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राज्यों में काम पर और दफ्तर जाने वालों की तादाद 80 फीसदी

Last Updated- December 12, 2022 | 7:06 AM IST

देश के उन राज्यों में अधिकांश लोग अपना काम शुरू कर चुके हैं जहां की अर्थव्यवस्था बड़ी है। गूगल मोबिलिटी डेटा के एक विश्लेषण के मुताबिक कार्यस्थल और दफ्तर जाने वालों की तादाद महामारी से पहले के समय की तरह ही 80.95 प्रतिशत के बीच है। इनमें महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और गुजरात के कार्यस्थलों और दफ्तरों का जायजा लिया गया। राज्य की अर्थव्यवस्थाओं से जुड़े भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार इन राज्यों की अर्थव्यवस्था सबसे बड़ी है।
सर्च इंजन गूगल, विभिन्न श्रेणियों वाली जगहों पर जाने वाले लोगों का जायजा लेता है। इनमें मनोरंजन वाली जगहें, ट्रांजिट स्टेशन जैसे सबवे के साथ-साथ अन्य जगह भी शामिल हैं। बिज़नेस स्टैंडर्ड ने कार्यस्थलों पर जाने वाले लोगों के राज्यवार डेटा का जायजा लिया जिसे गूगल कोविड से पहले के दौर के आंकड़ों के साथ तुलना करते हुए मुहैया कराता है। इनमें से प्रत्येक में विभिन्न तरह की सामान्य स्थिति दिखाई देती है। उत्तर प्रदेश में दफ्तरों और कार्यस्थलों पर जाने वालों की दर 94.4 प्रतिशत है। इसके बाद तमिलनाडु में यह दर 89.3 प्रतिशत और गुजरात में 89 प्रतिशत है। महाराष्ट्र में कार्यस्थल जाने वालों की दर 80.4 फीसदी जबकि कर्नाटक में 79.9 प्रतिशत है। कार्यस्थल जाने वालों की तादाद पिछले साल कम होकर 75 फीसदी से 59 फीसदी के बीच हो गई। केवल आवश्यक सेवाओं से जुड़े लोगों को मार्च 2020 में घोषित लॉकडाउन के दौरान काम करने की इजाजत थी जो कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने में जुटे थे।
सामान्य परिस्थिति में अंतर की कई वजहें हो सकती हैं जिनमें किसी वक्त में नए मामलों की संख्या, संक्रमण को नियंत्रित करने के राज्य सरकारों के रुख और किसी राज्य की अर्थव्यवस्थाओं की प्रकृति जैसे कारक भी शामिल हो सकते हैं।
कार्यस्थलों और दफ्तर में जाने वालों की सबसे कम संख्या कर्नाटक में है। जिन राज्यों का जायजा लिया जा रहा है उन राज्यों में इस राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सेवा क्षेत्र का योगदान सबसे अधिक है। पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के ताजा आंकड़ों के अनुसार, राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में 64 फीसदी योगदान सेवा क्षेत्र का है। कर्नाटक सूचना प्रौद्योगिकी का एक केंद्र है। इस क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों ने कर्मचारियों को घर से काम करने की स्थायी अनुमति देने की बात कही है क्योंकि कारखानों में काम करने वालों की तरह बाकी नौकरियों में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने की उतनी आवश्यकता नहीं होती है। इसका मतलब यह होगा कि कार्यस्थल या दफ्तर जाने वालों की तादाद भले ही कम हो जाए लेकिन आर्थिक गतिविधियां जारी हैं।
लेकिन अन्य संकेतक इन राज्यों की आर्थिक गतिविधियों में अंतर को दर्शाते हैं। वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह भी एक ऐसा ही प्रतिनिधिजनक संकेत है जिससे यह अंदाजा मिलता है कि महामारी के बाद विभिन्न राज्यों के जीएसटी संग्रह में समान रुझान नहीं देखा गया। फ रवरी महीने के ताजा आंकड़ों के मुताबिक देश में इस लिहाज से 7 फ ीसदी की वृद्धि देखी गई। अलग-अलग राज्यों के लिए जीएसटी संग्रह की संख्या 2 फ ीसदी से 14 प्रतिशत के बीच है। आर्थिक संकेतकों में तेजी के बावजूद ये आंकड़े दिख रहे हैं। वृहद आर्थिक आंकड़ों की तुलना में ये आंकड़े जल्दी जारी किए जाते हैं लेकिन ये वृद्धि की दिशा के सूचक हो सकते हैं। भारतीय रेलवे ने फ रवरी के अंतिम सप्ताह में पिछले साल के इसी समान हफ्ते की तुलना में अधिक माल ढुलाई की जबकि पिछले साल यह दौर महामारी की वजह से लॉकडाउन लगाने की घोषणा से पहले का वक्त था। देश में बिजली उत्पादन की मात्रा से भी आर्थिक गतिविधियों का अंदाजा मिलता है। इसी अवधि में इसकी दर 4.5 प्रतिशत से अधिक थी।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने सुझाव दिया कि यह राज्य के प्रदर्शन के स्पष्ट संकेतकों के उभरने से पहले के संकेत हैं। उन्होंने कहा कि जीएसटी की कुछ संख्या खपत के रुझान का संकेत हो सकता है जो रेस्तरां जैसी जगहों को खोलने और कितने लंबे समय तक खोले रखने के किसी राज्य सरकार के रुख पर निर्भर करेगा। वह कहते हैं, ‘मुझे लगता है कि महाराष्ट्र गुजरात की तुलना में कम खुला है।’
देश के सभी राज्यों में महाराष्ट्र की जीडीपी सबसे बड़ी है। इस महीने की शुरुआत में जारी महाराष्ट्र की आर्थिक समीक्षा में कहा गया था कि विनिर्माण और सेवा दोनों क्षेत्रों में गिरावट आने की उम्मीद है। दरअसल, चालू वित्त वर्ष के दौरान एक को छोड़कर अर्थव्यवस्था के बाकी सभी क्षेत्रों में गिरावट आई। इसकी वजह से राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में 8 फ ीसदी की कुल गिरावट आई है।  
इसमें कहा गया, ‘अर्थव्यवस्था के तीन प्रमुख क्षेत्रों, ‘कृषि और संबद्ध गतिविधियों’ वाला क्षेत्र ही एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जिसने सकारात्मक योगदान दिया और उम्मीद है कि अच्छे मानसून की वजह से इसमें 11.7 फीसदी की वृद्धि होगी।’

First Published - March 12, 2021 | 11:53 PM IST

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