रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी समूह (एडीएजी) की बीपीओ इकाई ‘रिलायंस बीपीओ’ जल्द ही अमेरिका में कंपनियों को अपनी सेवाएं मुहैया कराएगी।
कंपनी अब तक मुंबई, चेन्नई और बेंगलुरु में अपने तीन वितरण केंद्रों से रिलायंस एडीए समूह के ग्राहकों को सेवाएं मुहैया कराती है। कंपनी के अध्यक्ष एवं मुख्य परिचालन अधिकारी रजनीश विरमानी ने कहा, ‘हम अब तक अनिल धीरूभाई समूह की सभी समूह कंपनियों को सेवा मुहैया कराते रहे हैं चाहे यह दूरसंचार, सामान्य बीमा, जीवन बीमा, म्युचुअल फंड, रिलायंस कैपिटल, मनोरंजन हो या ऊर्जा। लेकिन हमारी योजना बाहर की कंपनियों के सेवा प्रदाताओं को सेवा मुहैया कराने की है।
अमेरिकी बाजार के लिए कंपनी दूरसंचार, बीएफएसआई जैसे कई क्षेत्रों में सेवाएं मुहैया कराना चाहती है।’ कंपनी बाजार का अध्ययन करने के लिए अमेरिका में व्यापार विकास टीम पहले ही तैयार कर चुकी है और अगले एक साल के दौरान कुछ अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों के इससे जुड़ने की संभावना है। रिलायंस बीपीओ भारत में रिलायंस एडीएजी कंपनियों के अलावा अन्य कंपनियों को भी सेवाएं मुहैया कराने की योजना बना रही है।
विरमानी ने कहा, ‘इस क्षेत्र में हमें महारत हासिल है। यह एक ऐसा अवसर है जो बाहरी कंपनियों की तलाश के लिए हमें मिला है। हमारे साथ 10,000 कर्मचारी काम करते हैं। यदि हम अनिल अंबानी समूह की भी कंपनियों को अपनी सेवाएं दे सकते है, तो मुझे नहीं लगता कि हम बाहर किसी दबाव का प्रबंधन करने में विफल रहेंगे।’
रिलायंस बीपीओ आवाज और बिना आवाज पर आधारित सेवाएं अपने ग्राहकों को मुहैया कराती है। हालांकि इसकी बीपीओ पेशकशों में आवाज आधारित सेवाओं की भागीदारी तकरीबन 80 फीसदी है। कंपनी समूह ग्राहकों को विश्लेषणात्मक सेवाएं भी मुहैया कराती है। मुंबई और चेन्नई के केंद्रों में रिलायंस बीपीओ के कर्मचारियों की संख्या मौजूदा समय में तकरीबन 10,000 है।
इसके अलावा कंपनी का 300 कर्मचारियों की संख्या वाला एक बीपीओ केंद्र बेंगलुरु में भी है जिसे फ्रेंचाइजी आधार पर चलाया जाता है। इस महीने के अंत तक रिलायंस बीपीओ हैदराबाद, चंडीगढ़ और कोलकाता में तीन और बीपीओ केंद्र खोल रही है जो फ्रेंचाइजी-आधारित होंगे।
कंपनी की योजना इन केंद्रों को 100-100 लोगों के साथ शुरू करने की है। बाद में समूह की कंपनियों की मांग बढ़ने पर इस कर्मचारियों की संख्या में इजाफा किया जाएगा। विरमानी ने कहा, ‘हम अपना कर्मचारी आधार नहीं बढ़ाना चाहते हैं। यह स्वामित्व स्टाफ और ठेका संबंधी स्टाफ का मिला-जुला होगा।’