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पूंजीगत खर्च वाली फर्मों पर दांव

Last Updated- December 12, 2022 | 6:51 AM IST

विश्लेषकों का मानना है कि सरकार-समर्थित इन्फ्रास्ट्रक्चर की मदद से भारत पूंजीगत खर्च वृद्घि की राह पर है और वे मौजूदा बाजार परिवेश में खपत दांव के मुकाबले पूंजीगत खर्च संबंधित दांव को पसंद कर रहे हैं। उनका कहना है कि निजी पूंजीगत खर्च से वित्त वर्ष 2024 के बाद भी वृद्घि की रफ्तार को मदद मिलेगी। विश्लेषकों का मानना है कि इसके अलावा, सरकार के स्वामित्व वाला विकास वित्त संस्थान (डीएफआई) स्थापित करने के निर्णय से इस संबंध में राहत मिली है कि पूंजीगत संबंधित दांव की संभावना मजबूत होगी। डीएफआई से भविष्य में इन्फ्रा परियोजनाओं के दीर्घावधि वित्त पोषण के लिए बाजारों से करीब 3 लाख करोड़ रुपये की पूंजी में मदद मिल सकेगी।
बोफा सिक्योरिटीज में इंडिया इक्विटी रणनीतिकार अमीष शाह ने एक ताजा रिपोर्ट में लिखा है, ‘हम भारत को पूंजीगत खर्च चक्र वृद्घि की राह पर देख रहे हैं जैसा कि वित्त वर्ष 2003-12 में देखने को मिला था। हमारे विश्लेषणों से संकेत मिलता है कि वित्त वर्ष 2022-23 में संयुक्त रूप से 356 अरब डॉलर की परियोजनाएं दी जा सकेंगी, क्योंकि  इन्हें सरकार वित्त पोषित इन्फ्रास्ट्रक्चर (277 अरब डॉलर), निजी क्षेत्र द्वारा वित्त पोषित इन्फ्रा (51 अरब डॉलर), रियल एस्टेट (21 अरब डॉलर) और उद्योग (8 अरब डॉलर) से मदद मिलेगी। खपत शेयरों के लिए मूल्यांकन अब दबावपूर्ण दिख रहा है, जबकि औद्योगिक क्षेत्र अभी भी ऐतिहासिक औसत पर कारोबार कर रहे हैं।’
बोफा का मानना है कि वित्त वर्ष 2022-23 में कुल 356 अरब डॉलर के ऑर्डर प्रवाह में 69 प्रतिशत परिवहन, जल और आवास वर्टिकलों पर केंद्रित होगा। शेयरों में, बोफा सिक्योरिटीज का उत्साहजनक रुख लार्सन ऐंड टुब्रो, अदाणी पोट्र्स, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, ऐक्सिस बैंक, इंडसइंड बैंक, एचडीएफसी, टाटा स्टील, हिंडाल्को और अंबुजा पर बना हुआ है।
शेयर बाजार में निवेशकों ने पिछले कुछ महीनों में इन्फ्रा संबंधित दांव पर जोर दिया है। निफ्टी इन्फ्रास्ट्रक्चर इंडेक्स 2021 में इस साल अब तक 12.3 प्रतिशत तक चढ़ा है। एसीई इक्विटी के डेटा से पता चलता है कि तुलनात्मक तौर पर निफ्टी-50 सूचकांक में इस अवधि के दौरान 5.3 प्रतिशत तक की तेजी दर्ज की गई, जबकि निफ्टी कंजम्पशन सूचकांक करीब 1 प्रतिशत कमजोर हुआ।
इक्विनोमिक्स रिसर्च के संस्थापक एवं मुख्य निवेश अधिकारी जी चोकालिंगम के अनुसार, पूंजीगत खर्च चक्र में सुधार लाना सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण कार्य होगा, क्योंकि कमजोर वृहद आर्थिक बदलावों के बीच उसकी खर्च क्षमता सीमित है।
हालांकि बोफा सिक्योरिटीज के शाह का मानना है कि फंडिंग पूंजीगत खर्च योजनाएओं को लेकर समस्या नहीं होगी, क्योंकि सरकार ने वृद्घि की रफ्तार मजबूत बनाने के प्रयास में सब्सिडी कार्यक्रमों के लिए आवंटन घटाकर अपनी खर्च योजनाओं में बदलाव किया है।

मिलेगी बढ़त
हालांकि सरकार के नेतृत्व वाले बुनियादी ढांचा खर्च की रफ्तार मजबूत बनी हुई है और विश्लेषकों को उत्पादन-संबंधित रियायत (पीएलआई) आधारित निर्माण क्षमताओं से भी भविष्य में निजी क्षेत्र के पूंजीगत खर्च को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
उनका कहना है कि यदि पीएलआई योजना को सफलतापूर्वक क्रियान्वित किया जाता है तो इससे अगले तीन वर्षों के दौरान निर्माण ढांचा तैयार करने के लिए संबद्घ इकोसिस्टम से 9 अरब डॉलर से अधिक का निवेश दर्ज किया जाएगा।
आईआईएफएल के विश्लेषकों का मानना है कि जहां वितरण सुधार (वितरण सर्किलों के निजीकरण) विद्युत क्षेत्र के पूंजीगत खर्च के लिए जरूरी है, वहीं परिवहन और शहरी इन्फ्रा से इस क्षेत्र में खर्च को मजबूती मिलेगी।
आईआईएफएल के रेणु बैद और नरेंद्र मालसेकर ने एक ताजा रिपोर्ट में लिखा है, ‘हमें उम्मीद है कि सरकार और कॉरपोरेट भारत का पूंजीगत खर्च (जीडीपी का 8-8.2 प्रतिशत) वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान 12 प्रतिशत बढ़ेगा और वित्त वर्ष 2020-25 के दौरान 8 प्रतिशत की सीएजीआर वृद्घि के साथ वित्त वर्ष 2020 के 200 अरब डॉलर से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 तक 300 अरब डॉलर हो जाएगा। पसंदीदा कंपनियां हैं एलऐंडटी, एबीबी इंडिया, कमिंस इंडिया और केईसी इंटरनैशनल। हम पीएसयू श्रेणी में भारत इलेक्ट्रॉनिक्स को पसंद  कर रहे हैं।’

First Published - March 20, 2021 | 12:09 AM IST

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