अनिल धीरूभाई अंबाई समूह की प्रमुख कंपनी रिलायंस पावर की मध्य प्रदेश के सीधी जिले के चितरंगी में 4000 मेगावाट वाली कोयला बिजली परियोजना लगाने की योजना है।
मध्य प्रदेश सरकार की बिजली वितरण कंपनी, मध्य प्रदेश बिजली ट्रांसमिशन कंपनी (एमपीपीटीसीएल) से हरी झंडी मिलने के बाद, जिसने कहा कि वह इस बिजली संयंत्र में बनने वाली बिजली का 1241 मेगावाट खरीदने को तैयार है, कंपनी ने अपनी इस योजना को साकार रूप देने का फैसला लिया।
सूत्रों का कहना है कि रिलायंस पावर ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा बोली प्रक्रिया के तहत 2.45 रुपये प्रति यूनिट पर बिजली मुहैया करवाने की पेशकश की है। अभी तक यह पता नहीं चला है कि इस बोली में कितनी कंपनियों ने हिस्सा लिया था।
बोली की शर्तों के अनुसार, रिलायंस पावर को आशय पत्र मिलने के चार वर्षों के भीतर इस संयंत्र से बिजली की आपूर्ति करनी होगी। उम्मीद है कि यह आशय पत्र कंपनी को तीन से चार महीने के भीतर मिल जाएगा।
रिलायंस पावर अब इस परियोजना को तेजी से पूरा करने की योजना बना रही है। कंपनी सप्लाई की अवधि से पहले ही इस संयंत्र को शुरू करना चाहती है। सूत्रों का कहना है कि पहले मध्य प्रदेश सरकार से आपसी समझ के चलते, यह परियोजना 2014 में शुरू होनी थी। सूत्रों का कहना है कि रिलायंस पावर की महाराष्ट्र और हरियाणा सरकार के साथ भी इसी तरह की बिजली खरीद के समझौतों के चलते बातचीत चल रही है।
रिलायंस पावर का इरादा, अपनी 13 बिजली परियोजनाओं जिनकी कुल क्षमता 28,200 मेगावाट है जिसमें 4000 मेगावाट वाली सासन और कृष्णापटिनम की अल्ट्रामेगा बिजली परियोजनाआएं भी शामिल है के साथ, देश का सबसे बड़ा निजी क्षेत्र का बिजली उत्पादक कंपनी बनने का है।
कंपनी ने हाल ही में तीन कोयला परिसंपत्तियां जो कि 40 हजार हेक्टेयर में फैली हुई हैं का भी अधिग्रहण किया है, जिसमें इंडोनेशिया के दक्षिणी सुमात्रा के मुसी रावस क्षेत्र में 2 अरब टन कोयला भंडार भी शामिल है। समूह एक और 4000 मेगावाट का बिजली संयंत्र लगाने की भी योजना बना रही है।
सूत्रों का कहना है कि रिलायंस पावर के चेयरमैन अनिल अंबानी ने रिलायंस पावर को मिली सासन परियोजना के एकदम बाद मध्य प्रदेश सरकार के साथ बिजली परियोजना को लगाने के लिए सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।
गौरतलब है कि यह परियोजना रिलायंस पावर की सहायक कंपनी मध्य प्रदेश पावर जेनरेशन प्राइवेट लिमिटेड के जरिये लगाई जाएगी। इस कंपनी का ग ठन 7 सितबंर, 2007 में किया गया था। इस परियोजना में लगभग 16 से 18 हजार करोड़ रुपये निवेश की जरूरत पड़ेगी और इस बिजली संयंत्र को चलाने के लिए सालाना 15 करोड़ टन कोयले की जरूरत होगी। सूत्रों का कहना है कि इस परियोजना के लिए 2000 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जा चुका है।