कंपनियों व आयकर विभाग के बीच 20 साल पुराने सॉफ्टवेयर रॉयल्टी कर विवाद पर उच्चतम न्यालय के फैसले के बाद केंद्र सरकार को हर साल 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा राजस्व गंवाना पड़ सकता है।
सूत्रों के मुताबिक राजस्व विभाग शीर्ष न्यायालय के आदेश का अध्ययन कर रहा है और इस पर कानूनी राय ले रहा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘कर को लेकर हमने कुछ आंतरिक आकलन किया है। हम मौजूदा परिभाषा या कानून में संशोधन के मसले पर भी विचार कर रहे हैं।’
शीर्ष न्यायालय ने 2 मार्च को टेक कंपनियोंं के पक्ष में फैसला देते हुए कहा था कि किसी प्रवासी द्वारा सॉफ्टवेयर की बिक्री पर सीमा पार भुगतान पर रॉयल्टी के रूप में कर नहीं दिया जा सकता। अब तक सॉफ्टवेयर कंपनियों को 10 प्रतिशत रॉयल्टी कर का भुगतान करना पड़ता था।
मिल रही जानकारी के मुताबिक न्यायालय के आदेश के बाद कुछ टेक फर्मों ने कर विभाग से कर के रिफंड के लिए संपर्क साधा है, जो पहले ही चालू वित्त वर्ष के लिए विदेशी फर्मों से सॉफ्टवेयर खरीद के मद में ले लिया गया है। बहरहाल उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा कि पहले के वर्षों के लिए ऐसा तभी होगा जब कंपनियों के पक्ष में उनके व्यक्तिगत मामलों में आदेश मिल जाए।
सूत्रों ने कहा कि डिजिटल दिग्गज फेसबुक और एमेजॉन सहित सैकड़ों कंपनियां हैं, जो कर विभाग से कर रिफंड की मांग कर सकती हैं, जिन्होंने भारत में बेचने के लिए सॉफ्टवेयर का आयात किया है और अब इसे कारोबारी आमदनी मानी जाएगी और ऐसे में रॉयल्टी के रूप में स्रोत पर कर नहीं काटा जाएगा। साथ ही विदेशी कंपनियां या विक्रेता जिनका कोई कारोबारी संबंध या भारत में स्थायी प्रतिष्ठान नहीं है, उन्हें कारोबारी आमदनी पर कर देने की जरूरत नहीं होगी।
अंतरराष्ट्रीय कराधान से जुड़े अधिकारियों का मानना है कि इस आदेश से विसंगतियां खत्म होंगी और कई पहलुओं पर बहुप्रतीक्षित स्पष्टता आएगी। एक अधिकारी ने कहा कि इस फैसले से साफ हो गया है कि सॉफ्टवेयर लेने के लिए किया गया भुगतान वस्तुओं की खरीद है, रॉयल्टी के लिए भुगतान नहीं। इसकी व्याख्या ज्यादा आसान होगी क्योंकि सॉफ्टवेयर को हम मालिक के रूप में लेते हैं, लाइसेंस के रूप में नहीं।
साथ ही फैसले से यह भी निश्चित हो गया है कि अंतिम उपभोक्ता कॉपीराइट वाला सामान पाता है, न कि सॉफ्टवेयर का कॉपीराइट मिलता है, जब वह सॉफ्टवेयर खरीदता है। ऐसे में इस तरह की खरीद पर कोई रॉयल्टी भुगतान नहीं होगा।
शीर्ष न्यायालय ने 2 मार्च को सैमसंग इलेक्ट्रॉनिक्स, आईबीएम, ह््यूलिट पैकर्ड, एम्फेसिस, सोनाटा सॉफ्टवेयर, जीई इंडिया और अन्य व आयकर विभाग के बीच लंबे समय से चल रहे विवाद पर फैसला दिया था। इस मसले पर शीर्ष न्यायालय में करीब 86 अपील और क्रॉस अपील सॉफ्टवेयर कंपनियों व आयकर विभाग की ओर से दायर की गई थी।