भतीजे राज ठाकरे और चाचा बाल ठाकरे के गैर-मराठा विरोध का मुंबई और पुणे की तमाम कंपनियों पर चाहे असर पड़ा हो, वाहन कंपनियां इससे तकरीबन बेअसर ही रही हैं।
इन नामी कंपनियों का दावा है कि उनके यहां काम करने वालों में 60 से 70 फीसद मराठी भाषी ही हैं। इसलिए राज की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना और और शिवसेना के फरमान का उन पर ज्यादा असर नहीं पड़ा।पुणे में ज्यादातर बड़ी कंपनियों के संयंत्र हैं।
राज ठाकरे ने महाराष्ट्र में स्थित कंपनियों से 80 फीसदी नौकरियां स्थानीय मराठियों को ही देने के लिए कहा था। इसके जवाब में कंपनियों ने बताया कि उनके ज्यादातर कर्मचारी महाराष्ट्र के ही हैं, इसलिए उन्हें इस आंदोलन से किसी तरह की दिक्कत नहीं है।
फरवरी में उत्तर भारतीयों के खिलाफ शुरू की गई राज ठाकरे की मुहिम के बाद काफी बड़ी मात्रा में मजदूरों का पलायन हुआ है। दरअसल पुणे स्थित ऑटो कंपनियों में उत्तर प्रदेश और बिहार के मजदूर काफी संख्या में कार्यरत थे। लेकिन उत्तर भारतीयों पर होने वाले हमलों के बाद ज्यादातर मजदूर दूसरे राज्यों में पलायन कर गए हैं। इस कारण पुणे, नासिक, तेलगांव, औरंगाबाद और चाकन स्थित संयंत्रों में उत्पादन ठप हो गया है और नए संयंत्रों का निर्माण कार्य भी धीमा हो गया है।
लेकिन बजाज ऑटो के अध्यक्ष राहुल बजाज ने इस मामले पर कहा कि इससे कंपनी पर सीधा असर नहीं पड़ेगा। लेकिन वैन्डरों को नुकसान उठाना पड़ सकता है और इससे कंपनी को कुछ नुकसान हो सकता है। लेकिन इन सबके बावजूद कंपनी अपनी योजनाओं में काई फेरबदल नहीं करेगी।
बजाज ऑटो चाकन में 2,000 करोड़ रुपये निवेश कर तिपहिया और कार निर्माण संयंत्र स्थापित करेगी। उन्होंने कहा कि वे अपने र्भाईनीरज बजाज की इस बात से सहमत हैं कि स्थानीय लोगों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, लेकिन इसके लिए कोई आंकड़ा निश्चित करना उचित नहीं है।
नए संयंत्रों के निर्माण में हो रही देरी के कारण फॉक्सवैगन,जनरल मोटर्स, महिंद्रा ऐंड महिंद्रा, टाटा मोटर्स-फिएट ऑटो का संयुक्त उपक्रम को भी इस देरी के कारण नुकसान उठाना पड़ रहा है।टाटा मोटर्स के एक अधिकारी ने बताया कि इस अंतर को कम करने के लिए टाटा ने स्थानीय लोगों को प्रशिक्षण देने की शुरुआत भी करने वाली है।
अधिकारी ने बताया कि कंपनी भर्ती नियमों में कोई बदलाव नहीं लाएगी। जो लोग टाटा मोटर्स में आने के काबिल हैं उन्हें ही भर्ती किया जाएगा। भर्ती का पैमाना लोगों की शिक्षा और उनका काम होगा। विरोध प्रदर्शनों के कारण अब तक 25,000 से भी ज्यादा गैर मराठी पुणे छोड़कर जा चुके हैं।
…भई, कार तो हैं हिंदुस्तानी
राज ठाकरे और फिर बाल ठाकरे ने किया गैर मराठी भाषियों का विरोध
बड़ी तादाद में उत्तर भारतीयों ने छोड़ा महाराष्ट्र
पुणे है देश की नामी वाहन कंपनियों का गढ़
कंपनियों ने कहा, ज्यादातर कर्मचारी मराठी भाषी, इसलिए र्कोई समस्या नहीं