टिकाऊ उपभोक्ता सामान यानी कंज्यूमर डयूरेबल्स बनाने वाली प्रमुख कंपनियों ने इस्पात, तांबे और दूसरे कच्चे माल की लागत बढ़ने से पड़ रहा बोझ अकेले बर्दाश्त करने से अब इनकार कर दिया है।
ये कंपनियां जून से टेलीविजन, रेफ्रिजरेटर, वाशिंग मशीन और दूसरे उत्पादों की कीमतों में कम से कम 5 फीसद का इजाफा करने की योजना बना ली है। पिछले 4 महीनों में कंज्यूमर डयूरेबल्स के दाम में यह दूसरी बढ़ोतरी होगी।
इस बाजार की अगुआ कंपनी एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स टेलीविजन के दाम कम से कम 3 फीसद इजाफा करने जा रही है। कंपनी के रेफ्रिजरेटर और वाशिंग मशीन खरीदने के लिए भी ग्राहकों को अगले महीने से 3 से 5 फीसद ज्यादा रकम खर्च करनी पड़ सकती है।
एलजी इंडिया के सेल्स और मार्केटिंग निदेशक वी रामचंद्रन ने कहा, ‘कंपनी ने एयरकंडीशनर की कीमत तो अब तक नहीं बढ़ाई है क्योंकि इसकी बिक्री का सबसे बढ़िया मौसम यही है। लेकिन अब इसमें भी दाम तकरीबन 7 फीसद बढ़ाए जा सकते हैं।’
एलजी ही नहीं, दूसरी कंपनियां भी बढ़ती लागत से परेशान हैं। मर्क इलेक्ट्रॉनिक्स और गोदरेज एप्लायंसेज ने भी जून में दाम बढ़ाने के संकेत दिए हैं। मर्क के चेयरमैन गुल्लू मीरचंदानी ने बताया, ‘कच्चे माल की लागत हद से ज्यादा बढ़ रही है और आयात पहले से भी ज्यादा महंगा हो गया है। इसी वजह से उत्पादों की कीमत में बढ़ोतरी 5 से 7 फीसद की ही होगी।’
कंज्यूमर डयूरेबल्स की कीमतें बढ़ने की बात तो काफी समय से की जा रही थी। इससे कंपनियों पर बढ़ी लागत का बोझ भी कम हो जाएगा। यह बोझ पिछले कई महीनों से कंपनियों पर पड़ रहा है। फरवरी के बाद से कच्चे माल की कीमत में 10 से 12 फीसद का इजाफा हुआ है। इस्पात की कीमत ही 4 महीने में 40 फीसद बढ़ी है। रेफ्रिजरेटर और वाशिंग मशीन जैसे उत्पादों में 30 फीसद तो इस्पात ही लगता है।
इन उत्पादों में तांबे और एल्युमिनियम का भी अच्छी खासी मात्रा में इस्तेमाल किया जाता है। इनकी कीमत भी 20 फीसद तक बढ़ गई है। गोदरेज एप्लायंसेज के मुख्य परिचालन अधिकारी जॉर्ज मेनेजेज के मुताबिक तमाम कंपनियां लागत का बोझ खुद ही सह रही हैं। उन्होंने कहा कि अगर उपकरणों के दाम केवल 5 फीसद के दायरे में बढ़ाए जा रहे हैं, तो इसका सीधा मतलब है कि कंपनियां लागत की ज्यादातर मार अब भी खुद ही बर्दाश्त कर रही हैं।
अलबत्ता एलजी इस मामले में थोड़ा अलग सोचती है। रामचंद्रन ने कहा, ‘हालांकि हमने अपनी कीमतों को एक जैसा ही रखने की कोशिश की है, लेकिन रुपये की कीमत घटने और लागत बढ़ने का दोहरा बोझ पड़ने के बाद अब दाम बढ़ाने के अलावा हमारे पास कोई और चारा नहीं है।’
दरअसल डॉलर ने फिर उछलना शुरू कर दिया है और उसकी कीमत बढ़ती जा रही है। ऐसे में कंपनियों को विभिन्न उपकरण और पुर्जों के आयात पर ज्यादा खर्च करना पड़ रहा है। अत्याधुनिक डबल डोर रेफ्रिजरेटर, एलसीडी और फ्रंट लोड वाशिंग मशीन जैसे महंगे उत्पाद तैयार करने वाली कंपनियों को तो इससे अच्छी खासी परेशानी हो रही है क्योंकि इनमें से ज्यादातर उपकरणों के महत्वपूर्ण हिस्से और कभी समूचे उपकरण ही आयात किए जाते हैं।
इससे पहले साल के शुरुआत में भी बजट से नाउम्मीदी मिलने के बाद गोदरेज और सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी कंपनियों ने कीमतें बढ़ाई थीं। उस समय कुछ खास उत्पादों की कीमतों में 2 से 3 फीसद का इजाफा किया गया था। वैसे सैमसंग ने इस बार कीमतें बढ़ाने से इनकार कर दिया है।