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स्थायी को नियत अवधि के रोजगार में बदलने पर रोक हटी

Last Updated- December 14, 2022 | 11:07 PM IST

केंद्र सरकार ने औद्योगिक संबंधकानून के उस सुरक्षा प्रावधान को समाप्त कर दिया है, जिसके तहत नियोक्ताओं को स्थायी रोजगारों को नियत अवधि के रोजगार में बदलने की इजाजत नहीं थी। सरकार ने नए श्रम कानूनों के तहत यह कदम उठाया है, जिसकी घोषणा पिछले सप्ताह हुई थी। 29 सितंबर को अधिसूचित औद्योगिक संबंध संहिता, 2020 में कंपनियों को सीधे निश्चित समय के अनुबंध के जरिये कर्मचारी रखने की अनुमति दी गई है। इसे नियत अवधि का रोजगार भी कहा जाता है। पहले कंपनियों को अनुबंध पर कर्मचारियों को रखने के लिए ठेकेदार के पास जाना पड़ता था। इस पूरी प्रक्रिया को खर्चीला और झंझट भरा माना जाता था।
अधिसूचना में नियत अवधि के लिए अनुबंध पर रखे कर्मचारियों को वे सभी सुविधाएं देने का प्रावधान है, जो स्थायी कर्मचारियों को मिलती हैं। हालांकि स्थायी कर्मचारियों की तरह अनुबंध पर रखे कर्मियों को सेवा समाप्त किए जाने पर मिलने वाला मुआवजा एवं अन्य लाभ नहीं दिए जाएंगे। हालांकि इतना तो तय है कि सरकार ने एक नियत अवधि के रोजगार में एक अहम बदलाव किया है, जिससे कंपनियों को अनुबंध आधारित काम अपने मौजूदा स्थायी कर्मचारियों को देने में मदद मिल सकती है।
मार्च 2018 में केंद्र सरकार ने सबसे पहले नए नियमों के तहत निश्चित अवधि के रोजगार का प्रावधान किया था और स्पष्ट किया था कि कोई भी नियोक्ता मौजूदा स्थायी कर्मचारियों का पद नियत अवधि के रोजगार में तब्दील नहीं करेगा। श्रम संबंधी विषय समवर्ती सूची में आता है, इसलिए कई राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार की अधिसूचना का पालन किया और निचित अवधि के रोजगार की व्यवस्था की। हालांकि औद्योगिक संबंध, 2020 में इस प्रावधान का कहीं उल्लेख नहीं है, जिसके बाद विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बाजार में स्थायी रोजगार खत्म हो जाएगा। उनका कहना है कि स्थायी रोजगार खत्म होने का डर इसलिए भी है क्योंकि सरकार ने यह नहीं कहा है कितनी बार ऐसे अनुबंधों का नवीकरण हो सकता है।
देश के श्रम बाजार पर गहरा शोध करने वाली राधिका कपूर ने कहा, ‘निश्चित अवधि का रोजगार का प्रावधान करना स्वागत योग्य कदम है, लेकिन ऐसे अनुबंधों की सुरक्षा से जुड़े प्रावधान भी किए जाने चाहिए। नियत अवधि के रोजगार की शुरुआत वास्तव में 2000 के शुरुआत में हुई थी, लेकिन सिद्धांता तौर पर ऐसी नौकरियों को स्थायी रोजगार के शुरुआती कदम के तौर पर देखा जाता है।’ कपूर इंडियन काउंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनैशनल इकोनॉमिक रिलेशंस से जुड़ीं हैं। कपूर ने इस बात पर जोर दिया कि अनुबंध पर रखे गए कर्मचारियों की उत्पादकता स्थायी कर्मचारियों से कम हाती है। उन्होंने कहा कि नियत अवधि का रोजगार केवल नई भर्तियों के लिए होना चाहिए। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के 2019-19 के सर्वेक्षण के अनुसार भारत में कुल कार्यबल में केवल 4.2 प्रतिशत को अधिकतम सुरक्षा मिली हुई है।
हालांकि सरकार ने कहा कि आर्थिक परिदृश्य में बदलाव को ध्यान में रखते हुए नियत अवधि के रोजगार की व्यवस्था की गई है। सरकार का कहना है कि स्थायी नौकरियां समाप्त करने के लिए यह कदम नहीं उठाया गया है। श्रम एवं रोजगार मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘स्थायी नौकरियों की जगह अनुबंध आधारित रोजगार शुरू करने की बात बेबुनियाद है।’

First Published - October 4, 2020 | 10:53 PM IST

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