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कम ऋण प्रतिफल ईपीएफओ रिटर्न की चुनौती

Last Updated- December 11, 2022 | 8:50 PM IST

केंद्र सरकार के प्रमुख सेवानिवृत्ति फंड की ओर से निवेश की गई रकम और कर्मचारियों को पेश की जाने वाली रकम के बीच अंतर बढ़ता जा रहा है।       
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) अपने निवेश की रकम का एक बड़ा हिस्सा सरकार से संबंधित प्रतिभूतियों में लगाता है। दूसरे शब्दों में कहें तो वह केंद्र और राज्य सरकारों तथा संबंधित निकायों को ऋण देता है। इससे मिलने वाली ब्याज की रकम से संगठन अपने ग्राहकों को ब्याज का भुगतान करता है। सरकारी उधारी पर ब्याज में कमी आ रही है। इसका मतलब है कि ईपीएफओ जितनी रकम निवेश करता है और उसे जितनी रकम का भुगतान करना होता है उसके बीच का अंतर ऐसे स्तर पर पहुंच चुका है जो एक दशक में अब तक नजर नहीं आया था।
विश्लेषण में 10 वर्ष के सरकारी बॉन्ड प्रतिफल को दीर्घावधि में ईपीएफओ के निवेश रिटर्न के लिए प्रतिनिधि संकेतक के तौर पर लिया गया है। इसकी तुलना विगत 20 वर्षों में ईपीएफओ द्वारा पेश की गई ब्याज दर से की गई थी।
ईपीएफओ की नई वार्षिक रिपोर्ट से पता चलता है कि उसने विभिन्न मदों में 14.4 लाख करोड़ रुपये का निवेश कर रखा है जिसमें से अधिकांश रकम सरकार से संबंधित निवेश है। इसमें केंद्र सरकार की प्रतिभूतियां, राज्य विकास ऋण, राज्य सरकारी की प्रतिभूतियां एवं अन्य शामिल हैं। इसमें एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों में कुछ निवेशों को शामिल नहीं किया गया है जो कि इक्विटी एक्सपोजर मुहैया कराते हैं।    
 ईपीएफओ ने वित्त वर्ष 2013-14 में अपने ग्राहकों को 8.75 फीसदी ब्याज की पेशकश की थी। वित्त वर्ष 2014 के अंत में 10 वर्षीय सरकारी बॉन्ड का प्रतिफल 8.8 फीसदी था। उसके बाद से सरकारी बॉन्ड प्रतिफल में गिरावट आई है और वित्त वर्ष 2021 में यह 6.2 फीसदी पर आ गया। इसके हिसाब से ईपीएफओ द्वारा दिए गए ब्याज में कमी नहीं की गई है। वित्त वर्ष 2021 में 8.5 फीसदी ब्याज दिया गया।      
माना जा रहा है कि ईपीएफओ वित्त वर्ष 2022 के लिए पेश किए जाने वाले ब्याज दर पर इस हफ्ते निर्णय ले सकता है।  इक्विटी एक्सपोजर कम है। ईपीएफओ की सालाना रिपोर्ट जो लागत मूल्य पर ईटीएफ होल्डिंग्स प्रदान करती है, में यह 1.2 लाख करोड़ रुपये आंकी गई है। कुछ होल्डिंग्स की बिक्री से दायित्व को पहले पूरा करने में मदद मिली थी।
ईपीएफओ की ताजा वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया, ‘सक्षम प्राधिकारी से उचित मंजूरी लेने के बाद लाभ दर्ज करने/पूंजीगत लाभों के लिए ईटीएफ इकाइयों को दो बार भूनाया गया। कैलेंडर वर्ष 2016 से संबंधित ईटीएफ इकाइयों को 19 अक्टूबर, 2020 से 9 नवंबर, 2020 तक भूनाया गया जिससे 3,277.16 करोड़ रुपये के पूंजीगत लाभ का सृजन हुआ। कैलेंडर वर्ष 2017 की पहली दो तिमाहियों से संबंधित ईटीएफ इकाइयों को 12 मार्च, 2021 से 30 मार्च, 2021 तक भूनाया गया। इससे 4,072.83 करोड़ रुपये के पूंजीगत लाभ का सृजन हुआ। इन पूंजीगत लाभों का इस्तेमाल ब्याज की दर घोषित करने में किया गया।’
इक्विटी होल्डिंग्स की प्रकृति संभावित रिटर्नों में भूमिका निभा सकती है।    
ईपीएफओ की वार्षिक रिपोर्ट में ईटीएफ निवेशों पर वार्षिक रिटर्नो का भी विवरण होता है जो एसऐंडपी बीएसई सेंसक्स और निफ्टी फिफ्टी सूचकांकों की नकल करता है। इनसे 10 फीसदी और 15 फीसदी के बीच रिटर्न हासिल हुए। केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई) ईटीएफ और भारत 22 ईटीएफ पर रिटर्न कम रहे। सरकार इन दोनों का इस्तेमाल सार्वजनिक क्षेत्र के स्टॉकों के विनिवेश के लिए करती है। म्युचुअल फंड टै्रकर वैल्यू रिसर्च इंडिया के मुताबिक सीपीएसई ईटीएफ के लिए रिटर्न लॉन्च के बाद 7.37 फीसदी है। भारत 22 ईटीएफ के लिए रिटर्न 5.23 फीसदी है।

First Published - March 9, 2022 | 11:39 PM IST

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