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BS Manthan 2025: ‘बहुपक्षीय नहीं द्विपक्षीय संबंधों को तवज्जो दे रही दुनिया’

मंथन के पहले दिन सरकार, अर्थव्यवस्था, बैंकिंग, रक्षा क्षेत्र की हस्तियों ने की दुनिया भर में करवट लेते घटनाक्रम और भारत की बदलती भूमिका पर चर्चा

Last Updated- February 27, 2025 | 11:28 PM IST
Nirmala Sitharaman

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मानती हैं कि दुनिया भर में लंबे अरसे से हावी रही बहुपक्षीय व्यवस्थाएं अब चलन से बाहर हो रही हैं। उन्होंने नई दिल्ली में बिज़नेस स्टैंडर्ड के दूसरे वार्षिक सम्मेलन ‘मंथन’ में आज अपने मुख्य उद्बोधन में कहा कि भारत को भी व्यापार, निवेश तथा
सामरिक संबंधों में द्विपक्षीय रुख पर ज्यादा जोर देना होगा।

मंथन के आयोजन के साथ संयोग यह है कि इसी वर्ष बिज़नेस स्टैंडर्ड के प्रकाशन के 50 साल भी पूरे हुए हैं। दो दिन के इस आयोजन के पहले दिन चर्चा इसी बात पर केंद्रित रहीं कि नई विश्व व्यवस्था में भारत कहां है। वित्त मंत्री ने स्वीकार किया कि दुनिया में बहुत तेजी के साथ उठापटक चल रही है और कहा, ‘दुनिया में होते इस बदलाव में हमें भारत के हितों को सबसे पहले और सबसे ऊपर रखना होगा।’ उन्होंने सबसे पसंदीदा राष्ट्र के दर्जे पर भी पुनर्विचार करने की जरूरत पर बल दिया क्योंकि ‘हरेक देश चाहता है कि उसे खास माना जाए’।

सम्मेलन में देश-विदेश की शीर्ष मेधा एक मंच पर आईं और तमाम विषयों पर विमर्श किया गया। इनमें केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु मंत्री भूपेंद्र यादव, प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव पीके मिश्रा, भारत के जी20 शेरपा अमिताभ कांत, कोटक महिंद्रा बैंक के संस्थापक और निदेशक उदय कोटक, जेफरीज में ग्लोबल हेड (इक्विटी स्ट्रैटजी) क्रिस वुड के साथ प्रमुख अर्थशास्त्री, रक्षा विशेषज्ञ और एक नियामक भी शामिल थे।

वित्त मंत्री प्रौद्योगिकी और प्रतिभा का जिक्र करना नहीं भूलीं। प्रौद्योगिकी और उसे आगे बढ़ाने वाले लोगों में निवेश की अहमियत जताते हुए उन्होंने कहा, ‘प्रौद्योगिकी में भारत के अग्रणी होने से हमें बहुत बढ़त मिलेगी।’ प्रतिभा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भारत को खुली सोच के साथ दुनिया भर से प्रतिभा अपने पास खींचनी चाहिए। साथ ही ऋण प्रबंधन और राजकोषीय समझदारी को प्राथमिकता मिलनी चाहिए, जिसमें राज्यों को भी भागीदारी करनी चाहिए।

द्विपक्षीयता पर बढ़ते जोर के बीच जलवायु परिवर्तन जैसे मसलों पर बहुपक्षीय रुख की जरूरत भी बताई जाती है। इसकी बात करते हुए पर्यावरण मंत्री यादव ने आपदा से जूझने वाले बुनियादी ढांचे के लिए गठजोड़ जैसी पहलों पर विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन पृथ्वी के तापमान में बढ़ोतरी से ही नहीं जुड़ा है, ‘यह जैव विविधता के नाश और बंजर होती धरती से भी जुड़ा है’। यादव ने कहा कि भारत खेती को जलवायु परिवर्तन से जूझने और बेअसर रहने योग्य बनाने की कोशिश कर रहा है।

खेती या कृषि का जिक्र मिश्रा के साथ फायरसाइड चैट के दौरान भी आया। उन्होंने कहा, ‘यह भ्रांति है कि देश विकसित होता है तो कृषि की अहमियत घट जाती है।’ केंद्रीय कृषि सचिव रह चुके मिश्रा ने कहा कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में कृषि की हिस्सेदारी बेशक घटी है मगर अब भी बहुत बड़ी आबादी खेती से जुड़ी है और कृषि निर्यात बहुत अधिक है। उन्होंने ऐसी व्यवस्था तैयार करने पर जोर दिया, जो न केवल संकट से जूझे बल्कि उससे और भी मजबूत बनकर निकले। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता का मतलब दुनिया से कटकर अलग-थलग हो जाना नहीं है बल्कि संकट के समय सबको आपूर्ति करने की क्षमता होना है। आत्मनिर्भरता बढ़ाने के इरादे से शुरू की गईं पीएलआई जैसी योजनाएं उन क्षेत्रों में विनिर्माण को बढ़ावा देने के इरादे से शुरू की गई हैं, जिनमें भारत अभी पिछड़ रहा है जैसे पारंपरिक कपड़ों के बजाय तकनीकी कपड़े।

