अरविंद पानगड़िया की अध्यक्षता में 16वें वित्त आयोग की पहली बैठक बुधवार को हुई। इस बैठक में आयोग ने कार्य क्षेत्र (टर्म्स आफ रेफरेंस) पर चर्चा की। प्रेस को दिए गए बयान में कहा गया है कि 16वां वित्त आयोग विस्तृत विश्लेषणात्मक काम करेगा और राजकोषीय संघीय संबंधों पर काम करने वाले प्रमुख शोध संगठनों, प्रमुख थिंक टैंक अन्य संगठनों की विशेषज्ञता को इसमें शामिल करेगा।
संविधान के अध्याय 1, भाग 12 के तहत संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय का वितरण और राज्यों के बीच ऐसी आय में हिस्सेदारी के बंटवारे को कैबिनेट द्वारा अनुमोदित कार्य क्षेत्र (टीओआर) में शामिल किया गया है।
एक अन्य कार्य क्षेत्र में भारत की समेकित निधि से राज्यों को राजस्व की सहायता का अनुदान और राज्यों को उनके राजस्व की अनुदान सहायता के माध्यम से भुगतान की जाने वाली राशि को नियंत्रित करने वाले सिद्धांतों के बारे में है। कार्य क्षेत्र के अनुसार वित्त आयोग, पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों की पूर्ति के लिए राज्य की समेकित निधि को बढ़ाने के लिए आवश्यक उपायों के बारे में भी सुझाव देगा।
बयान में कहा गया है, ‘16वें वित्त आयोग ने राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों, भारत सरकार के मंत्रालयों व विशेषज्ञों सहित सभी हिस्सेदारों और इस सिलसिले में व्यापक परामर्श की जरूरतों को स्वीकार किया है।’ यह बैठक जवाहर व्यापार भवन, नई दिल्ली में हुई।
आयोग अपनी सिफारिशें 31 अक्टूबर, 2025 तक दे देगा, जिसकी अवधि 5 साल के लिए होगी और यह 1 अप्रैल, 2026 से प्रभावी होगा। आयोग के पूर्णकालिक सदस्यों में पूर्व व्यय सचिव और 15वें वित्त आयोग के सदस्य रहे अजय नारायण झा, पूर्व विशेष सचिव व्यय ऐनी जॉर्ज मैथ्यू और अर्थ ग्लोबल के कार्यकारी निदेशक निरंजन राजाध्यक्ष शामिल हैं।
भारतीय स्टेट बैंक के ग्रुप चीफ इकोनॉमिक एडवाइजर सौम्यकांति घोष को आयोग का अंशकालिक सदस्य नियुक्त किया गया है। वित्त आयोग संवैधानिक निकाय है। इसका गठन हर 5 साल पर होता है।