दवा क्षेत्र की दिग्गज कंपनी रैनबैक्सी लैबोरेट्रीज लिमिटेड को एक बार फिर सोने के अंडे देने वाली मुर्गी हाथ लग गई है।
कंपनी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर की नामी कंपनी मर्क ऐंड कंपनी के साथ हाथ मिलाया है। दोनों कंपनियां मिलकर दवाओं की खोज करेंगी और उनका विकास भी करेंगी। इनमें से प्रत्येक दवा खोज के बदले रैनबैक्सी 400 करोड़ रुपये तक कमा सकती है।
कई दवाओं पर नजर
कंपनियों की निगाह इस समझौते के जरिये एंटी बैक्टीरियल और एंटी फंगल दवाओं का विकास करने पर है। रैनबैक्सी दवा की खोज करेगी और शुरुआती तौर पर उसका क्लिनिकल विकास करेगी। दवा का अंतिम तौर पर विकास और उसे व्यावसायिक स्तर पर उतारने का जिम्मा मर्क का होगा।
इस समझौते के तहत दोनों महारथी इसी साल काम करना शुरू कर देंगी। फिलहाल दोनों के बीच यह करार 5 साल के लिए हुआ है, जिसे आगे जाकर और भी बढ़ाया जा सकता है।
रैनबैक्सी को मोटी रकम
रैनबैक्सी के लिए यह समझौता सोने के अंडे देने वाली मुर्गी साबित हो सकता है। कंपनी अनुसंधान, विकास और किसी भी दवा के लिए नियामक मंजूरी हासिल करने के साथ ही अच्छी खासी रकम हासिल कर सकती है।
माना जा रहा है कि मर्क से उसे प्रत्येक दवा के बदले 400 करोड़ रुपये तक की राशि आराम से मिल सकती है। इतना ही नहीं, इस समझौते के तहत विकसित की गई किसी भी दवा की दुनिया भर में बिक्री होने से कंपनी को रॉयल्टी के रूप में भी अच्छा खासा फायदा होगा।
हमारी ताकत को पहचान
रैनबैक्सी के मुख्य कार्यकारी सीईओ एवं प्रबंध निदेशक एमडी मालविंदर सिंह ने इस समझौते के बारे में कहा, ‘हमारे हिसाब से बड़ी दवा कंपनियों के साथ साझेदारी करने की हमारी नीति अब रफ्तार पकड़ रही है क्योंकि तमाम कंपनियों को हमारी अनुसंधान और विकास की क्षमता तथा संसाधनों की ताकत का अहसास हो रहा है।
मर्क के साथ इस गठबंधन से रैनबैक्सी को अपनी क्षमताओं में और विस्तार करने का मौका मिलेगा, साथ ही दवाओं की खोज और विकास में भी इजाफा होगा।’
मर्क को मुनाफा
मर्क के वर्ल्डवाइड लाइसेंसिंग ऐंड एक्सटर्नल रिसर्च विभाग के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉक्टर मर्विन टर्नर ने कहा, ‘दुनिया भर में कहीं भी बाहरी साझेदारों के साथ हाथ मिलाना हमारी बहुत पुरानी नीति रही है। इसके जरिये हम अपने संसाधनों में बढ़ोतरी ही करते हैं। एक दूसरे की ताकत को मिलाकर मर्क और रैनबैक्सी दवा के विकास में होने वाले नुकसान को कम कर देंगी और उन्हें इसका अच्छा फायदा भी होगा।’
रैनबैक्सी को रफ्तार
रैनबैक्सी की बात करें, तो किसी विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनी के साथ उसका यह दूसरा गठजोड़ है। अनुसंधान के ही लिए इससे पहले वह ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन के साथ भी हाथ मिला चुकी है। इसके जरिये कंपनियां संक्रमण रोधी, उपापचयी रोगों, श्वास संबंधी रोगों और कैंसर की दवाएं ढूंढेंगी। दोनों कंपनियों ने मिलकर श्वसन तंत्र में सूजन की दवा तैयार की थी, जिसके बाद उनका करार आगे बढ़ गया है।
मर्क के भी निकोलस पीरामल और एडविनस थेराप्युटिक्स जैसी कंपनियों के साथ अनुसंधान गठबंधन हैं। दोनों कंपनियों के साथ वह कैंसर और उपापचय से संबंधित रोगों के लिए दवाएं खोजेगी। मर्क इसके अलावा विस्तार के कई और रास्ते भी तलाश कर रही है।
…दर्द में भी मुनाफा है
रैनबैक्सी को मर्क के साथ इस करार से तगड़ा मुनाफा होने की उम्मीद है
कंपनी के सीईओ मालविंदर सिंह इसे मानते हैं अपनी ताकत का सबूत
हरेक दवा के विकास से कंपनी को तगड़ी रकम मिलेगी और रॉयल्टी भी यानी सोने पर सुहागा