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लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था तबाह : बजाज

Last Updated- December 15, 2022 | 8:12 PM IST

बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक राजीव बजाज ने कहा कि देशव्यापी लॉकडाउन का आज 72 दिन पूरे हो गए हैं और इसकी वजह से देश की वृद्घि दर सपाट हो गई है। बजाज ने कहा कि लॉकडाउन संक्रमण के प्रसार को रोकने के मकसद से किया गया था लेकिन इसने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्घि को ही सपाट कर दिया। उन्होंने कहा कि देश के लोगों का मोनबल बढ़ाने की जरूरत है और मांग को बढ़ावा देने के लिए लोगों की जेब में ज्यादा पैसे डालने चाहिए।
कोविड-19 संक्रमण का डर गहरा रहा है, ऐसे में लॉकडाउन खत्म करना कठिन काम होगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को सामने आकर लोगों के मन से यह भय निकालना होगा और वृद्घि के चक्र को बढ़ाना होगा।
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के साथ बातचीत में बजाज ने कोविड महामारी की रोकथाम के लिए सरकार के नीति निर्माताओं की आलोचना करते हुए कहा कि लॉकडाउन ‘कठोर’ था जिसने अर्थव्यवस्था को तबाह कर दिया। उन्होंने कहा, ‘हमें मांग को बढ़ाना होगा और कुछ ऐसा करना होगा जिससे लोगों का मनोबल बढ़ सके।’
बजाज ने कहा, ‘मैं यह समझ नहीं पा रहा कि सरकार ने इस दिशा में ठोस पहल क्यों नहीं की। पिछले करीब छह माह से मांग में नरमी है। ऐसे में मांग को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन देने और लोगों के मनोबल को बढ़ाने के उपाय करने चाहिए।’ बजाज ने कहा कि उनके एक दोस्त की डेट्रायट में छोटी सी कंपनी है जिसमें आठ लोग काम करते हैं। संकट की इस घड़ी में उसे पूरा मुआवजा और कई अन्य मदद भी दी गई जिससे उन्हें कंपनी को चलाने में मदद मिली। अमेरिका में प्रभावित प्रति व्यक्ति को 1000 डॉलर की मदद दी गई। जापान में भी ऐसा किया गया। उन्होंने कहा, ‘हम यहां प्रोत्साहन की बात नहीं कर रहेे हैं। हम मदद की बात कर रहे हैं चाहे वह बड़े कारोबार हों, छोटे कारोबार हों या आम व्यक्ति।’ बजाज ने कहा कि कई लोगों ने बताया कि दुनिया में कई जगहों पर वहां की सरकारों ने दो-तिहाई प्रोत्साहन संस्थानों और लोगों को सीधे लाभ के तौर पर दिया है। भारत में ऐसा केवल 10 फीसदी किया गया।
बजाज से राहुल ने रविवार को यह चर्चा की थी जिसे कांग्रेस पार्टी ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आज जारी किया। इसमें राहुल ने कहा किमौजूदा परिस्थिति में साहसपूर्वक उनसे बातचीत करने के लिए वे बजाज की सराहना करते हैं। इस पर बजाज ने कहा कि उनके दोस्तों ने उन्हें इस तरह की बात नहीं करने की सलाह दी थी।
बजाज ने कहा कि भारत ने कठोर लॉकडाउन लागू करने का प्रयास किया। लेकिन इससे संक्रमण का वायरस खत्म नहीं हुआ और जब भी पूरी तरह से अनलॉक होगा, इसका खतरा बना रहेगा।
अनलॉक-1 के बारे में बजाज ने कहा, ‘सुगम, ठोस, सुव्यवस्थित अनलॉकिंग का अभाव है और एक तरह का डर है कि इससे संक्रमण बढ़ सकता है।’    
बजाज ने कहा कि सरकार ने तथ्यों, तर्कों और सच को सही तरीके से पेश नहीं किया। इससे लोगों के मन में और डर समा गया है। उन्होंने कहा कि अब लोगों को वायरस के साथ जीना सीखने के लिए समझाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बजाज ने कहा, ‘प्रधानमंत्री जब कुछ कहते हैं, भले ही यह सही हो या गलत, मगर लगता है कि लोग उनका अनुसरण करते हैं। इसलिए उन्हें आगे आकर सभी से यह कहना चाहिए कि हम इस तरह आगे बढऩे जा रहे हैं, सभी स्थितियां नियंत्रण में हैं, संक्रमण से डरें नहीं, आप जानते हैं कि लगभग कोई नहीं मर रहा है और अब हमें आगे कदम बढ़ाना चाहिए।’ राहुल गांधी ने कहा कि सरकार को ज्यादा विकेंद्रित तरीका अपनाना चाहिए था और राज्यों को ज्यादा स्वतंत्रता देनी चाहिए थी, जो आखिर अब हो रहा है। इस पर बजाज ने कहा, ‘एक सामान्य नागरिक के रूप में हमारे नजरिये से यह रणनीति बनाने का अधिकार देने के लिए नहीं बल्कि जिम्मेदारी को दूसरे के कंधों पर डालने के लिए हो रहा है।’
बजाज ने कहा कि भारत ने पश्चिमी देशों के अनुभव की देखादेखी कर गलती की। उन्होंने कहा कि भारत को यह देखना चाहिए कि कैसे कुछ एशियाई देश इस संकट से निपट रहे हैं। बजाज ने कहा, ‘मेरा मानना है कि बदकिस्मती से भारत ने न केवल पश्चिम की तरफ देखा बल्कि अंधानुकरण किया। हमने सख्त लॉकडाउन को लागू करने की कोशिश की मगर फिर भी उसमें कमियां रह गईं। इसलिए मेरा मानना है कि हमें दोनों दुनिया में सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा है।’
उन्होंने कहा कि भारत को जापान और स्वीडन के उदाहरणों से सीखना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोविड-19 तुलनात्मक रूप से कम घातक है और इस पर काबू पाया जा सकता है। मगर लॉकडाउन ने इसे घातक एवं काबू से बाहर होने की शक्ल दे दी है।
बजाज ने कहा कि अगर 100 लोग बोलने से डरते हैं तो शायद उनमें से 90 ऐसे हैं, जो कुछ छुपा रहे हैं। उन्होंने कहा कि संप्रग 2 और मौजूदा सरकार के पहले कार्यकाल में बहुत से मामलों का खुलासा हुआ है। उन्होंने कहा, ‘इसलिए कारोबारी भी दूध के धुले नहीं हैं।’ उन्होंने उस घटना की तरफ इशारा किया, जिसमें उनके पिता राहुल बजाज ने नवंबर में एक पुरस्कार समारोह में गृह मंत्री अमित शाह से भय के माहौल को लेकर सवाल किया था। उन्होंने कहा कि कुछ लोग इसलिए सवाल नहीं कर सकते क्योंकि वे कुछ छुपा रहे हैं। वहीं कुछ इसलिए नहीं बोलना चाहते क्योंकि वे पलटवार से नहीं निपट सकते। बजाज ने कहा कि वह दूसरे तरीके के लोगों में शामिल हैं। मगर उन्हें सोशल मीडिया और टेलीविजन चैनलों पर बहस तकलीफदेह लगती है।

First Published - June 4, 2020 | 10:43 PM IST

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