कांत ने उद्यमों और कंपनियों की आजादी की वकालत करते हुए कहा कि सरकार को उनमें कम दखल देना चाहिए। उन्होंने सुधारों तथा विनियमन की हिमायत की और कहा, ‘सरकार को रास्ते से हट जाना चाहिए और निजी क्षेत्र को फलने-फूलने देना चाहिए।’ अक्षय ऊर्जा पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि पेट्रोल-डीजल जैसे जीवाश्म ईंधन से दूर होना चाहिए और केंद्र तथा राज्य सरकारों को इलेक्ट्रिक वाहन ही खरीदने चाहिए।

आर्थिक वृद्धि पर उन्होंने कहा कि सालाना 8.5 से 9 फीसदी की वृद्धि दर हासिल करने के लिए नीतियां लागू करने के प्रयास बढ़ाने होंगे। उन्होंने व्यवस्थित शहरीकरण पर भी जोर दिया।

उदय कोटक ने माना कि डॉनल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद दुनिया भर में अनिश्चितता बढ़ी है। उन्होंने कहा, ‘अमेरिका का अनूठा होना अब हकीकत है।’ चालू खाते के घाटे पर बात करते हुए कोटक ने कहा कि देश के भीतर होड़ बढ़ाना ही इसे घटाने का आसान रास्ता है। उन्होंने भारतीय उद्योग का आह्वान करते हुए कहा कि अगले पांच साल में देश से ऐसा उपभोक्ता ब्रांड निकलना चाहिए, जिसका सिक्का पूरी दुनिया में चले। कोटक ने यह भी कहा कि बचत करने के बजाय निवेश करना अच्छा बदलाव है और बैंकों को इसके लिए तैयार रहना होगा।

क्रिस वुड ने निवेश पर बात की और अन्य देशों की तुलना में भारतीय बाजार का विश्लेषण किया। उन्होंने इस बात पर हैरत जताई कि विदेशी निवेशक भारत में इतनी ज्यादा बिकवाली कर रहे हैं। साथ ही वुड ने यह भी कहा कि म्युचुअल फंड में लगातार आ रहा देसी निवेश बाजार के लिए सकारात्मक निवेश है। उन्होंने उम्मीद जताई कि विदेशी संस्थागत निवेशक लौटे तो सेंसेक्स और निफ्टी अगले 12 महीनों में 10-15 फीसदी रिटर्न दे देंगे। वुड ने सलाह दी, ‘अगर किसी ने भारतीय शेयरों में अभी तक पैसा नहीं लगाया है तो आज ही खरीदना शुरू कर दें। पासा पलटेगा तो बाजार में बेहद तेज उछाल आएगी।’

बदलती दुनिया में भारतीय अर्थव्यवस्था पर पैनल चर्चा में सेंटर फॉर सोशल ऐंड इकनॉमिक प्रोग्रेस के प्रेसिडेंट लवीश भंडारी ने कहा कि भारत को भीतर से मजबूत बनना होगा। उन्होंने कहा, ‘सरकार को स्वयं में निवेश करना होगा और मजबूत टेक्नोक्रेसी के रूप में करना होगा।’ नियमन के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि नियामकों द्वारा आपस में संवाद नहीं करना एक समस्या है।

मशरिक के सीईओ और कंट्री हेड तुषार विक्रम ने अवसरों की ओर ध्यान खींचा। उन्होंने संयुक्त अरब अमीरात के साथ भारत की कारोबारी साझेदारी का उल्लेख करते हुए कहा कि यह रिश्ता आगे चलकर और मजबूत होगा।

क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री धर्मकीर्ति जोशी ने जलवायु परिवर्तन के दौर में खाद्य महंगाई से निपटने में आ रही मुश्किलों का जिक्र किया। निपॉन म्युचुअल फंड के कार्यकारी निदेशक संदीप सिक्का ने कहा कि महंगाई लोगों के निवेश के तौर तरीकों को प्रभावित कर रही है। उन्होंने कहा कि छोटे शहरों के लोग महंगाई को समझते हुए उसी के अनुसार निवेश कर रहे हैं।

रक्षा और निजी क्षेत्र के सहयोग पर चर्चा सत्र में रक्षा मंत्रालय के रक्षा विभाग के सचिव और रक्षा शोध एवं विकास संस्थान (डीआरडीओ) के चेयरमैन समीर वी कामत ने कहा कि देश को अपने रक्षा से जुड़े लक्ष्य हासिल करने हैं तो निजी क्षेत्र की भागीदारी अनिवार्य है।

First Published - February 27, 2025 | 11:08 PM IST

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