टाटा समूह की दूरसंचार कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज आने वाले समय में मुनाफा होने की उम्मीद कर रही है।
टाटा समूह के एक अधिकारी ने बताया कि टाटा टेलीसर्विसेज को मुनाफा होते ही कंपनी अपने शेयरों की बिक्री भी शुरू कर देगी। टाटा टेलीसर्विसेज ने साल 2005 में दूरसंचार क्षेत्र में कदम रखा था लेकिन तभी से कंपनी 14 साल पहले इस क्षेत्र में मौजूद भारती एयरटेल से काफी पीछे है।
सीडीएमए (कोड डिविजन मल्टीपल एक्सेस) सेवा प्रदान करने वाली कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज अनिल अंबानी की दूरसंचार कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस से भी काफी पीछे है। रिलायंस इस क्षेत्र में टाटा से एक साल पहले ही आई थी। टाटा इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक किशोर चौकर ने कहा, ‘दूरसंचार के क्षेत्र में स्थापित होने में वक्त लगता है। कंपनी की योजना अगले नौ से 15 महीनों में नई सूची में शामिल होने की है।’
देश भर में टाटा के लगभग 2.5 करोड़ उपभोक्ता हैं। कंपनी प्रतिस्पर्धी कंपनियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली जीएसएम नेटवर्क सेवा उपभोक्ताओं को देने की योजना भी बना रही है। शेयरों की बिक्री से प्राप्त हुए राजस्व को कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज की सेवाओं के विस्तार और जीएसएम आधारित मोबाइल टेलीफोन सुविधाएं देने के लिए करेगी।
शेयरों की बिक्री से टाटा टेलीसर्विसेज के दूरसंचार व्यापार को एक ही कंपनी के अंतर्गत कर दिया जाएगा। टाटा समूह के निर्णायक मंडल ग्रुप कॉर्पोरेट सेंटर के सदस्य चौकर ने कहा, ‘हमारी योजना तीनों इकाइयों को एक साथ मिलाने की है।’ टाटा समूह के देश की सबसे लंबी दूरी वाली दूरसंचार कंपनी विदेश संचार निगम में 50.11 फीसदी शेयर हैं।
इसके अलावा कंपनी महाराष्ट्र और गोवा में टाटा टेलीसर्विसेज नाम से इसकी वायरलैस सेवा को संचालित करती है। ये दोनों ही कंपनियां स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हैं। टाटा कम्युनिकेशंस में केंद्र सरकार के भी लगभग 26.12 फीसदी शेयर हैं। दरअसल केंद्र सरकार और टाटा कम्युनिकेशंस का टाटा कंपनी द्वारा अधिग्रहित 773 एकड़ भूमि को लेकर भी विवाद चल रहा है। इस जमीन की कीमत सौ करोड़ रुपये से भी काफी ज्यादा आंकी जा रही है।