दुनिया की छठी सबसे बड़ी इस्पात कंपनी टाटा स्टील लगभग 2.3 करोड़ टन स्टील की सालाना उत्पादन क्षमता वाले संयंत्र की बढ़ती निर्माण लागत का आंकलन कर रही है।
कंपनी के मुख्य परिचालन अधिकारी एच एम नेरुकर ने कहा, ‘हम इस संयंत्र की बढ़ती निर्माण लागत का आंकलन कर रहे हैं।’ वह टाटा मेटेलिक्स की सालाना आम बैठक के मौके पर बोल रहे थे।
टाटा स्टील ने झारखंड, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के कलिंगनगर में संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की थी। इसमें से कलिंगनगर में लगने वाले संयंत्र के निर्माण का कार्य सबसे पहले शुरू होगा। नेरुकर ने कहा, ‘वैसे तो हम इस संयंत्र के लिए उपकरणों के आयात का ऑर्डर दे चुके हैं। लेकिन सिविल और निर्माण की लागत में बढ़ोतरी होगी।’
कंपनी ने इन तीनों परियोजनाओं में कुल मिलाकर 90,000 करोड़ रुपये का निवेश करने की घोषणा की थी। हालांकि कंपनी के कलिंगनगर में 60 लाख टन की सालाना क्षमता वाले संयंत्र का निर्माण कार्य अगले महीने से शुरू होना था। कच्चे माल की आपूर्ति के लिए खदानों का आवंटन भी नहीं किया गया था। नेरुकर ने बताया कि परियोजना की जगह से विस्थापित होने वाले परिवारों से अभी बातचीत की जा रही है। कंपनी की यह परियोजना अपने निर्धारित समय से लगभग एक साल पीछे चल रही है।
कंपनी की योजना छत्तीसगढ़ में 50 लाख टन की सालाना क्षमता का संयंत्र लगाने की है। इसके लिए कंपनी को लौह अयस्क की खदानों का आवंटन तो कर दिया गया है। लेकिन अभी तक कंपनी ने इसके लिए भूमि का अधिग्रहण नहीं किया है।
झारखंड में बेहद सुस्त
कंपनी की योजना के मुताबिक 2011 तक छत्तीसगढ़ परियोजना का काम शुरू हो जाना था और 2015 तक इसका दूसरा चरण शुरू होना था। झारखंड में कंपनी की परियोजना पर जरा भी काम शुरू नहीं हो पाया है। दरअसल अभी तक वहां की सरकार ने विस्थापितों के लिए विस्थापन और पुर्नवास नीति नहीं बनाई है। हालांकि कंपनी ने जमीन के अधिग्रहण के लिए लगभग डेढ़ साल पहले आवेदन किया था। लेकिन विस्थापन और पुर्नवास नीति मामले में बात जरा भी आगे नहीं बढ़ पाई है।
एच एम नेरुकर ने बताया कि इस साल अंतरराष्ट्रीय इस्पात कीमतों में और बढ़ोतरी होने की संभावना नहीं है। उन्होंने कहा, ‘पहली और दूसरी तिमाही के बाद इस्पात की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में लगभग 8,000 रुपये प्रति टन के हिसाब से इजाफा हुआ है। अब कच्चे माल की कीमतों के लिए भी अनुबंध हो गये हैं। इसलिए अब इस्पात की कीमत स्थिर होने की उम्मीद है।’
लागत से नई मुसीबत
कोकिंग कोल की कीमत में लगभग 200 फीसदी का इजाफा हुआ था। जबकि लौह अयस्क की कीमत में 65- 96.5 फीसदी का इजाफा हुआ था। लेकिन भारत में महंगाई से निपटने में सरकार की मदद करने के लिए इस्पात कंपनियों ने इस्पात के दाम तीन महीने तक नहीं बढ़ाने का वादा किया था। इस महीने तीन महीने की अवधि समाप्त होने वाली है।