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अल्ट्रा को नहीं रास आया हीरो का साथ

Last Updated- December 05, 2022 | 7:06 PM IST

ब्रिटिश कंपनी अल्ट्रा मोटर और हीरो समूह के बीच का तकनीकी करार टूट गया है।


अल्ट्रा मोटर ने इलेक्ट्रिक स्कूटर और मोपेड बनाने वाली कंपनी हीरो अल्ट्रा प्राइवेट लिमिटेड से हाथ खींचने का फैसला किया है। इस कंपनी ने साल 2007-08 अल्ट्रा मोटर भारत में अपने पूर्ण नियंत्रण वाली सहयोगी कंपनी अल्ट्रा मोटर्स के जरिए कारोबार चलाती है।


करार टूटने के मसले पर बात करते हुए अल्ट्रा मोटर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी जो बोमेन ने बताया कि इस संयुक्त समझौते के तहत इलेक्ट्रिक वाहन बेचना अवसर लागते की नजर से ,रणनीतिक तौर पर सही नहीं था। भारत तेजी से उभरता हुआ एक बड़ा बाजार है और कंपनी यहां स्वतंत्र रूप से संभावनाएं तलाशना चाहती है।


अल्ट्रा मोटर और हीरो के बीच हुए तकनीकी करार के तहत इलेक्ट्रिक स्कूटर के दो बांड बेचे जाते थे। अल्ट्रा मोटर्स विलॉसिटी नाम का ब्रांड बेचती थी जबकि हीरो समूह मैक्सी बेचता था। हालांकि मई 2008 में मैक्सी ब्रांड को खत्म कर मैरेथॉन नाम का एक कम गति वाला स्कूटर बाजार में पेश किया जाएगा। इसके अलावा एक ज्यादा गति वाले स्कू टर वीलो प्लस को उतारने की भी योजना है।


अल्ट्रा मोटर के मार्केटिंग निदेशक देबू घोषाल कहते हैं कि इलेक्ट्रिक स्कूटरों को भारत में लोकप्रिय बनाना बहुत जरूरी है। इस श्रेणी के बाजार में कंपनी को अपनी मौजूदगी का अहसास कराने की भी जरूरत है। इलेक्ट्रिक स्कूटर पर ही हमारी कंपनी का अस्तित्व टिका हुआ है। कंपनी को इस साल 200 फीसदी की दर से विकास करना होगा।


देबू घोषाल कहते हैं कि अल्ट्रा और हीरो के बीच इस मसले पर भी मतभेद था। जहां अल्ट्रा मोटर तेजी से आगे बढ़ना चाहती है वहीं हीरो समूह धीमी प्रगति में विश्वास करता है और यह अल्ट्रा को मंजूर नहीं था जिसका इरादा इस साल करीब 60,000 स्कूटर बेचने का है।

First Published - April 5, 2008 | 12:41 AM IST

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