देश की तीसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर प्रदाता कंपनी विप्रो अपने कार्यविस्तार की योजना तैयार कर रही है।
इस योजना के तहत कंपनी 4,800 करोड़ रुपये के कम से कम 12 अनुबंधों के लिए बोली लगाने की तैयारी में है। कंपनी की चाहत कार्यविस्तार के जरिए सॉफ्टवेयर उद्योग के क्षेत्र में दुनिया की 10 सबसे बड़ी कंपनियों में शुमार होना है।
विप्रो के सूचना प्रौद्योगिकी कारोबार के संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी गिरीश परांजपे और सुरेश वासवानी ने एक साक्षात्कार के दौरान बताया कि कंपनी ने ठेका हासिल करने के लिए ‘ग्लोबल प्रोग्राम ग्रुप नाम की इकाई का गठन किया है। वासवानी ने कहा कि फिलहाल कंपनी को मंझोले दर्जे की कंपनियों में गिना जाता है, पर कंपनी की ख्वाहिश तीन से पांच साल में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की 10 प्रमुख कंपनियों में शुमार होना है।
कड़ी चुनौती
फिलहाल देश में सूचना प्रौद्योगिकी के बाजार में विप्रो को नंबर एक की कंपनी टीसीएस और दूसरे नंबर की कंपनी इंफोसिस से कड़ी चुनौती मिल रही है। टीसीएस के पास मौजूदा समय में 26 बड़े उपभोक्ता हैं तो इंफोसिस की झोली में 14 ग्राहक हैं। विप्रो का इरादा 10 करोड़ डॉलर से अधिक का ठेका लेकर दोनों कंपनियों को कड़ी चुनौती देने का है।
विप्रो खासतौर पर अमेरिका, यूरोप और मध्य पूर्व के वित्तीय सेवा और टेलीकम्युनिकेशंस उद्योगों में बड़े अनुबंधों को हासिल करने की कोशिश में जुटी हुई है। परांजपे ने अपनी योजनाओं का खुलासा करते हुए कहा, ‘हम मूल रूप से वित्तीय सेवा और दूरसंचार से जुड़े बाजार में अनुबंध हासिल करने में जुटे हैं। हमारी टक्कर इन्हीं बाजारों में है।’
ध्यान रहे कि कंपनी ने 31 मार्च को समाप्त हुए वित्त वर्ष में शानदार नतीजे दर्ज किए हैं। इस दौरान कंपनी की कुल आय 12 फीसदी बढ़कर 32.8 अरब रुपये पर पहुंच गई थी। साथ ही इस दौरान कंपनी के राजस्व में भी 33 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई और यह 200.2 अरब रुपये पर पहुंच गया था।
यूरोप पर नजर
विप्रो अपने उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ाने के लिए और राजस्व की अधिक से अधिक उगाही के लिए विशेष रूप से यूरोपीय बाजारों पर नजर टिकाए हुए है। परांजपे ने कहा, ‘यूरोपीय बाजारों में काफी संभावनाएं हैं।’ उन्होंने कहा कि कंपनी अब तक अंग्रेजी भाषी देशों में बाहर से ही कारोबार करती रही है। पर उनका मानना है कि अगर इन देशों में अपनी पैठ बढ़ानी है तो कंपनी को स्थानीयकरण पर जोर देना पड़ेगा।
कंपनी का मानना है कि कारोबार को इन देशों में बढ़ाने के लिए अधिग्रहण एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। इसी कड़ी में 14 फरवरी को प्रेमजी ने एक साक्षात्कार के दौरान कहा था कि अगले छह महीनों में कंपनी जर्मनी में किसी कंपनी का अधिग्रहण कर सकती है।
वासवानी ने बताया कि कंपनी बड़ी संख्या में कंप्यूटर सर्वर के प्रबंधन का ठेका हासिल करने के दौड़ में भी शामिल है। उन्होंने बताया कि कंपनी को उम्मीद है कि इन अनुबंधों में से छह को कंपनी अगले छह महीनों में हासिल कर लेगी। विप्रो ने इसी जनवरी में एयरटेल लिमिटेड से 60 करोड़ डॉलर का ठेका प्राप्त किया।
…विप्रो का विस्तार
कंपनी लगाएगी 4,800 करोड़ रुपये
कंपनी की योजना ठेके के जरिये 400 करोड़ रुपये जुटाने की
टीसीएस के 26 और इन्फोसिस के 14 बड़े ग्राहक
एयरटेल से मिला 60 करोड़ डॉलर का ठेका