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11 करोड़ ‘जन-धन खाता’ वाले हो गए गुम?

मंगलवार, 10 दिसंबर को संसद में एक चौकानेवाला खुलासा हुआ। देश में 11 करोड़ से ज्यादा जन-धन बैंक खाता खोलने वालों का कोई अता-पता नहीं हैं। इन खातों में 14,750 करोड़ रूपये हैं।

Last Updated- December 10, 2024 | 7:22 PM IST
There is no trace of more than 11 crore people who opened Jan Dhan bank accounts in the country

सरकार ने मंगलवार को बताया कि प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत खोले गए कुल 54.03 करोड़ खातों में 11.30 करोड़ खाते निष्क्रिय हैं, जिनमें 14, 750.27 करोड़ रुपये की राशि शेष है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने सरकार से योजना के प्रारंभ होने के बाद से खोले गए जन धन खातों की संख्या और वर्तमान में निष्क्रिय के तौर पर वर्गीकृत किए गए खातों की संख्या की राज्यवार जानकारी मांगी थी।

केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री ने संसद में बताया कि प्रधानमंत्री जनधन योजना के निष्क्रिय खातों की संख्या साल 2017 में 39.62 प्रतिशत थी, नवंबर 24 में घटकर यह 20.91 प्रतिशत हो गई। राज्यवार आंकड़ों के मुताबिक उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक करीब 9.63 करोड़ खाते खोले गए हैं और इनमें से करीब 2.34 करोड़ खाते निष्क्रिय हैं। इसी प्रकार पश्चिम बंगाल में खोले गए खातों की संख्या 5.25 करोड़ और निष्क्रिय खातों की संख्या 78.5 लाख हैं। चौधरी की ओर से दिए गए आंकड़ों के मुताबिक कुल निष्क्रिय खातों में कुल 14, 750.27 करोड़ रुपये शेष राशि है।

भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के अनुसार उन बचत और चालू खातों को निष्क्रिय माना जाता है जिनमें दो साल से अधिक समय तक ग्राहक द्वारा कोई लेनदेन नहीं किया गया हो। उन्होंने कहा कि बैंक लगातार सक्रिय खातों के प्रतिशत की निगरानी करने के लिए ठोस प्रयास करते हैं और सरकार द्वारा उक्त प्रगति की नियमित निगरानी की जाती है।

वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि आरबीआई ने बैंकों को सलाह दी है कि वह उन खातों या जमा राशियों की वार्षिक समीक्षा करे जहां एक वर्ष या उससे अधिक समय से ग्राहक द्वारा लेन देन नहीं किया गया हो और इन खातों या जमा राशियों के ग्राहकों का पता लगाने के लिए कदम उठाए। बैंकों को यह सलाह दी गई है कि वह निष्क्रिय खातों की संख्या को कम से काम करने तथा ऐसे खातों को चालू और निर्बाध बनाने की प्रक्रिया को सरल और बाधामुक्त बनाएं।

क्या है प्रधानमंत्री जन-धन योजना (PMJYDY):

प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई), दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहलों में से एक है, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त 2014 को लाल किले की प्राचीर से की थी। 28 अगस्त को कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस अवसर को गरीबों को एक दुष्चक्र से मुक्ति दिलाने का उत्सव बताया था। नरेन्द्र मोदी ने प्राचीन संस्कृत श्लोक का उल्लेख किया था: सुखस्य मूलम धर्म, धर्मस्य मूलम अर्थ, अर्थस्य मूलम राज्यम – जो लोगों को आर्थिक गतिविधियों में शामिल करने की जिम्मेदारी राज्य पर डालता है। प्रधानमंत्री ने कहा, “इस सरकार ने यह जिम्मेदारी स्वीकार की है” और सरकार ने रिकॉर्ड समय में अपना वादा पूरा किया है।

प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) वित्तीय समावेशन के लिए राष्ट्रीय मिशन है, जिसका उद्देश्य किफायती तरीके से बुनियादी बचत और जमा खाते, धन प्रेषण, ऋण, बीमा, पेंशन जैसी वित्तीय सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना है। इस योजना के तहत, बुनियादी बचत बैंक जमा (बीएसबीडी) खाता किसी भी बैंक शाखा या बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट (बैंक मित्र) आउटलेट में खोला जा सकता है, जिनके पास कोई अन्य खाता नहीं है। पीएमजेडीवाई खातों में कोई न्यूनतम शेष राशि बनाए रखने की आवश्यकता नहीं है। पीएमजेडीवाई खातों में जमा राशि पर ब्याज मिलता है।

पीएमजेडीवाई खाताधारक को रुपे डेबिट कार्ड प्रदान किया जाता है। पीएमजेडीवाई खाताधारकों को जारी किए गए रुपे कार्ड के साथ 1 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कवर (28.8.2018 के बाद खोले गए नए पीएमजेडीवाई खातों के लिए 2 लाख रुपये तक बढ़ाया गया) उपलब्ध है। पात्र खाताधारकों को 10,000 रुपये तक की धनराशि उपलब्ध है। पीएमजेडीवाई खाते प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी), प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना (पीएमजेजेबीवाई), प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना (पीएमएसबीवाई), अटल पेंशन योजना (एपीवाई), माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी बैंक (मुद्रा) योजना के लिए पात्र हैं।

PMJYDY के 10 साल पूरे होने पर क्या बोली थी वित्तमंत्री?

इस अवसर पर, केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि वित्तीय समावेशन और सशक्तिकरण को प्राप्त करने के लिए औपचारिक बैंकिंग सेवाओं तक सार्वभौमिक और सस्ती पहुंच आवश्यक है। यह गरीबों को आर्थिक मुख्यधारा में एकीकृत करता है और हाशिए पर पड़े समुदायों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बैंक खाते, छोटी बचत योजनाएं, बीमा और ऋण सहित सार्वभौमिक, सस्ती और औपचारिक वित्तीय सेवाएं प्रदान करके, पीएम जन धन योजना ने पिछले एक दशक में देश के बैंकिंग और वित्तीय परिदृश्य को बदल दिया है।

वित्तमंत्री सीतारमण ने बताया कि इस पहल की सफलता 53 करोड़ लोगों को जन धन खाते खोलने के माध्यम से औपचारिक बैंकिंग प्रणाली में लाने में परिलक्षित होती है। इन बैंक खातों में 2.3 लाख करोड़ रुपये की जमा राशि जमा हुई है और इसके परिणामस्वरूप 36 करोड़ से अधिक निःशुल्क RuPay कार्ड जारी किए गए हैं, जो 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा कवर भी प्रदान करते हैं। 67% खाते ग्रामीण या अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं और 55% खाते महिलाओं द्वारा खोले गए हैं।

First Published - December 10, 2024 | 7:21 PM IST

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