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विशेषज्ञों के मुताबिक आर्थिक बहाली की राह लंबी

Last Updated- December 14, 2022 | 11:03 PM IST

आर्थिक बहाली को लेकर हाल के तमाम आंकड़ों ने बेहतरी के संकेत दिए हैं, लेकिन गहराई से विश्लेषण करने पर पता चलता है कि आर्थिक रिकवरी की राह अभी बहुत लंबी है।
वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) संग्रह सितंबर महीने में 95,000 करोड़ रुपये से ज्यादा रहा है, जो न सिर्फ 7 महीनों में सबसे ज्यादा है, बल्कि पिछले साल सितंबर की तुलना में भी 4 प्रतिशत अधिक है। इसी तरह से निर्यात सितंबर महीने में पिछले साल की तुलना में 5 प्रतिशत बढ़ा है और पिछले 7 महीनों में पहली बार इसमें वृद्धि दर्ज की गई है। इसी तरह से उर्वरक की बिक्री, पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई), बिजली खपत में बढ़ोतरी, कारों की बिक्री से भी आर्थिक बहाली के संकेत मिल रहे हैं।
वहीं कुछ क्षेत्रों में रिकवरी अभी शुरुआती स्तर पर है। उदाहरण के लिए गैर तेल, गैर स्वर्ण आयात सितंबर में 13 प्रतिशत कम रहा। कर्ज जा अनुपात भी बढ़ रहा है। इसी तरह से नई परियोजनाओं में पूंजीगत व्यय पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 81 प्रतिशत कम हुआ है।
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पूर्व चेयरमैन  सी रंगराजन ने कहा, ‘मुझे लगता है कि जीएसटी संग्रह व कुछ अन्य आंकड़े साफतौर पर संकेत दे रहे हैं कि धीरे धीरे अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है और यह कोविड के पहले के स्तर पर पहुंच रही है। लेकिन इससे यह संकेत नहीं मिलता कि नुकसान की भरपाई हो रही है।’ उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में वास्तविक तेजी तब पता चलेगी, जब इस तरह की गति आने वाले महीनों में बरकरार रहती है। रंगराजन ने जोर देते हुए कहा, ‘कोविड के पहले के स्तर पर आना महत्त्वपूर्ण है। लेकिन साथ ही इस साल अप्रैल तक हुए नुकसान की भरपाई अहम है।’ पूर्व सांख्यिकीविद प्रणव सेन ने कहा कि कोई भी इन आंकड़ों सकारात्मक ही कहेगा। उन्होंने कहा, ‘सब कुछ इस पर निर्भर है कि आप तुलना किससे कर रहे हैं। यह मसला अहम है कि क्या यह टिकाऊ रहेगा।’
इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंसेज के मैल्कम आदिशेषैया चेयर प्रोफेसर और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र पढ़ा चुके अरुण कुमार ने कहा कि अनलॉक होने के बाद सकारात्मक संकेत मिलने ही थे, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि रिकवरी उस स्तर पर पहुंच गई है, जहां पहले थी। उन्होंने जीएसटी संग्रह के आंकड़ों पर भी संदेह जताया। कुमार ने कहा, ‘तर्क यह है कि जीएसटी संग्रह बढ़ा है, इसलिए उत्पादन ठीक हो गया। यह सही नहीं है क्योंकि हम जानते हैं कि 40 प्रतिशत एयरलाइंस ही परिचालन में हैं। होटल, रेस्टोरेंट, पर्यटन की स्थिति खराब है। एफएमसीजी उत्पादों की मांग भी पहले के स्तर पर नहीं पहुंची है।’ उन्होंने कहा कि जीएसटी के आंकड़ों से समग्र स्थिति नहीं स्पष्ट होती क्योंकि कुछ कारोबारियों ने संकेत दिए हैं कि रिफंड रोक रखा गया है। साथ ही जिन कंपनियों का कारोबार 5 करोड़ से कम है, उन्हें सितंबर तक रिटर्न दाखिल करने का वक्त दिया गया था और जिनका कारोबार 5 करोड़ रुपये से ऊपर है, उन्हें जून तक का वक्त दिया गया था।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जीएसटी संग्रह में बढ़ोतरी राहत बनकर आई है, लेकिन इसके स्थिर बने रहने को लेकर स्थिति अभी साफ नहीं है। पीएमआई के आंकड़ों के बारे में उन्होंने कहा कि इससे पहले के महीनों की तुलना में सितंबर में सुधार के संकेत मिलते हैं, जो लगातार अनलॉक की वजह से हुआ है। उन्होंने कहा, ‘कुल मिलाकर सितंबर के उपलब्ध अहम आंकड़ों से यह पता चलता है कि टुकड़ों में रिकवरी चल रही है।’

First Published - October 5, 2020 | 11:48 PM IST

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