी सुविधाएं मौजूद नहीं हैं, इसलिए उन्हें रोडवेज क्षेत्र की मदद लेनी होगी। इससे हमारा कारोबार भी बढेग़ा।’

First Published - April 16, 2008 | 1:05 AM IST

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