रिटेल बाजार में बढ़ते मुनाफे को देखकर वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज भी उधर का ही रुख कर रही है।
टिकाऊ उपभोक्ता सामग्री यानी कंज्यूमर डयूरेबल्स के क्षेत्र की यह दिग्गज कंपनी बॉल्ड कैश ऐंड कैरी ब्रांड के नाम से रिटेल स्टोर खोलने जा रही है। कंपनी इसमें 2,000 करोड़ रुपये का निवेश करेगी। शुरुआत में तकरीबन 400 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।
भारी कारोबार का सपना
कंपनी शुरुआत में 16 स्टोर खोलेगी। उसे अगले 4 साल में इन स्टोरों के जरिये 10,000 से 11,000 करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद है।वीडियोकॉन कैश ऐंड कैरी के मुख्य कार्यकारी सुनील मेहता ने बताया कि कंपनी के रिटेल स्टोरों में खाद्य सामग्री, रोजमर्रा के सामान, कंज्यूमर डयूरेबल्स, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) और परिधान की बिक्री होगी।
मेहता ने कहा, ‘कंपनी अगले 3 साल में रिटेल कारोबार में 2,000 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे। हमें चौथे साल में तकरीबन 10 से 11 हजार करोड़ रुपये के कारोबार की उम्मीद है। हम चालू वित्त वर्ष में 1 से डेढ़ लाख वर्गफुट क्षेत्रफल वाले 5 स्टोर खोलना चाहते हैं। पहला स्टोर सितंबर में खुल जाना चाहिए।’
गठजोड़ नहीं
वीडियोकॉन विस्तार के पहले चरण में हैदराबाद, अहमदाबाद, बेंगलुरु, जयपुर और पुणे जैसे शहरों में दस्तक देगी। मेहता ने बताया, ‘कंपनी दूसरे चरण में कंज्यूमर डयूरेबल्स जैसी श्रेणियों में कुछ नए और निजी लेबल उतारेगी। स्थानीय बाजार की हमारी समझ से इन लेबलों के लिए ग्राहक वर्ग तैयार हो जाएगा।’
मेहता ने कहा कि फिलहाल वीडियोकॉन किसी भी समूह या कंपनी के साथ गठजोड़ करने के बारे में नहीं सोच रही है। वह अपने समूह की ही एक कंपनी की आपूर्ति शृंखला का सहारा लेगी। यह कंपनी कंज्यूमर डयूरेबल्स का कारोबार संभालती है।
दौड़े दिग्गज
भारत में तकरीबन 40,000 करोड़ रुपये का रिटेल बाजार है। इसमें कैश ऐंड कैरी यानी नकद खरीद के बाजार की हिस्सेदारी बहुत कम है। लेकिन यह क्षेत्र कई दिग्गजों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। इनमें रिलायंस, भारती-वाल मार्ट और पैंटालून वगैरह प्रमुख हैं। अंतरराष्ट्रीय महारथियों की बात की जाए, तो जर्मनी की मेट्रो कैश ऐंड कैरी, कारफू और टेस्को भी भारत के रिटेल क्षेत्र में धमाल मचाने आ रही हैं।
बाजार बहुत बड़ा
कैश ऐंड कैरी रिटेल में इन कंपनियों की दिलचस्पी की सबसे बड़ी वजह संगठित खिलाड़ियों की गैर मौजूदगी और 35 से 40 फीसदी की विकास दर है। इसके अलावा भारतीय रिटेल क्षेत्र का आकार भी 2015 तक दोगुना होना तय है। फिलहाल संगठित क्षेत्र की इसमें 4 फीसदी हिस्सेदारी है। अगले सात-आठ साल में यह हिस्सेदारी बढ़कर 10 से 15 फीसदी होने जा रही है।