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टारो के इनकार पर गर्म हुई सन

Last Updated- December 07, 2022 | 2:42 AM IST

दवा बनाने वाली नामी भारतीय कंपनी सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज विलय के सौदे से पीछे हटने की टारो फार्मा की कार्रवाई से बेहद नाखुश है।


कंपनी इजरायल की टारो के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने पर भी विचार करने लगी है। उसने साफ तौर पर कहा है कि टारो को 1,798 करोड़ रुपये के विलय सौदे से इनकार करने का कोई अधिकार नहीं है और इसके  बदले वह अदालत का दरवाजा खटखटा सकती है।

टारो के अध्यक्ष बेरी लीविट के पत्र के जवाब में सन फार्मा के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक दिलीप सांघवी ने अपने बयान में कहा है कि समझौते के मुताबिक टारो को इस विलय को समाप्त करने का अधिकार नहीं है। उनका कहना है कि इस सौदे के तहत ही सन फार्मा ने टारो में  नकद निवेश किया, जिसकी वजह से कंपनी को खासा फायदा हुआ। ऐसे में अगर टारो सौदे से पीछे हटती है, तो उसके लिए यह नुकसानदेह हो सकता है।

सांघवी का कहना है कि 31 मार्च 2008 को टारो के पास महज 188 करोड़ रुपये की नगदी थी। इसका मतलब है कि यदि सन पिछले वर्ष तकरीबन 240 करोड़ रुपये की नगदी नहीं लगाती तो टारो पर इसका नकारात्मक असर पड़ता। जहां सन ने इस विलय समझौते की शर्तों पर खरा उतरने की पूरी कोशिश की है वहीं टारो इस विलय सौदे पर अमल करने में विफल रही है।

टारो ने बातचीत की सन की कोशिश का भी कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया, उलटे उसने बातचीत से बचने की ही कोशिश की है। सांघवी को लिखे पत्र में लीविट ने कहा था कि 410 रुपये प्रति शेयर के हिसाब से विलय की सन की नई पेशकश बोर्ड को स्वीकार्य नहीं है। सांघवी ने इस पत्र पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

सांघवी ने साफ तौर पर कहा कि विलय का समझौता बेकार हो जाने के टारो के दावे बिल्कुल गलत हैं। कंपनी ने सन फार्मा का सहारा लेकर अपनी वित्तीय सेहत साल भर में ही दुरुस्त कर ली औैर अब वह सौदे से बचकर निकलने की कोशिश कर रही है, जिसे सन फार्मा कामयाब नहीं होने देगी।

उन्होंने टारो के उस दावे का भी खंडन किया, जिसकेमुताबिक तमाम दूसरी कंपनियां इजरायली कंपनी के साथ विलय या दूसरे तरह के सौदे करने की लगातार पेशकश कर रही हैं।

First Published - May 30, 2008 | 12:12 AM IST

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