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क्षमता से कम बढ़ रही भारतीय अर्थव्यवस्था की औसत वृद्धि दर: MPC सदस्य जयंत आर. वर्मा

RBI की MPC के सदस्य जयंत आर. वर्मा ने कहा कि यदि अर्थव्यवस्था पर अत्यधिक दबाव नहीं पड़ता है तो वास्तविकता में उच्च ब्याज दर की कोई आवश्यकता नहीं है।

Last Updated- February 23, 2024 | 11:59 PM IST
“Expect real repo rate to remain elevated for extended period”

भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति के सदस्य जयंत आर. वर्मा ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था की औसत वृद्धि दर अपनी क्षमता से अपर्याप्त रही है। महामारी से पहले औसत वृद्धि दर 4.25 प्रतिशत रही। उन्होंने मनोजित साहा को दिए साक्षात्कार में कहा कि यदि अर्थव्यवस्था पर अत्यधिक दबाव नहीं पड़ता है तो वास्तविकता में उच्च ब्याज दर की कोई आवश्यकता नहीं है। ऐसे में उच्च ब्याज दर से वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

आपने तटस्थ के रुख में बदलाव के साथ ब्याज में 25 आधार अंक कटौती करने के लिए मतदान दिया था। आपको क्यों लगता है कि रीपो रेट में कटौती शुरू करनी चाहिए जबकि अभी महंगाई को 4 प्रतिशत के लक्ष्य पर पहुंचना है?

महंगाई के चार प्रतिशत के लक्ष्य के करीब रहने तक सतत आधार पर वास्तविक ब्याज दर को उच्च (मेरे विचार से 1-1.5 प्रतिशत) रखना है। इसका अर्थ यह नहीं है कि नॉमिनल ब्याज दर में कटौती नहीं होनी चाहिए। महंगाई कम होने का मतलब है कि नियमित रूप से बढ़ती दरों में रीपो दर को 6.5 प्रतिशत पर यथावत रखा जाए। ऐसे में ऊंची नीति दर बने रहना अनावश्यक है।

क्या आपको नहीं लगता है कि यदि आरबीआई तटस्थ रुख रखता तो बाजार जश्न मनाता?

यह अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है कि महंगाई के खिलाफ लड़ाई में समय से पहले जीत की घोषणा नहीं की जाए और मैं इसका समर्थक भी हूं। यह अत्यधिक जरूर है कि अंतिम छोर तक अवस्फीति को सफलतापूर्वक हासिल किया जाए। इसके लिए खास सीमा में उच्च ब्याज दर की जरूरत होती है। मेरा विचार यह है कि उच्च वास्तवकि ब्याज दर केवल 1-1.5 प्रतिशत है। यह दो प्रतिशत नहीं है।

आपको लगता है कि भारत के लिए 2 प्रतिशत वास्तविक ब्याज दर अधिक है?

मेरा मानना है कि जब शेष दुनिया की तुलना में वृद्धि जबरदस्त है तो अभी भी भारत की अर्थव्यवस्था अपनी क्षमता से कम वृद्धि कर रही है। महामारी से पूर्व के दौर में औसत वृद्धि दर 4.25 प्रतिशत रही जो हमारी उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती है। यदि अर्थव्यवस्था पर अत्यधिक दबाव ही है तो वास्तविक ब्याज दर की कोई जरूरत नहीं है और इससे आर्थिक वृद्धि बाधित हो सकती है।

आपको कैसे भरोसा हुआ कि देश में 8 प्रतिशत से अधिक विकास दर की संभावना है?

हमने बीते कुछ वर्षों से महत्त्वपूर्ण सुधार किए हैं और आधारभूत ढांचे में भी निवेश बढ़ा है। इसे अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण से भी बढ़ावा मिला है। इससे मेरे विचार से आर्थिक वृद्धि दर बढ़ चुकी है।

First Published - February 23, 2024 | 11:59 PM IST

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