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विदेश सचिव की नेपाल यात्रा से बिहार को मिली उम्मीद

Last Updated- December 14, 2022 | 8:47 PM IST

विदेश सचिव हर्षवर्धन शृंगला ने सीमा विवाद को लेकर भारत-नेपाल के रिश्तों में तनाव के बीच वहां के विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञानवाली के साथ व्यापक चर्चा और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के साथ मुलाकात करके पड़ोसी देश की अपनी यात्रा समाप्त की। लेकिन उनकी इस यात्रा का अप्रत्याशित क्षेत्रों- बिहार के कारोबारियों और निवेशकों की ओर से शानदार स्वागत हुआ है जो दोनों देशों के संबंधों में सौहार्द लौटने की प्रतीक्षा कर रहे हैं ताकि कारोबार फिर से सामान्य स्तर पर आ सके।
भारतीय निर्यात-आयात बैंक (एक्जिम बैंक) के मुख्य महाप्रबंधक एस प्रहलाद्न कहते हैं कि नेपाल के साथ कारोबार की सामान्य स्थिति बिहार की अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों देशों के बीच तनाव और कोविड-19 से हुए नुकसान के कारण बिहार की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है। नेपाल बिहार का सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य है। निर्बाध रूप से सीमा पार करने में विवाद या समस्याओं से बिहार की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंच सकता है और बंदरगाह विहीन नेपाल जिंस आपूर्ति के लिए अन्य स्रोतों का रुख कर सकता है।
प्रहलाद्न कहते हैं कि बिहार से नेपाल को किए जाने वाले निर्यात के संबंध में कोविड-19 विनाशकारी रहा है। अप्रैल से सितंबर 2020-21 के दौरान बिहार का व्यापारिक निर्यात 56.43 करोड़ डॉलर रहा। इसमें सालाना आधार पर 31.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई। इसमें भारत के संपूर्ण व्यापारिक निर्यात की गिरावट से ज्यादा गिरावट आई है जिसमें इसी अवधि के दौरान 21.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है। प्रहलाद्न बिहार के निर्यात में इस गिरावट के लिए कुछ हद तक तेल की कीमतों में तेज गिरावट को जिम्मेदार मानते हैं। वर्ष 2019 में तेल (ब्रेंट क्रूड) के औसत दाम 64.4 डॉलर प्रति बैरल थे, जबकि अप्रैल 2020 में दाम फिसलकर 20.5 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए। बिहार से सबसे ज्यादा निर्यात की जाने वाली सामग्री पेट्रोलियम उत्पादों ने अप्रैल-सितंबर 2020-21 के दौरान सालाना आधार पर 63.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की। इस कारण इस अवधि के दौरान राज्य से किए जाने वाले कई कृषि उत्पादों के निर्यात में नजर आने वाली मजबूत वृद्धि बेअसर हो गई।
वह स्वीकार करते हैं कि भारत से नेपाल को किए जाने वाले कुल व्यापारिक निर्यात में आई गिरावट की वजह से भी यह गिरावट आई है। इस वैश्विक महामारी के कारण 24 मार्च, 2020 से भारत-नेपाल सीमा बंद किए जाने की वजह से अप्रैल से सितंबर 2020-21 के दौरान भारत से नेपाल को किए जाने वाले व्यापारिक निर्यात में पिछले साल के मुकाबले 40.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है। इसी के साथ इस अवधि के दौरान नेपाल को किए जाने वाले बिहार के निर्यात में भी पिछले साल के मुकाबले 45.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई है।
वह बताते हैं कि चूंकि बिहार का निर्यात कुछ उत्पादों और बाजारों में ही अत्यधिक केंद्रित है, इसलिए इसकी सबसे ज्यादा निर्यात की जाने वाली सामग्री में अस्थिरता और इसके सबसे बड़े निर्यात गंतव्य के साथ कारोबारी दिक्कत की वजह से इस अवधि में इसके निर्यात में तेज गिरावट आई है।
भारत और नेपाल के बीच खुली सीमा व्यवस्था है जो दुनिया में अनोखी है। प्रहलाद्न कहते हैं कि नेपाल में भारत से किए जाने वाले आयात का 20 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा बिहार से होता है। बिहार से किया जाने वाला अधिकांश व्यापारिक निर्यात रक्सौल और जोगबनी स्थित दो एकीकृत चेक पोस्ट (आईसीपी) के जरिये किया जाता है। इन दोनों का उपयोग नेपाल को किए जाने वाले निर्यात में किया जाता है। सीमा पर तनाव या प्रतिबंध बिहार के संपूर्ण निर्यात को बाधित कर सकता है और इस कारण निर्यात राजस्व को संभावित नुकसान हो सकता है। बिहार-नेपाल सीमा पर अवरोधों के कारण हमेशा ही राज्य के निर्यात राजस्व में गिरावट आई है। वह बताते हैं कि उदाहरण के लिए वर्ष 2015-16 के दौरान बिहार के व्यापारिक निर्यात में सालाना आधार पर तकरीबन 47.2 प्रतिशत की गिरावट नजर आई थी। नेपाल में प्रमुख सीमा 24 सितंबर, 2015 से दो महीने के लिए बंद होने और अप्रैल 2015 में विनाशकारी भूकंप के कारण ऐसा हुआ था जिसने मौजूद परिवहन तंत्र और बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा था।

First Published - November 27, 2020 | 11:52 PM IST

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