टाटा मोटर्स की बहुप्रतीक्षित कार नैनो के आने से मारुति की छोटी कारों में बादशाहत को चुनौती तो जरूर मिलेगी, लेकिन क्या कंपनी इसके लिए अपनी रणनीति तैयार कर रही है?
इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए मारुति सुजुकी के प्रबंध निदेशक शिंजो नाकानीशी से बात की सुरजीत दासगुप्ता और डैनी गुडमैन ने :
टाटा की नैनो अल्ट्रा लो-कॉस्ट कार बाजार में तहलका मचाने की तैयारी कर रही है। क्या मारुति की भी ऐसी कोई योजना है?
मारुति अल्ट्रा लो-कॉस्ट कार सेंगमेंट में शामिल नहीं होगी। कंपनी की नजर ए1 और ए2 सेंगमेंट के विकास पर है, जिस पर निसान, फॉक्सवैगन और टोयटा की भी निगाहें टिकी हैं। मारुति 800 कंपनी की एंट्री लेवल कार बनी रहेगी।
आखिर क्या वजह है कि कंपनी इस सेंगमेंट में नहीं उतरना चाह रही है, जबकि कंपनी के ज्यादातर खरीदार छोटे कारों में रुचि ले रहे हैं?
ऐसी बात नहीं है। अब आल्टो को ही लें, 10 फीसदी खरीदार ही स्टैंडर्ड मॉडल को पसंद करते हैं, जबकि 30 फीसदी एसी और 60 फीसदी प्रीमियर मॉडल के खरीदार हैं। कुछ समय पहले जहां मारुति 800 के एसी मॉडल के खरीदार करीब 30 फीसदी थे, वहीं अब इनकी संख्या बढ़कर 70 फीसदी हो गई है। कंपनी प्रतिमाह 60,000 कारें बेचती हैं, जिनमें 4,000 कारें ही नॉन एसी होती हैं। आंकड़ों से साफ पता चलता है कि ग्राहक अपग्रेड मॉडलों वाले कारों को पसंद कर रहे हैं।
लोगों का कहना है कि नैनो का मुकाबला करने के लिए मारुति 800 की कीमत घट सकती है। ऐसी किसी योजना पर काम चल रहा है?
नहीं, ऐसी कोई योजना नहीं है। कंपनी नुकसान में कभी भी कार नहीं बेचेगी। कंपनी पहले ही न्यूनतम कीमत पर मारुति 800 उपलब्ध करा रही है।
मारुति 800 मॉडल 25 साल पुरानी है। क्या आपको लगता है कि इसमें बदलाव आना चाहिए, क्योंकि इसकी बिक्री में भी गिरावट आई है?
कंपनी इसकी बॉडी में बदलाव लाती रही है और अब तक 27.3 करोड़ कार बेच चुकी है। कंपनी की योजना है कि जब तक इस मॉडल की मांग बनी रहेगी हम इसका निर्माण करते रहेंगे। वैसे, लोगों की जरूरत और पसंद को ध्यान में रखते हुए कंपनी आल्टो और वैगन आर मॉडल पेश कर चुकी है।