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भारत की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाई देने के लिए कृषि और श्रम सुधार जरूरी – नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी

नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने बीएस मंथन में कहा – ‘एग्री टाइगर’ भारत को संरचनात्मक सुधारों से मिलेगी नई रफ्तार, श्रम और निवेश माहौल में बदलाव जरूरी

Last Updated- March 01, 2025 | 7:41 AM IST
Suman Bery, Vice Chairperson, Niti Aayog

नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी का कहना है कि वैश्विक बदलावों के बीच भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए देश के कृषि एवं श्रम क्षेत्रों का कायाकल्प किया जाना बेहद जरूरी है। 28 फरवरी को बिजनेस स्टैंडर्ड के वार्षिक कार्यक्रम बीएस मंथन में ‘द ग्रेट रिसेट: इंडिया इन ए न्यू वर्ल्ड ऑर्डर’ विषय पर आयोजित फायरसाइड चैट में बेरी ने कृषि को आधुनिक बनाने और श्रम बल में अधिक महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए संरचनात्मक सुधारों की जरूरत पर जोर दिया।

बेरी ने भारत को गैर-इस्तेमाल क्षमता वाला ‘एग्री टाइगर’ बताया। उन्होंने कहा, ‘हमें मुक्त होने की आवश्यकता है, लेकिन हम फंस गए हैं।’ उन्होंने कहा कि मौजूदा कृषि मॉडल ने खाद्यान्न की कमी को दूर किया, लेकिन अब इसमें बदलाव की आवश्यकता है।

उन्होंने उत्पादकता और दक्षता में सुधार के लिए बागवानी और फसलों की खेती को समान स्तर पर बढ़ावा दिए जाने का आह्वान किया। श्रम के मुद्दे पर, बेरी ने फॉर्मलाइजेशन यानी औपचारिकीकरण के महत्व पर बल दिया। उन्होंने रोजगार ढांचों पर वैश्विक अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा, ‘श्रम अनुबंधों और श्रम बल का औपचारिकीकरण महत्वपूर्ण है, और संभवतः श्रम कानून ही हैं जो मध्यम और बड़े पैमाने के उद्यमों को श्रमिकों को काम पर रखने से परहेज करते हैं।’

बेरी ने श्रम बल में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की जरूरत पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, ‘हमारा बेहद कम इस्तेमाल संसाधन महिलाएं हैं। प्रधानमंत्री ने शुरू से ही इस पर ध्यान केंद्रित किया है और महिला श्रम शक्ति भागीदारी में प्रगति भी हुई है।’

भारत के श्रम बाजार की अखंडता को बरकरार रखना भी एक अन्य मुख्य चिंता रही है। बेरी ने देश की विविध जनसांख्यिकीय प्रवृत्तियों को संतुलित बनाने के लिए मौसमी प्रवास के लिए भी, राज्यों में निर्बाध श्रम गतिशीलता सुनिश्चित करने के महत्व पर प्रकाश डाला। वृद्धि के लिए वैश्विक वित्तीय स्थिरता बहुत जरूरी है। वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में आ रहे बदलाव पर चर्चा के दौरान बेरी ने स्वीकार किया कि व्यापार और टैरिफ पर अमेरिकी नीतियों का प्रभाव देखने को मिलेगा।

उन्होंने कहा कि भारत चूंकि पारंपरिक रूप से विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों से बंधा है, इसलिए हालिया घटनाक्रम ने उसे अपनी स्थिति का आकलन करने को बाध्य किया है। उन्होंने कहा, ‘फिलहाल हमारी जरूरत 7 प्रतिशत वृद्धि हासिल करना है

और इस लक्ष्य को पाने का एक तरीका कम टैरिफ भी है।’ बेरी ने इस ओर भी इशारा किया कि देश में निवेश की स्थितियों में भी सुधार की सख्त आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘हमें घरेलू और विदेशी दोनों तरह के निवेशकों के लिए निवेश वातावरण को बेहतर बनाना होगा। व्यापार समझौते इस प्रकार हों कि उनसे भारत को अधिक से अधिक फायदा हो।’

जलवायु एवं ऊर्जा के मोर्चे पर बेरी ने टिकाऊ ऊर्जा की ओर बढ़ने की दिशा में उभरती वित्तीय चुनौतियों को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘वृद्धि को गति देने के लिए वित्तीय अनुकूलन में राजकोषीय चुनौती वास्तविक मुद्दा है।’ नीति आयोग के उपाध्यक्ष ने कहा कि शहरी एवं श्रम सुधारों में राज्य सरकारें स्वतंत्र रूप से पहल कर रही हैं। इस मामले में राष्ट्रीय स्तर पर समन्वयक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

बेरी ने विशेषकर अमेरिका-चीन-रूस संबंधों के मद्देनजर बदलते वैश्विक ऊर्जा ढांचे की ओर भी ध्यान खींचा। उन्होंने कहा, ‘किसिंजर के समय अमेरिका सोचता था कि रूस और चीन के बीच एक दरार बनाना बहुत महत्त्वपूर्ण है। उसी तरह आज भी यह भारत के हित में है कि रूस और चीन

आपस में मिलकर न चलें। ट्रंप के आने से यह संभव हो सकता है।’ वैश्विक स्तर पर उभरती चुनौतियों से संबंधित एक सवाल के जवाब में बेरी ने इतिहास का उदाहरण देते हुए द्वित्तीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका का प्रभाव बढ़ने का जिक्र किया।

उन्होंने कहा, ‘द्वित्तीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिका के बढ़ते प्रभुत्व के साथ कहानी की शुरुआत होती है। कारण कुछ भी रहे हों, उन्होंने कई संस्थानों जैसे संयुक्त राष्ट, विश्व बैंक, आईएमएफ आदि की स्थापना की। हमें एक बात स्पष्ट रूप से समझ लेनी चाहिए कि कई बार इन संस्थाओं ने उनके हिसाब से काम नहीं किया। उनकी कार्यप्रणाली उन्हें जब-जब चुभी, उन्होंने इनमें बदलाव किया। निक्सन द्वारा ब्रेटन वुड्स सिस्टम से बाहर आना इसका उदाहरण है।’

First Published - March 1, 2025 | 7:41 AM IST

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