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पूंजीगत व्यय से मिलेगी अर्थव्यवस्था को रफ्तार

Last Updated- December 12, 2022 | 8:56 AM IST

आमतौर पर सरकार जब वित्तीय सुदृढीकरण के लिए अपने खर्च में कटौती करना चाहती है तो वह पूंजीगत व्यय को झटका लगता है। लेकिन बजट 2021-22 इस लिहाज से अपवाद है। सरकार ने न केवल चालू वित्त वर्ष के लिए अपने संशोधित पूंजीगत व्यय अनुमान को 6.6 फीसदी बढ़ाकर 4.4 लाख करोड़ रुपये कर दिया है बल्कि अगले वित्त वर्ष के लिए भी उसमें 25 फीसदी की बढ़ोतरी की है। इसके अलावा केंद्र सरकार राज्यों एवं स्वायत्त निकायों को चालू वित्त वर्ष के दौरान पूंजीगत व्यय के लिए 2 लाख करोड़ रुपये उपलब्ध कराएगी।
चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि में आधिकारिक तौर पर 7.7 फीसदी के संकुचन का अनुमान जाहिर किया गया है। ऐसे में सरकार पूंजीगत व्यय के जरिये अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने की कोशिश कर रही है। गौरतलब है कि केंद्रीय बजट में आर्थिक समीक्षा 2021-22 के मुकाबले कम आर्थिक वृद्धि का अनुमान जाहिर किया गया है। आर्थिक समीक्षा में वर्तमान मूल्य पर 15.4 फीसदी की वृद्धि का अनुमान जाहिर किया गया है जबकि बजट में कहा गया है कि यह आंकड़ा 14.4 फीसदी हो सकता है।
फिलहाल यह बताना कठिन है कि केंद्रीय बजट में कम आर्थिक वृद्धि का आकलन स्थिर मूल्य पर किया गया है अथवा मुद्रास्फीति के साथ। आर्थिक समीक्षा में अगले वित्त वर्ष के लिए 11 फीसदी की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान लगाया गया है। समीक्षा में कहा गया है कि वास्तव में जीडीपी 2019-20 के निरपेक्ष स्तर  के मुकाबले 2.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज करेगी। इससे पता चलता है कि अर्थव्यवस्था को कोविड वैश्विक महामारी से पहले के स्तर तक लौटने में 2 साल जाएंगे।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा, ‘सीमित संसाधनों के बावजूद हमारी यह कोशिश है कि पूंजी पर अधिक खर्च होना चाहिए। वित्त वर्ष 2021-22 के लिए मैं पूंजीगत व्यय में भारी वृद्धि करने और इस प्रकार 5.54 लाख करोड़ रुपये आवंटित करने का प्रस्ताव देती हूं जो 2020-21 के बजटीय अनुमान से 34.5 फीसदी अधिक है।’ इसमें से 44,000 करोड़ रुपये उन परियोजनाओं और कार्यक्रमों के लिए आवंटित किए जाएंगे जिनकी पूंजीगत व्यय के मोर्चे पर अच्छी प्रगति दिख रही हो और जिन्हें पूंजी की आवश्यकता हो।
सरकार ने पूंजीगत व्यय के जरिये आर्थिक वृद्धि को रफ्तार देने की कोशिश की है क्योंकि कोविड-प्रेरित लॉकडाउन के कारण मांग प्रभावित होने से निजी क्षेत्र के निवेश को झटका लगा है। यहां तक कि लॉकडाउन के बाद भी निजी निवेश की रफ्तार सुस्त बनी हुई है। अग्रिम अनुमानों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष के लिए सकल स्थिर पूंजी निर्माण में आधिकारिक तौर पर 14.45 फीसदी की गिरावट की आशंका जताई गई है। सकल स्थिर पूंजी निर्माण मुख्य तौर पर निवेश को दर्शाता है। निवेश की रफ्तार लॉकडाउन की घोषणा से पहले ही काफी सुस्त हो चुकी थी। उदाहरण के लिए, 2019-20 में सकल स्थिर पूंजी निर्माण 2.8 फीसदी घट गया था।
सरकार ने वित्त वर्ष 2022 के लिए पूंजीगत व्यय बढ़ाने की योजना बनाई है और इसलिए साल के दौरान राजस्व व्यय घटकर 29 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान जाहिर किया गया है जो एक साल पहले 30 लाख करोड़ रुपये रहा था। इसलिए बजट के कुल व्यय में पूंजीगत व्यय की हिस्सेदारी बढ़ाई गई है। इससे कोविड वैश्विक महामारी के कारण पैदा हुई आर्थिक नरमी के बावजूद निवेश को रफ्तार देने में मदद मिलेगी। करीब 15.91 फीसदी बजट पूंजीगत व्यय के लिए आवंटित किया गया है जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 13.55 फीसदी रहा था।
हाल के वर्षों में दीर्घावधि परिसंपत्ति निर्माण के लिए बजटीय आवंटन अथवा पूंजीगत व्यय में गिरावट दर्ज की गई थी। वित्त वर्ष 2004-05 के लिए यह 19.3 फीसदी को छू गया था। लेकिन वित्त वर्ष 2019-20 में यह घटकर 12.15 फीसदी रह गया। पिछले दस वर्षों में यह आंकड़ा सबसे कम रहा था। वित्त वर्ष 2010 में यह 12.11 फीसदी रहा था। इससे पहले वित्त वर्ष 2008 में यह 18.02 फीसदी की ऊंचाई पर रहा था।
कुल मिलाकर वैश्विक महामारी के कारण पूंजीगत व्यय को झटका लगा। अब दिसंबर 2020 तिमाही में नई परियोजनाएं 67.6 फीसदी घटकर 0.87 लाख करोड़ रुपये रह गईं। दिसंबर 2019 में यह आंकड़ा 7.01 लाख करोड़ रुपये रहा था।

First Published - February 2, 2021 | 12:08 AM IST

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