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गिरफ्तारी के प्रावधान को अदालत में चुनौती

Last Updated- December 12, 2022 | 10:47 AM IST

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) कानूनों के तहत गिरफ्तारी के प्रावधानों को चुनौती देने के लिए बंबई उच्च न्यायालय में रिट याचिका दाखिल की गई है।
कानून को लेकर सरकार का कहना है कि फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) का दावा करने वाली कंपनियों को जीएसटी कानूनों तहत आरोपित किया जाता है, वहीं विशेषज्ञों को इसमें गिरफ्तारी से जुड़े प्रावधानों में खामियां नजर आती हैं।
बंबई उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल करने वाले खेतान ऐंड कंपनी के पार्टनर अभिषेक रस्तोगी ने कहा कि केंद्रीय जीएसटी की धारा 69 एकतरफा कार्रवाई करती है क्योंकि इसमें जीएसटी आयुक्तों को किसी व्यक्ति को इस बिना पर गिरतार करने की शक्ति दी गई है कि उसके पास यह मानने का कारण है कि व्यक्ति ने फर्जी आईटीसी का दावा किया है।
आयुक्त ऐसे किसी व्यक्ति की पांच वर्ष तक की गिरफ्तारी का आदेश दे सकते हैं जिसके खिलाफ उसे यह मानने कारण है कि व्यक्ति फर्जी दावा करने में शामिल रहा है। रस्तोगी ने कहा, ‘मानने की वजह ये है कि इसकी प्रकृति व्यक्तिपरक है और इसका दुरुपयोग हो सकता है।’
केंद्रीय जीएसटी अधिनियम की धारा 132 (1) में कहा गया है कि 5 करोड़ रुपये से अधिक की कर चोरी के मामले संज्ञेय और गैर-जमानती होंगे तथा अधिकारी सीजीएसटी अधिनियम की धारा 69 के तहत वर्णित प्रक्रिया के मुताबिक गिरफ्तारी की कार्रवाई कर सकते हैं। इसलिए अधिनियम की धारा 132 (1) के साथ धारा 69 की संवैधानिक वैधता को अदालत में चुनौती दी गई है। रस्तोगी ने कहा कि जिन मामलों में गिरफ्तारी की जा रही है उनमें कानून की विवेचना की आवश्यकता है और वह कर चोरी का मामला नहीं है। इनमें गहराई से विश्लेषण करने की जरूरत है ताकि मामले में शामिल लोगों की व्यक्तिगत आजादी से समझौता नहीं हो जिसका जिक्र संविधान की अनुच्छेद 21 में किया गया है।
उन्होंने कहा, ‘गिरफ्तारी का प्रावधान केवल उन मामलों में लगाया जा सकता है जिनमें कर चोरी हुई है और न्याय निर्णयन की प्रक्रिया पूरी हो कर ली गई हो।
दिलचस्प है कि मानने के कारण का उल्लेख गिरफ्तारी की जीएसटी की शक्ति संबंधी प्रावधानों और अग्रिम जमानत के लिए भारतीय दंड संहिता की धारा 438 दोनों में की गई है। अत: कोई कठोर कदम उठाने से पहले  एक उचित संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता है।’
एक कारोबारी को कारावास से संबंधित मामले में ओडिसा उच्च न्यायालय के अवलोकन के मुताबिक फर्जी आईटीसी दावे के 2018-19 के दौरान कुल 11,251.3 करोड़ रुपये के 1,620 मामले दर्ज किए गए। अदालत ने कहा कि 2019-20 के दौरान 25 जून तक कुल 2,565.40 करोड़ रुपये के 535 मामले दर्ज हो चुके हैं। जीएसटी अधिकारियों ने धोखाधड़ी में लिप्त पाए जाने 140 लोगों को गिरफ्तार किया है जिनमें 5 चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं। ये गिरफ्तारियां नवंबर महीने के दूसरे हफ्ते से फर्जी इनवॉइस के खिलाफ चलाए गए देशव्यापी अभियान के तहत की गई हैं। राजस्व विभाग के सूत्रों ने कहा कि 4,839 उद्यमों के खिलाफ 1,488 मामले दर्ज हुए हैं।

First Published - December 20, 2020 | 11:23 PM IST

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