इंजीनियरिंग क्षेत्र की भारत की सबसे बड़ी कंपनी लार्सन ऐंड टुब्रो (एलऐंडटी) को 31 मार्च 2008 को समाप्त हुए वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में पश्चिम एशियाई देशों और भारत से मिले ऑर्डरों की वजह से रिकॉर्ड मुनाफा हासिल हुआ है।
इन सभी देशों में कारखानों, सड़कों, बंदरगाहों और रिफाइनरियों में जमकर निवेश किया गया, जिसके कारण एलऐंडटी का मुनाफा 2006-07 की चौथी तिमाही के मुकाबले 39 फीसद बढ़ गया।
पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में कंपनी की शुद्ध आय 966 करोड़ रुपये तक पहुंच गई, जबकि एक साल पहले यह आंकड़ा महज 700 करोड़ रुपये था। पश्चिम एशिया में कंपनी वैसे भी अपनी बिक्री को बढ़ाकर राजस्व के 25 फीसद तक पहुंचाना चाहती है। उसे सऊदी अरब और ओमान में रिफाइनरियों और बिजली संयंत्र लगाए जाने का भी खासा फायदा हो रहा है।
कंपनी के चेयरमैन ए एम नाइक ने यहां कहा कि भारत सरकार अगले 4 साल में सड़क, बंदरगाह और पुलों पर लगभग 200,000 करोड़ रुपये खर्च करने जा रही है। एलऐंडटी की निगाह इन परियोजनाओं पर है और इनसे उसे अच्छा खासा कारोबार होने की भी उम्मीद है।
ऑर्डर में इजाफा
नाइक ने कहा कि कंपनी को पिछले वित्त वर्ष में 53,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले थे। इस वित्तीय वर्ष में पिछले वर्ष की तुलना में 35 फीसद अधिक ऑर्डर मिलने की संभावना है। उन्होंने कहा कि पश्चिम एशिया में वृद्धि भारत में मंदी के प्रतिकूल होगी।
उन्होंने बताया कि मार्च 2010 तक के लिए ऑर्डर बुक कर चुकी यह कंपनी विद्युत, जहाज निर्माण और रेलवे क्षेत्रों में तीन इकाइयां शुरू करेगी। मुंबई की ब्रोकरेज फर्म प्रभुदास लीलाधर की विश्लेषक नेहा श्रीवास्तव ने कंपनी की आमदनी की घोषणा से पहले बताया, ‘लार्सन को एक बहुत बड़ा ऑर्डर मिला है और यह भारत और पश्चिम एशिया पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है।’
कंपनी ने कहा है कि चौथी तिमाही के लाभ में इकाइयों में हिस्सेदारी की बिक्री से प्राप्त 87.23 करोड़ रुपये की राशि भी शामिल है। डेनमार्क के इंजीनियरों हेनिंग होल्क-लार्सन और सोरेन क्रिस्टियन टुब्रो ने 1983 में इस कंपनी की स्थापना की थी। चौथी तिमाही में कंपनी का खर्च 35 फीसद की बढ़त के साथ 74.17 अरब रुपये रहा।
महंगे इस्पात से बेअसर
हालांकि देश में इस्पात की कीमत लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा मजदूरी का खर्च भी पहले से काफी ज्यादा है।?लेकिन नाइक को मुनाफा बरकरार रहने की उम्मीद है।