सघन प्रौद्योगिकी स्टार्टअप नीति के लिए अंतर-मंत्रालयी चर्चा अंतिम चरण में है और इसे जल्द ही लागू किया जाएगा। उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के सचिव राजेश कुमार सिंह ने सोमवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने यहां स्टार्टअप महाकुंभ में कहा कि स्टार्टअप इकाइयों को देश और स्वयं के लाभ के लिए अपने नवोन्मेषण को बौद्धिक संपदा अधिकारों में बदलना चाहिए।
व्यापक अनुसंधान एवं विकास के जरिये ऐसा किया जा सकता है। सिंह ने कहा ‘भारत सरकार एक अलग सघन प्रौद्योगिकी स्टार्टअप नीति बना रही है। नीति का मसौदा अब अंतर-मंत्रालयी चर्चा के अंतिम चरण में है। हमें उम्मीद है कि इसे जल्द लाया जाएगा। हम एक बड़ा कोष बनाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। उम्मीद है कि आप सघन प्रौद्योगिकी स्टार्टअप के लिए अलग व्यवस्था देखेंगे।’
प्रधानमंत्री की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (पीएम-एसटीआईएसी) ने सात जुलाई, 2022 को अपनी 21वीं बैठक में इस संबंध में एक व्यापक नीतिगत ढांचे का प्रस्ताव दिया था और एक कार्यसमूह के गठन की सिफारिश की थी। सिंह ने कहा कि अंतरिम बजट में अनुसंधान और विकास (आरएंडडी) के लिए एक लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि डीपीआईआईटी कारोबार क्षेत्र और स्टार्टअप समुदाय के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है।