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एसबीआई, एचडीएफसी बैंक की जमाओं की रेटिंग घटी

Last Updated- December 15, 2022 | 8:18 PM IST

वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और एचडीएफसी बैंक की दीर्घावधि स्थानीय एवं विदेशी मुद्रा जमाओं के लिए रेटिंग ‘बीएए2’ से घटाकर ‘बीएए3’ कर दी है। एसबीआई और एचडीएफसी बैंक की रेटिंग में गिरावट नकारात्मक नजरिये के साथ भारत की सॉवरिन रेटिंग ‘बीएए2’ से घटाकर ‘बीएए3’ किए जाने के बाद, यह 11 बैंकों पर रेटिंग गतिविधि का हिस्सा है।
रेटिंग एजेंसी ने एक्सपोर्ट ऐंड इम्पोर्ट बैंक ऑफ इंडिया (एक्जिम इंडिया) की लॉन्ग-टर्म इश्यूअर रेटिंग भी ‘बीएए2’ से घटाकर ‘बीएए3’ कर दी है। एजेंसी ने नकारात्मक नजरिया बरकरार रखा है।
कोरोनावायरस संक्रमण की वजह से देश की आर्थिक गतिविधि ठप होने से भारतीय बैंकिंग क्षेत्र प्रभावित हुआ है। मूडीज ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मौजूदा संकट से कर्जदारों के क्रेडिट प्रोफाइल कमजोर हो रहे हैं।
कोविड-19 की वजह से भारत में आर्थिक मंदी को बढ़ावा मिलेगा। इससे बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभप्रदता प्रभावित होगी।
मूडीज ने दीर्घावधि स्थानीय और विदेशी मुद्रा जमा की रेटिंग ‘बीएए3’ कर दी है और बैंक ऑफ बड़ौदा, बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया की रेटिंग में कमी के लिए बेसलाइन क्रेडिट एसेसमेंट (बीसीए) की समीक्षा हो रही है। सभी चारों बैंक सरकार के स्वामित्व वाले बड़े बैंक हैं।
निजी क्षेत्र के ऋणदाता इंडसइंड बैंक की दीर्घावधि स्थानीय और विदेशी मुद्रा जमाओं की रेटिंग ‘बीएए3’ से घटाकर ‘बीए2’ की गई है। इस बैंक के लिए रेटिंग परिदृश्य नकारात्मक है।
मूडीज ने पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) की दीर्घावधि स्थानीय और विदेशी मुद्रा जमाओं की रेटिंग ‘बीए1’ पर और अपना बीसीए ‘बी1’ पर रखा है। पीएनबी के लिए रेटिंग परिदृश्य ‘स्थिर’ से बदलकर ‘सकारात्मक’ किया गया है।
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ओर इंडियन ओवरसीज बेंक के मामले में मूडीज ने अपनी दीर्घावधि स्थानीय और विदेशी मुद्रा जमाओं की रेटिंग ‘बीए2’ और अपना बीसीए ‘बी2’ किए जाने की पुष्टि की है। दोनों बैंकों के लिए रेटिंग परिदृश्य स्थिर रखा गया है।
मूडीज का कहना है कि कोरोनावायरस महामारी के तेज प्रसार, वैश्विक आर्थिक परिदृश्य पर प्रभाव, और परिसंपत्ति कीमतों में गिरावट से सभी क्षेत्रों और बाजारों में गंभीर ऋण किल्लत पैदा हो रही है।
कोविड-19 महामारी से मुकाबले के लिए नियामकीय और सरकारी प्रयासों का जिक्र करते हुए मूडीज ने कहा है कि महामारी की शुरुआत के बाद से ही भारत सरकार और आरबीआई द्वारा राहत उपायों की घोषणा की जाती रही है जिससे ऋण दबाव को कुछ हद तक दूर करने में मदद मिलेगी। लेकिन लंबे समय तक आर्थिक मंदी रहने से इन बैंकों को परिसंपत्ति गुणवत्ता और लाभप्रदता से संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ेगा।
साथ ही, एनबीएफसी में बढ़ते नकदी दबाव से पूरी वित्तीय व्यवस्था के लिए जोखिम पैदा होगा, क्योंकि बैंकों का बड़ा पैसा इन इकाइयों में लगा हुआ है।
अच्छी रेटिंग वाले कई सरकारी बैंकों (पीएसबी) की बीसीए या स्टैंडएलॉन क्रेडिट प्रोफाइल प्रभावित होने की आशंका है, क्योंकि आर्थिक झटकों से उन पर दबाव बढ़ेगा। इसके अलावा भारत सरकार से बाहरी पूंजीगत सहायता के अभाव की वजह से भी पीएसबी का पूंजीकरण प्रभावित हो सकता है।

First Published - June 2, 2020 | 11:50 PM IST

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