क्रिप्टो संपत्तियों को विनियमित करने पर दुनिया भर में चर्चा के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज संकेत दिया कि इन्हें प्रतिबंधित करने के केंद्रीय बैंक के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है।
कौटिल्य इकनॉमिक कॉन्क्लेव से इतर संवाददाताओं से बातचीत में दास ने कहा, ‘क्रिप्टो पर अपना रुख मैं पहले भी कई बार साफ कर चुका हूं और हम अपनी राय पर कायम हैं। आईएमएफ-एफएसबी (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष-वित्तीय स्थायित्व बोर्ड) के सिंथेसिस पेपर में भी क्रिप्टो से जुड़े जोखिमों का जिक्र किया गया है।
नियमन हमेशा शून्य से 10 के पैमाने पर होता है। शून्य विनियमन का अर्थ है कोई कायदे और रोकटोक ही नहीं हैं और सभी को हर तरह की आजादी है। इसी तरह 10 का मतलब है कि आप इसकी बिल्कुल भी इजाजत नहीं देते। यह आप पर निर्भर करता है कि शून्य से 10 के बीच आप कहां हैं। एफएसबी को अब नियम-कायदे की बारीकियां देखनी होंगी।’
इस महीने की शुरुआत में मराकेश बैठक में जी20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों (एफएमसीबीजी) की बैठक के बाद सिंथेसिस पेपर में प्रस्तावित क्रिप्टो संपत्तियों की रूपरेखा अपनाई गई थी। घरेलू क्रिप्टो उद्योग उम्मीद कर रहा था कि सरकार क्रिप्टो संपत्तियों के विनियम की दिशा में सहमति तैयार करेगी। लेकिन आरबीआई का सख्त रुख इसे कठिन बना सकता है। सिंथेसिस पेपर में क्रिप्टो संपत्तियों से संबंधित गतिविधियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने का विरोध किया गया है। उसका तर्क है कि यह बड़ा महंगा सौदा हो सकता है और प्रतिबंध लागू करना भी तकनीकी रूप से कठिन होगा।
दास ने संकेत दिया कि घरेलू बाजार में ब्याज दरें ऊंची बनी रहेंगी और मौद्रिक नीति मुद्रास्फीति घटाने की दिशा में सक्रियता से काम करेगी। दास ने अपने भाषण में कहा, ‘हम मुद्रास्फीति के रुख और चाल पर ज्यादा सतर्कता बरतेंगे। खाद्य पदार्थों की महंगाई में अनिश्चितता है। मौजूदा हालात में मौद्रिक नीति की सक्रियता बनी रहनी चाहिए ताकि मुद्रास्फीति में आगे भी नरमी आती रहे।’
सब्जियों की कीमतों में नरमी के कारण सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 5 फीसदी रह गई। मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रीपो दर में की गई 250 आधार अंक की वृद्धि के बाद रिजर्व बैंक ने 2023-24 में अभी तक नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखा है।
दास ने संवाददाताओं से कहा कि रिजर्व बैंक मुद्रास्फीति को 4 फीसदी के दायरे में लाने के लिए हरसंभव पहल करने के लिए तैयार है।
पश्चिम एशिया में युद्ध के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर दास ने कहा कि पिछले पखवाड़े में अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल बढ़ा है, जिसका अन्य अर्थव्यवस्थाओं पर व्यापक असर दिखेगा। कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के बारे में आरबीआई के गवर्नर ने कहा कि इसका असर पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर दिखेगा।
दास ने कहा कि डॉलर सूचकांक में भले ही मजबूती दिख रही है मगर रुपया स्थिर रहा है। उन्होंने कहा, ‘1 जनवरी से अब तक रुपये में महज 0.6 फीसदी की गिरावट आई है, जबकि इस दौरान डॉलर 3 फीसदी मजबूत हुआ है। विदेशी मुद्रा बाजार में भारी उतार-चढ़ाव को थामने के लिए हम मौजूद हैं।’