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नई परियोजनाओं में 58 प्रतिशत गिरावट

Last Updated- December 12, 2022 | 12:35 AM IST

नई परियोजनाओं में उल्लेखनीय तेजी का अभी इंतजार है। सितंबर तिमाही में पिछले साल की समान अवधि की तुलना में नई परियोजनाएं मूल्य के आधार पर 59.3 प्रतिशत कम हुई हैं। मार्च, 2021 तिमाही की तुलना में यह 58.3 प्रतिशत कम है। पूरी हो चुकी परियोजनाएं पिछले साल की तुलना में 9 प्रतिशत और पिछली तिमाही की तुलना में 18.3 प्रतिशत बढ़ी हैं।  
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर तिमाही में नई परियोजनाओं का मूल्य 1.05 लाख करोड़ रुपये रहा है। पिछले साल की समान तिमाही और मार्च, 2021 तिमाही में यह 2.5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा था।
सीएमआईई के आंकड़ों में निजी और सरकारी पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) शामिल होता है। पूंजीगत व्यय में सुधार को आर्थिक रिकवरी के महत्त्वपूर्ण हिस्से के रूप में देखा जाता है।
भारतीय रिजर्व बैंक के ऑर्डर बुक्स, इन्वेंट्रीज  ऐंड कैपेसिटी यूटिलाइजेशन सर्वे (ओबीआईसीयूएस) के मुताबिक मार्च तिमाही में क्षमता का उपयोग बढ़ा है। आंकड़ा एक अंतराल के साथ जारी किया जाता है। कोविड-19 की दूसरी लहर का असर जून तिमाही में पड़ा है। तब तक सर्वे में सुधार नजर आ रहा है।
इसमें कहा गया है, ‘कुल मिलाकर क्षमता उपयोग (सीयू) का स्तर 2020-21 की चौथी तिमाही में बढ़कर 69.4 प्रतिशत हो गया है, जबकि इसके पहले की तिमाही में 66.6 प्रतिशत था। मार्च, 2021 के मध्य में आई दूसरी लहर के बाद कोविड-19 महामारी से जुड़े प्रतिबंध को धीरे धीरे कम किए जाने के बाद मांग की स्थिति में धीरे धीरे सुधार के कारण ऐसा हुआ है।’
क्षमता उपयोग का मापन इस तरह होता है कि विनिर्माण में लगी कंपनियां अपनी क्षमता का कितना उपयोग कर पा रही हैं। कंपनियां अतिरिक्त क्षमता बढ़ाने पर तभी निवेश करती हैं, जब वह अपनी मौजूदा क्षमता का पूरा इस्तेमाल कर रही होती हैं और मांग बढ़ती है। मार्च के आंकड़ों से पता चलता है कि कुल क्षमता के 30 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से का उपयोग नहीं हो पा रहा है।
पूंजीगत वस्तुओं में मशीनरी और टूल्स शामिल होते हैं, जिनका इस्तेमाल फैक्टरियों में अन्य सामान बनाने के लिए होता है। अगर उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए ज्यादा फैक्टरियों की स्थापना होती है और इसमें निवेश बढ़ता है तो पूंजीगत वस्तुओं में विशेषज्ञता वाली कंपनियों का प्रदर्शन बेहतर होता है। एसऐंडपी बीएसई कैपिटल गुड्स इंडेक्स सितंबर महीने में सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। अक्टूबर, 2020 के बाद से यह लगभग दोगुना हो गया है। इसमें से कुछ बाजार के सामान्य उत्साह की वजह से हो सकता है, जिसने एसऐंडपी बीएसई सेंसेक्स को नए सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा दिया है।
एक स्वतंत्र बाजार विश्लेषक अजय बोडके ने कहा, ‘तुलनात्मक रूप से अभी भी यह सेक्टर नीचे है।’ उन्होंने कहा कि यह उम्मीद की जा रही थी कि कुछ समय के लिए निजी क्षेत्र का पुनरुद्धार होगा, लेकिन त्योहारों के मौसम में ही अब कुछ मांग बढऩे की संभावना है। उन्होंने कहा कि अगली दो तिमाहियों पर नजदीकी से नजर रखने की जरूरत होगी। पूंजीगत व्यय का चक्र बहाल हो सकता है, अगर अगले 3-6 महीनों के दौरान मांग बेहतर रहती है।
ईवाई इंडिया के सितंबर, 2021 के इकोनॉमी वाच के मुताबिक सरकार भी पूंजीगत व्यय बढ़ाने में सक्षम हो सकती है, क्योंकि केंद्रीय कर के आंकड़ों में सुधार हुआ है। इसने कहा है कि वित्त वर्, 2021-22 के लिए राजकोषीय घाटे का अनुमान अर्थव्यवस्था को समर्थन देने वाला है। सकल घरेलू उत्पाद, जिसके आधार पर अर्थव्यवस्था का आकार पता चलता है, महामारी के पहले के स्तर से नीचे बना हुआ है।
ईवाई के मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव की अध्यक्षता में  बनी टीम की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘सरकार वित्त वर्ष 22 के बजट में अनुमानित व्यय को लेकर आरामदायक स्थिति में रह सकती है, यहां तक कि बजट में उल्लिखित राशि की तुलना में ज्यादा खर्च करने में भी सक्षम हो सकती है। वित्त वर्ष 22 के लिए बजट में राजकोषीय घाटा जीडीपी का 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है, जिससे संकेत मिलता है कि सरकार मांग को समर्थन करने के लिए प्रोत्साहन जारी रखने की जरूरत महसूस कर रही है।’

First Published - October 2, 2021 | 12:06 AM IST

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