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डिटर्जेंट उद्योग को भी धो डाला!

Last Updated- December 07, 2022 | 2:00 PM IST

कच्चे तेल की कीमतों में उछाल की वजह से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा कानपुर के डिटर्जेंट और साबुन निर्माताओं पर भारी पड़ रहा है।


पिछले दो माह के दौरान लगभग सभी ब्रांडों के डिटर्जेंट निर्माताओं ने उत्पादों के दाम बढ़ा दिए हैं। महंगाई का सबसे ज्यादा असर छोटे निर्माताओं पर पड़ा है। इसकी वजह से शहर के करीब 70 फीसदी छोटी इकाइयों ने उत्पादन बंद कर दिया है।

शहर में फिलहाल करीब 50 इकाइयां काम कर रही हैं, जिनमें प्रति माह औसतन 1.5 टन डिटर्जेंट का उत्पादन होता है। ये उत्पादक देशभर में अपने उत्पादों की आपूर्ति करते हैं। सागर डिटर्जेंट्स प्राइवेट लिमिटेड के मार्केटिंग मैनेजर दिलीप बजाज ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि डिटर्जेंट में इस्तेमाल होने वाले मुख्य कच्चे माल की कीमतों में पिछले चार माह के दौरान तकरीबन 60 फीसदी का इजाफा हुआ है।

दरअसल, इन उद्योगों के लिए कच्चे माल की आपूर्ति गुजरात और राजस्थान से की जाती है, लेकिन पेट्रोल-डीजल महंगा होने की वजह से परिवहन व्यय काफी बढ़ गया है। इसकी वजह से कंपनी की लागत में काफी इजाफा हो गया है। डिटर्जेंट में इस्तेमाल होने वाला मुख्य कच्चा माल सोडा एश और लाइनर अल्काइल बेंजीन (एलएबी) की कीमतों में काफी बढ़ोतरी हुई है।

लागत बढ़ने की वजह से निर्माता या तो अपने उत्पादों की कीमतें बढ़ाने को मजबूर हो रहे हैं या फिर पैकेजिंग की मात्रा में कमी कर रहे हैं। बजाज ने बताया कि कीमत बढ़ाने की बजाय कंपनी वजन में कमी कर रही है। उन्होंने बताया कि बड़ी कंपनियों से चुनौती का सामना करने के लिए छोटी कंपनियां कीमतें नहीं बढ़ाने का रास्ता चुन रही हैं। एक अन्य निर्माता आशुतोष पाण्डेय ने बताया कि पहले एसिड जहां 8 लाख रुपये प्रति टैंकर उपलब्ध था, वहीं अब इसकी कीमत बढ़कर 14 से 19 लाख रुपये प्रति टैंकर पहुंच गई है।

पेट्रोल-डीजल महंगा होने से बढ़ गई है उत्पादन लागत
कानपुर के तकरीबन 70 फीसदी छोटे उद्योगों पर लग गया है ताला
कच्चे माल की आसमान छूती कीमतों ने छोटी कंपनियों का निकाला दम

First Published - July 29, 2008 | 12:42 AM IST

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