जापानी दिग्गज तोशिबा और भारतीय स्टील कंपनी जिंदल स्टील्स (जेएसडब्ल्यू) ने भारत के कोयला आधारित विद्युत संयंत्रों के लिए सुपर क्रिटिकल टर्बाइन और जेनरेटर का निर्माण करने के लिए संयुक्त उपक्रम बनाने की घोषणा की है।
इसमें तकरीबन 1000 करोड़ रुपये का निवेश किए जाने की योजना है। संयुक्त उपक्रम की शर्तों के मुताबिक निवेश कई चरणों में किया जाएगा। शुरुआत में सभी साझेदार इसमें कुल मिलाकर 200 करोड़ रुपये लगाएंगे। इस संयुक्त उपक्रम में तोशिबा की हिस्सेदारी 75 फीसदी और जिंदल समूह की 25 हिस्सेदारी होगी, जिसमें से 5 फीसदी जिंदल स्टील्स और बाकी 20 फीसदी जेएसडब्ल्यू पावर के पास रहेगी।
जेएसडब्ल्यू के संयुक्त प्रबंध निदेशक एस एस राव ने कहा, ‘यह उपक्रम हमें भारतीय ऊर्जा क्षेत्र में बहतर संभावनाएं उपलब्ध कराएगा।’ उन्होंने कहा, ‘यह संयुक्त उपक्रम भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास के साथ बढ़ती बिजली की जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा।’
तोशिबा के कार्यकारी उपाध्यक्ष अत्सुहिको इजूमी ने कहा, ‘जेएसडब्ल्यू के साथ उपक्रम बनाकर हम तेजी से उभरते भारतीय बाजार में स्थायी बिजली आपूर्ति के क्षेत्र में अपनी मौजूदगी दर्ज करना चाहते हैं। ‘
कंपनी जल्द ही इस उपक्रम के तहत लगने वाले निर्माण संयंत्र और मुख्यालय की भी घोषणा करेगी। इस संयंत्र का कार्य सितंबर 2009 तक शुरू हो जाएगा। जिंदल स्टील्स ने बताया कि इस साल जून तक इस संयुक्त उपक्रम की सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली जाएंगी।
इस संयुक्त उपक्रम से तोशिबा भारतीय स्टीम टर्बाइन जेनरेटर निर्माण क्षेत्र में बेहतर तकनीक की मदद से अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहती है। इस संयुक्त उपक्रम के तहत नई कंपनी 500 मेगावाट से लेकर 1000 मेगावाट की मध्यम आकार की टर्बाइन और जेनरेटर के डिजाइन, निर्माण, विपणन और इनके रखरखाव का कार्य देखेगी। दोनों ही कंपनियां इस संयंत्र की स्थापना के लिए 40 लाख वर्ग मीटर भूमि के अधिग्रहण की कोशिश कर रही हैं।
नए संयंत्र की स्थापना और उपकरणों के निर्माण के लिए लगभग 1000 हजार करोड़ रुपये लगाएगी। इस संयुक्त उपक्रम की सालाना क्षमता 3000 मेगावाट बिजली का उत्पादन करने की होगी। जापान में तोशिबा के बिजली उपकरणों का निर्माण करने वाली केहिन ऑपरेशंस भारत में स्थापित होने वाले नए संयंत्र के निर्माण कार्य में मदद करेगी।