एक रिपोर्ट के अनुसार, इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) टीमों की कमाई में भारी गिरावट आई है। वित्तीय वर्ष 2022-23 में, सभी टीमों का औसत रेवेन्यू 2019 की तुलना में 23% कम था। और अगर महंगाई को भी इसमें शामिल कर लिया जाए, तो यह गिरावट और भी ज्यादा हो जाती है, लगभग 47% तक! ये आंकड़े इस बात की ओर इशारा करते हैं कि IPL अब अपने कमाई के शिखर पर पहुंच चुका है और इसके आगे वह नहीं जा सकता।
आईपीएल टीम मालिकों की मार्केट फाइलिंग के आधार पर रिपोर्ट बताती है कि राजस्व में महत्वपूर्ण गिरावट इस बात का संकेत हो सकती है कि IPL बाजार अब अपने कमाई के शिखर पर पहुंच चुका है और इसके आगे वह नहीं जा सकता। ऐसा बहुत अधिक क्रिकेट कंटेंट, उपभोक्ताओं की बदलती पसंद या मनोरंजन के अन्य रूपों से बढ़ते कंपटीशन जैसे फैक्टर्स के कारण हो सकता है।
अगर यही स्थिति बनी रही तो आईपीएल को लंबे समय तक चलने के लिए अपने स्ट्रक्चर में बदलाव करने पड़ सकते हैं। ये बदलाव रेवेन्यू बंटवारे के तरीके, खर्च कम करने के उपाय या नई रणनीतिक साझेदारी के रूप में हो सकते हैं।
रिपोर्ट में 2019 के आंकड़े भी दिए गए हैं, जिनके अनुसार उस साल कोलकाता नाइट राइडर्स (437 करोड़ रुपये) का राजस्व सबसे ज्यादा था। इसके बाद दिल्ली कैपिटल्स (424 करोड़ रुपये) और चेन्नई सुपर किंग्स (418 करोड़ रुपये) का स्थान रहा।
वित्त वर्ष 23 में तो दिल्ली कैपिटल्स (367 करोड़ रुपये) सबसे ज्यादा कमाई करने वाली टीम रही, लेकिन यह आंकड़ा वित्त वर्ष 19 में टॉप टीमों के रेवेन्यू से कम है। उस साल सभी टीमों का औसत रेवेन्यू भी 394 करोड़ रुपये से ज्यादा था, जो घटकर अब 307.5 करोड़ रुपये रह गया है। हालांकि अच्छी बात यह है कि सभी टीमों की स्पॉन्सरशिप संबंधी कमाई में बढ़ोतरी हुई है।
स्पॉन्सरशिप के मामले में रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर (83 करोड़ रुपये) ने सबसे अधिक कमाई की है। उनके बाद चेन्नई सुपर किंग्स (78 करोड़ रुपये) और दिल्ली कैपिटल्स (72 करोड़ रुपये) का स्थान है।