Unsold Real Estate: बीते कुछ सालों से मकानों की बिक्री जोर पकड़ रही है। जिससे बिना बिके मकानों (unsold inventory) को बेचने में अब कम समय लग रहा है।
देश के 7 प्रमुख शहरों में अब बिना बिके मकानों की संख्या इतनी रह गई है कि इनकी बिक्री 22 महीने में हो सकती है, जबकि 2019 के अंत तक इन मकानों की संख्या इतनी अधिक थी, इन्हें बिकने में 32 महीनों का समय लग रहा था। सबसे बड़ी बात ये है कि प्रीमियम सेगमेंट में बिना बिके मकानों को बेचने में लगने वाले समय में सबसे अधिक गिरावट आई है।
बिना बिके मकानों को बेचने के समय में कितनी आई कमी?
संपत्ति सलाहकार फर्म जेएलएल इंडिया के मुताबिक बिना बिके मकानों को बेचने के समय में 31 फीसदी कमी आई है। 2019 के अंत तक इतने बिना बिके मकान थे कि इन्हें बेचने में 32 महीने का समय लग रहा था। लेकिन 2024 की पहली तिमाही तक बिना बिके मकानों को बेचने में 22 महीने का समय ही लगेगा। इन मकानों को बेचने में लगने वाले समय में कमी की वजह मकानों की मांग तेजी से बढ़ना है।
प्रीमियम सेगमेंट के मकानों को बेचने के समय में आई सबसे ज्यादा कमी
जेएलएल के मुताबिक बिना बिके मकानों को बेचने के समय में सबसे अधिक गिरावट प्रीमियम सेगमेंट में आई है। 7 प्रमुख शहरों में बेंगलूरु और दिल्ली एनसीआर को अपनी वर्तमान unsold inventory को बेचने के लिए सबसे कम समय की आवश्यकता है, जबकि हैदराबाद को इस इन्वेंटरी को खत्म करने में सबसे अधिक समय लग सकता है।
प्रीमियम सेगमेंट यानी 1.5 से 3 करोड़ रुपये कीमत वाले बिका बिके मकानों को बेचने में 2019 अंत तक 51 महीने का समय लग रहा था, जो 2024 की पहली तिमाही तक 43 फीसदी घटकर 29 महीने रह गया है।
बिना बिके किफायती मकानों (75 लाख रुपये तक कीमत) को बेचने के समय में 40 फीसदी कमी आई है। 2019 अंत तक इन्हें बेचने में 32 महीने लग रहे थे और इस साल की पहली तिमाही तक इन्हें बेचने में 19 महीने लग रहे हैं।
जेएलएल इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री डॉ सामंतक दास ने कहा कि पिछले चार साल यानी 2019 से 2023 के दौरान प्रीमियम सेगमेंट की हिस्सेदारी 2 फीसदी से बढ़कर 22 फीसदी हो गई। बावजूद इसके 2019 अंत से 2024 की पहली तिमाही के दौरान इस सेगमेंट में बिना बिके मकानों को बेचने के लिए समय में 43 फीसदी की बड़ी गिरावट आई है। जो इस सेगमेंट में मजबूत बिक्री को दर्शाता है।
जेएलएल इंडिया के अनुसार 3 करोड़ रुपये और उससे अधिक कीमत के मकानों को बेचने में लगने वाले समय में 11 फीसदी की कमी देखी गई है, जबकि 75 लाख रुपये से एक करोड़ कीमत वाले बिना बिके मकानों को बेचने के समय में करीब 27 फीसदी और 1 से 1.5 करोड़ रुपये कीमत वालों को बेचने के समय में करीब 26 फीसदी कमी आई है।
दिल्ली-एनसीआर में मकानों को बेचने में लगेगा सबसे कम समय
जेएलएल इंडिया में आवासीय सेवा के प्रमुख शिवा कृष्णन ने कहा कि महीने के हिसाब से बिना बिके मकानों को बेचने में सबसे ज्यादा कमी दिल्ली-एनसीआर रीजन में आई है। 2019 में इन मकानों को बेचने में 48 महीने लग रहे थे, जबकि अब 14 महीने ही लगेंगे।
इसका श्रेय दिल्ली एनसीआर में प्रीमियम और लक्जरी सेगमेंट में मजबूत बिक्री को दिया जा सकता है, जहां कई गुणवत्तापूर्ण परियोजनाएं लॉन्च होने के कुछ ही दिनों के भीतर पूरी तरह से बिक गईं। आने वाली तिमाहियों में इन मकानों को बेचने में लगने वाले महीनों में और गिरावट आ सकती है।