टाटा मोटर्स की उपलब्धियों में एक अध्याय और जुड़ गया है। जगुआर और लैंड रोवर के अधिग्रहण के साथ ही टाटा मोटर्स के ईको-कार बनाने के प्रस्ताव को थाईलैंड के बोर्ड ऑफ इन्वेस्टमेंट (बीओआई) ने हरी झंडी दिखा दी है।
गौरतलब है कि बीओआई भारत के विदेशी निवेश प्रोत्साहन बोर्ड के समकक्ष संस्था है।बीओआई के एक अधिकारी ने बैंकाक से फोन पर बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि आंतरिक स्वीकृति बैठक 2 अप्रैल को आयोजित की जाएगी, जिसमें टाटा मोटर्स को थाईलैंड में ईको-कार बनाने की अनुमति दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि टाटा मोटर्स भारत की सबसे बड़ी ट्रक निर्माता और तीसरी सबसे बड़ी यात्री वाहन निर्माता कंपनी है।
दरसअल, थाईलैंड सरकार की योजना ऐसी कार बनाने की है, जो पर्यावरण मानकों के साथ-साथ सुरक्षा की दृष्टि से भी अनुकूल हो। यही नहीं, कार में ईंधन कम खर्च हो, यानी कार एक लीटर में कम से कम 20 किलोमीटर चले।
गौरतलब है कि टाटा मोटर्स दुनिया में कार बनाने वाली कंपनी के रूप में तीसरे पायदान पर खड़ी है, जिसे ईको-कार बनाने की अनुमति मिल रही है। इससे पहले दिसंबर 2007 में बीओआई, सुजुकी मोटर कार्पोरेशन और सियाम निसान ऑटोमोबाइल, दोनों के इस तरह की परियोजना पर काम करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे चुकी है। ये कंपनियां 2010 से व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन शुरू करेगी।
बीओआई ने जून 2007 में इको-कार निर्माण के लिए वैश्विक स्तर पर अधिसूचना जारी की थी। इस अधिसूचना के तहत यूरो 4 या उससे अधिक मापदंडों पर सबसे कम प्रदूषण करने वाली (प्रति किलोमीटर 120 ग्राम कार्बन-डाई-ऑक्साइड छोड़ने वाली) कार निर्माण करना है। इसी के साथ यात्री सुरक्षा मानकों पर भी खरा उतरना होगा।
थाईलैंड में ईको-कार निर्माण करने के लिए टाटा मोटर्स कितनी राशि का करने की योजना बना रही है, इस बारे में टाटा मोटर्स की ओर से कोई औपचारिक घोषणा नहीं की गई है। हालांकि बीओआई के मुताबिक कम से कम 637 करोड़ रुपये का निवेश किया जाना चाहिए। इसके साथ ही ईको-कार परियोजना को आठ साल तक कारपोरेट आयकर से छूट मिल जाएगी और आयातित मशीनों पर कोई कर नहीं वसूला जाएगा।
बीओआई के मानदंड को पूरा करने केलिए टाटा मोटर्स को स्क्रैप से एक नई कार विकसित करनी होगी। एक ऑटोमोबाइल विशेषज्ञ का कहना है, ‘जब प्रदूषण और सुरक्षा मानकों पर खरा उतरा जाएगा, तब ईंधन बचत की शर्तों को पूरा करना बहुत बड़ी चुनौती होगा।’
कम ईंधन खपत वाली कार बनाना टाटा के लिए थोड़ा मुश्किल जरूर होगा, लेकिन टाटा मोटर्स ने आम लोगों की कार नैनो बनाकर यह साबित कर दिया है कि वह ऐसा करने में सक्षम है। नैनो भी ग्राहकों को 20 किलोमीटर प्रति लीटर का वायदा करती है, लेकिन हो सकता है कि नैनो कार भी यूएनईसीई (यूनाइटेड नेशन इकोनॉमिक कमिशन फॉर यूरोप) के सुरक्षा मापदंडों, जिसमें कार की सामने और दाईं-बाईं तरफ की सुरक्षा शामिल है, पर खरा उतरने में असमर्थ हो।
वैसे नैनो सितंबर माह से भारत की सड़कों पर दौड़ेगी और उस समय कार की की खासियत-खामियों का भी पता चल जाएगा। लेकिन अभी कंपनी का ध्यान नैनो के साथ ईको कार पर भी है।