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माजा पर खफा बिस्लरी चली अदालत

Last Updated- December 06, 2022 | 12:43 AM IST

बोतलबंद पानी बेचने वाली बड़ी कंपनी बिस्लरी शीतल पेय बनाने वाली कंपनी कोका कोला इंडिया को अदालत में घसीटने की तैयारी कर रही है।


उसने कोका कोला से साफ तौर पर कहा है कि अगर उसने माजा ट्रेडमार्क को दूसरे देशों में भी पंजीकृत कराने की कोशिश की, तो वह अदालत तक पहुंच जाएगी।


बिस्लरी का कहना है कि कोका कोला उन देशों में भी माजा का पंजीकरण करा रही है, जहां यह ब्रांड मौजूद ही नहीं है। उसके मुताबिक यह दोनों कंपनियों के बीच 1993 में हुए करार का सीधा उल्लंघन है। इस करार के तहत ही कोका कोला ने माजा ट्रेडमार्क बिस्लरी से खरीदा था।


इस बारे में कानूनी जानकारों का कहना है कि बिस्लरी भारतीय अनुबंध अधिनियम के तहत मामला अदालत में ले जाएगी। दरअसल कोका कोला ने माजा के बौद्धिक संपदा अधिकार आईपीआर खरीदे हैं, इसलिए मामला आईपीआर कानून के तहत नहीं लाया जा सकता।


बिस्लरी के चेयरमैन और प्रबंध निदेशक तथा माजा ब्रांड का निर्माण करने वाले रमेश चौहान ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘मैं इस मामले में कोका कोला की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रहा हूं। देखते हैं कि वह दूसरे देशों में माजा के पंजीकरण को रोकती है या नहीं। तुर्की में तो अपनी अर्जी शायद उन्होंने वापस ले ली है। हम दूसरे देशों में पहले से ही माजा बेच रहे हैं।


कोका कोला का कहना है कि जहां माजा का पंजीकरण नहीं हुआ है, उन्हीं देशों में वह इसे ब्रांड के तौर पर पंजीकृत कराएगी। लेकिन हमें यह मंजूर नहीं। अगर कोका कोला हमारी शिकायत को नहीं सुनती, तो हम कानूनी रास्ता भी अख्तयार कर सकते हैं।’


कोका कोला ने ऐसे किसी विवाद से ही इनकार कर दिया। कंपनी ने कहा कि न तो वह ट्रेडमार्क का पंजीकरण कहीं और करा रही है और न ही ऐसा कराने की उसकी कोई मंशा है। चौहान के मुताबिक 1993 में हुए समझौते में बिस्लरी ने कोका कोला को माजा ट्रेडमार्क का इस्तेमाल भारत में कहीं भी करने की इजाजत दे दी थी।


लिम्का और थम्स अप ब्रांड भी इसी करार का हिस्सा थे। लेकिन कंपनी ने आम के पेय ‘फ्रूटी’ के अधिकार किसी को नहीं बेचे थे। गौरतलब है कि भारत में आज फ्रूटी माजा को करारी टक्कर दे रही है और कंपनी माजा को लेकर सख्ते में है।

First Published - April 30, 2008 | 12:43 AM IST

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