गृह मंत्री अमित शाह ने आज कहा कि केंद्र सरकार राज्य कोऑपरेटिव के काम काज में हस्तक्षेप को इच्छुक नहीं है और राज्यों को इनके लिए कानून बनाने का पूरा अधिकार बना रहेगा। शाक के पास नव सृजित सहकारिता मंत्रालय भी है।
नई सहकारी नीति के ढांचे को लेकर आयोजित दो दिवसीय सेमीनार को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि 97वें संवैधानिक संशोधन पर उचच्चत न्यायालय के फैसले में सहकारी संस्थानों में केंद्र व राज्य की भूमिका साफ की गई है और उसका पालन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि कई राज्य में काम करने वाली सहकारी समितियां केंद्र के अधीन बनी रहेंगी, जबकि राज्य के कानून के मुताबिक राज्य सहकारी समितियां संचालित होंगी।
पिछले साल एक फैसले में उच्चतम न्यायालय ने संविधान के 97वें संशोधन के उस हिस्से को रद्द कर दिया था, जिसमें सहकारी समितियों को लेकर राज्य सरकारों के अधिकार कम किए गए थे। 97वां संविधान संशोधन दिसंबर 2011 में संसद में पारित हुआ था और संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के कार्यकाल में 15 फरवरी, 2012 को प्रभावी हुआ था। सहकारी समितियों में केंद्र व राज्यों की भूमिका अलग करते हुए शाह ने कहा कि उनके मंत्रालय की कवायद होगी कि राज्य सरकारों के साथ बात कर उनके कानूनों में कुछ निश्चित बदलाव लाया जाए, जिससे इन संस्थानों के संचालन में कुछ एकरूपता आ सके।
गृह मंत्री ने कहा, ‘यह पूरी तरह से मिल-जुलकर किया जाना है, इसे शीर्ष से थोपा नहीं जाएगा।’
उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न पक्षों से गहन चर्चा के बाद सहकारिता पर एक नई राष्ट्रीय नीति जल्द तैयार की जाएगी, जिसमें समितियों के मुफ्त पंजीकरण, सहकारी समितियों के प्रशासन में पारदर्शिता, चुनाव आयोग जैसे स्वतंत्र संस्थान की निगरानी में लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव, एक ही भौगोलिक क्षेत्र में काम करने वाली विभिन्न सहकारी समितियों के बीच तालमेल, काम करने के नए अवसर, समितियों की पहुंच बढ़ाने और राज्यों के अधिकार में बगैर कोई हस्तक्षेप किए राज्य के सहकारी कानूनों में एकरूपता पर जोर होगा।
कार्यक्रम में सहकारिता राज्य मंत्री बीएल वर्मा, सचिव डीके सिंह, राष्ट्रीय सहकारिता विकास निगम (एनसीडीसी) के प्रबंध निदेशक संदीप कुमार नायक और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।