नई दिल्ली में बिजनेस स्टैंडर्ड मंथन 2025 के दौरान नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी ने कहा कि भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए कृषि और श्रम क्षेत्र में बदलाव जरूरी है। उन्होंने ‘द ग्रेट रिसेट: इंडिया इन ए न्यू वर्ल्ड ऑर्डर’ चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि कृषि को आधुनिक बनाने और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने की ज़रूरत है।
भारत को ‘एग्री टाइगर’ बनने से क्या रोक रहा है?
बेरी ने भारत को ‘एग्री टाइगर’ बताया लेकिन कहा कि इसकी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं हो पा रहा है। उन्होंने कहा, “हम आगे बढ़ सकते हैं, लेकिन अभी रुके हुए हैं।” उनका मानना है कि भारत की मौजूदा कृषि व्यवस्था ने भले ही खाद्य संकट को रोका हो, लेकिन अब इसमें बदलाव की जरूरत है। उन्होंने बागवानी और पारंपरिक फसलों को समान महत्व देने की वकालत की ताकि उत्पादन और कुशलता बढ़ सके।
श्रम क्षेत्र में सुधार की ज़रूरत
बेरी ने मजदूरों के लिए औपचारिक अनुबंध (Formalisation) को अहम बताया और कहा कि मौजूदा श्रम कानूनों के कारण बड़े उद्योग मज़दूरों की भर्ती करने से हिचकते हैं। उन्होंने कहा कि महिलाओं को श्रम क्षेत्र में अधिक मौके देना होगा, क्योंकि वे अब भी भारत की सबसे कम उपयोग में लाई गई क्षमता हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने इस दिशा में शुरुआत की है, और इसमें कुछ प्रगति भी हुई है।
इसके अलावा, भारत के श्रम बाजार को एकजुट रखना भी ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि राज्यों के बीच मज़दूरों की आवाजाही आसान बनानी होगी, खासकर मौसमी प्रवास (Seasonal Migration) को ध्यान में रखते हुए।
वैश्विक बदलाव और भारत की रणनीति
बेरी ने अमेरिकी नीतियों के असर पर भी बात की और कहा कि भारत को वैश्विक व्यापार नीतियों में बदलाव के अनुसार अपनी रणनीति तय करनी होगी। भारत हमेशा विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों का पालन करता आया है, लेकिन अब उसे नए हालात को देखते हुए अपनी नीति पर दोबारा विचार करना होगा।
उन्होंने कहा कि अगर भारत 7% आर्थिक विकास हासिल करना चाहता है, तो उसे टैरिफ कम करने की जरूरत होगी। साथ ही, घरेलू और विदेशी निवेशकों के लिए निवेश माहौल बेहतर बनाना होगा।
जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा संकट
भारत में सस्टेनेबल एनर्जी (नवीकरणीय ऊर्जा) की ओर बढ़ने के लिए वित्तीय चुनौतियां हैं। बेरी ने कहा कि राज्यों को शहरी और श्रम सुधारों के लिए केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करना होगा।
अमेरिका-चीन-रूस संबंध और भारत की स्थिति
बेरी ने बदलते वैश्विक शक्ति संतुलन पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि अमेरिका अपनी स्थिति को सुरक्षित रखना चाहता है, खासकर चीन से बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए। उन्होंने कहा, “अमेरिका जब चाहे नियम बदल सकता है। यह नया नहीं है।” उन्होंने अमेरिका, चीन और रूस के बीच बदलते समीकरण का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत के लिए यह अहम होगा कि रूस चीन के प्रभाव से बाहर निकले।
‘ग्रेट रिसेट’ का ऐतिहासिक संदर्भ
बेरी ने वैश्विक बदलावों का ऐतिहासिक उदाहरण देते हुए कहा कि अमेरिका ने हमेशा अपनी स्थिति के हिसाब से वैश्विक संस्थानों के नियम तय किए हैं। उन्होंने निक्सन के ब्रेटन वुड्स सिस्टम से हटने और जापान के प्लाजा अकॉर्ड का उदाहरण दिया। बेरी ने कहा कि अमेरिका की ताकत उसके तकनीकी विकास, बाजार, और उत्पादकता में छिपी है। हालांकि, मौजूदा दौर में वह अपनी स्थिति को खतरे में महसूस कर रहा है, जिससे नए वैश्विक समीकरण बन रहे हैं।