वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि कार्बन सीमा समायोजन प्रणाली (सीबीएएम) कर जैसे एकतरफा और मनमाने उपायों से भारतीय उद्योग प्रभावित होंगे और यह भारत के लिए चुनौती है। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि यूरोपीय संघ का प्रस्तावित वन कटाई (डिफॉरेस्टेशन) अधिनियम भी आपूर्ति श्रृंखला में बड़ी बाधा का कारक बन सकता है। इससे बदलाव लागत पर अत्यधिक खर्च करने वाले भारत जैसे देशों को कोई मदद नहीं मिलेगी।
ब्रिटेन के फाइनैंशियल टाइम्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में सीतारमण ने कहा, ‘एक देश जिसने अपने रिकॉर्ड को साबित किया है और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियां भी जिसे स्वीकार करती हैं कि वह अपनी प्रतिबद्धताओं (जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों) पर कार्य कर रहा है और उसे पूरा कर रहा है। ऐसे में उसे इस तरह के एकतरफा उपायों की चुनौतियों का सामना करना प़ड़ेगा… मैं खेद के साथ कहती हूं कि विकसित देशों की ऐसी नीतियों से किसी का भला नहीं होने वाला। ये नीतियां एकतरफा और मनमानी हैं।’
ईयू के मुताबिक सीबीएएम कार्बन उत्सर्जन पर उचित मूल्य तय करने का एक साधन है। यह उत्पादन के दौरान ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाले उत्पादों के यूरोपीय संघ में प्रवेश करने पर उचित कर लगाता है।
सीतारमण ने कहा कि सीबीएएम एक व्यापारिक बाधा है जिसे विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) हरित होने के आधार पर न्यायोचित ठहरा सकता है। उन्होंने कहा, ‘मैं इस बारे में निश्चित नहीं हूं कि यह डब्ल्यूटीओ के अनुरूप है या नहीं। हालांकि हमें बताया गया है कि यह हो सकता है।’
सीतारमण ने एफटी के दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख जॉन रीड से बातचीत में कहा, ‘आपने डर्टी स्टील परिभाषित किया है और इस पर शुल्क लगा रहे हैं। हालांकि आप स्वयं डर्टी स्टील का उत्पादन करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि इससे जुटाए गए धन को डर्टी से ग्रीन स्टील बदलने में खर्च किया जाए।’
वित्त मंत्री ने कहा कि ईयू के साथ मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) की बातचीत के दौरान सीबीएएम पर भारत की चिंताओं को उजागर किया गया। इसे आगे भी उठाया जाएगा। हालांकि इस चिंता को इस स्तर पर नहीं उठाया जाएगा कि बातचीत पर असर पड़े।
यूरोपीय संघ का कार्बन कर 1 जनवरी, 2026 से लागू होगा। इसकी प्रायोगिक अवधि 1 अक्टूबर, 2023 से शुरू हुई जिसके तहत स्टील, सीमेंट, उर्वरक, एल्युमीनियम और हाइड्रोकार्बन उत्पादों सहित सात कार्बन सघन क्षेत्रों को अपने उत्सर्जन आंकड़े ईयू के साथ साझा करने होते हैं।
सीतारमण ने कहा कि भारत नेट जीरो लक्ष्य की ओर प्रतिबद्ध है और इसे भारत के प्रदर्शन से समझा जा सकता है। उन्होंने कहा कि भारत 2030 तक जलवायु परिवर्तन के लक्ष्यों को हासिल करने के रास्ते पर है।
वित्त मंत्री ने कहा, ‘चुनौतियां देश के भीतर की तुलना में बाहरी अधिक हैं। हम अपने को याद दिलाते रहते हैं कि वैश्विक प्रति व्यक्ति उत्सर्जन मानदंड की तुलना में हमारा उत्सर्जन एक तिहाई है।’ उन्होंने कहा कि भारत अक्षय ऊर्जा के हर स्रोत को नियमित रूप से बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा, ‘भारत उन देशों में से है जो धन उन जगहों पर खर्च कर रहा है, जहां लगाना चाहिए।’