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टाटा पावर को विदेशी कोयले की दरकार

Last Updated- December 07, 2022 | 12:01 PM IST

भारत की निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी बिजली निर्माता कंपनी टाटा पावर लिमिटेड कोयले और कच्चे माल की कमी के दौर से निपटने के लिए इनकी आपूर्ति बरकरार रखने की जुगत भिड़ा रही है।


इसके लिए कंपनी  40 लाख टन कोयले की आपूर्ति के मद्देनजर विदेश में दो कोयला खदानों में निवेश कर सकती है। कंपनी के कार्यकारी निदेशक एस रामकृष्णन ने बताया कि टाटा पावर 2013 तक अपनी बिजली उत्पादन क्षमता 5 गुना कर देगी। इसके लिए उसे तकरीबन 80 लाख टन अतिरिक्त कोयले की जरूरत होगी।

लगभग 40 लाख टन कोयले की आपूर्ति उसे ऑस्ट्रेलिया, इंडोनेशिया या मोजांबिक की खदानों से होने की उम्मीद है। टाटा पावर ने पिछले साल इंडोनेशिया की दो खदानों में लगभग 1.2 अरब डॉलर का निवेश किया था। कोयले की कीमत बढ़ने के साथ ही जेएसडब्ल्यू एनर्जी लिमिटेड और अदानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड जैसी कंपनियों ने भी विदेशी कोयला खदानों में निवेश किया है। रामकृष्णन ने बताया, ‘कोयले की कीमतों से तो पूरी दुनिया परेशान है, इसलिए हम दो कोयला खदानों के मालिक होने के बाद भी लंबी अवधि के लिए सौदे करने में ही यकीन रख रहे हैं।

अगर यही हालत बरकरार रहती है, तो हमें आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए कुछ खदानों में हिस्सेदारी खरीदनी पड़ेगी।’ उन्होंने कहा कि कोयले की कीमतें अगले तीन साल तो रिकॉर्ड स्तर पर ही बने रहने की संभावना है। आयातित कोयले से कंपनी को अपनी क्षमता पांच गुनी यानी लगभग 12,861 मेगावाट तक करने में पूरी मदद मिलेगी। भारत और चीन में ऊर्जा की मांग बेहद तेजी के साथ बढ़ रही है। दरअसल यहां की अर्थव्यववस्थाएं जिस रफ्तार से आगे बढ़ रही हैं, उसकी वजह से औद्योगिक गतिविधियां भी काफी तेज हैं और उनकी जरूरत पूरी करने के लिए भारी मात्रा में बिजली की दरकार है।

First Published - July 18, 2008 | 12:36 AM IST

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