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Last Updated- December 07, 2022 | 3:00 PM IST

महंगाई से राहत दिलाने के मद्देनजर सब्सिडी दरों पर जरूरी खाद्य पदार्थों की उपलब्धता के लिए केंद्र सरकार 4,000 करोड़ रुपये का बाजार हस्तक्षेप कोष बनाने की योजना बना रही है।


केंद्र सरकार की ओर से जारी यह राशि ब्याज मुक्त होगी, जिसे राज्यों को मुहैया कराया जाएगा, ताकि वे खाद्यान्न, खाद्य तेल और अन्य वस्तुएं जरूरतमंदों को कम दरों पर मुहैया करा सकें। इस राशि के जरिए राज्य सरकार आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों के लिए बाजार से खाद्यान्न की खरीदारी और वितरण कर सकेगी।

हाल के दिनों में जरूरी खाद्य वस्तुओं के दामों में तेजी से सरकार पर जबरदस्त दबाव बना हुआ है। जिंसों और खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी की वजह से ही महंगाई दर 13 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है, जिससे सरकार को हर मोर्चे पर आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में अगले कुछ महीनों में होने वाले विभिन्न राज्यों की विधानसभा चुनावों और अगले साल लोकसभा चुनावों में सरकार को हार का मुंह न देखना पड़े, इसके लिए केंद्र की ओर से इस तरह के कदम उठाए गए हैं। दरअसल, इस कदम का मकसद आमलोगों की मदद के जरिए राजनीतिक हित साधना है।

बाजार हस्तक्षेप कोष की योजना केंद्रीय खाद्य मंत्रालय की ओर से पेश की गई है, जिस पर केंद्रीय सचिव विचार कर रहे हैं। अगर वहां से इसे हरी झंडी मिल गई, ऐसा माना जा रहा है कि कैबिनेट भी इसकी मंजूरी दे देगा। प्रस्तावित योजना के मुताबिक, गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 50 लाख से अधिक परिवार वाले राज्य को 150 करोड़ रुपये का लोन मिलेगा। वैसे राज्य जहां 10 से 50 लाख परिवार गरीबी रेखा के नीचे हों, उन्हें 100 करोड़ रुपये का कर्ज दिया जाएगा। इसी तरह जिस राज्य में 10 लाख से कम परिवार गरीबी रेखा के दायरे में आते हों, उन्हें 5 करोड़ रुपये का लोन मुहैया कराया जाएगा।

रकम ब्याज मुक्त होगी, जिसका भुगतान राज्यों को 10 साल बाद करना होगा। प्रस्ताव के मुताबिक, राशि का बड़ा हिस्सा चालू वित्त वर्ष में ही राज्यों को मिल जाएगा, जबकि शेष हिस्सा अगले वित्त वर्ष में मुहैया कराई जाएगी। इसके साथ ही राज्यों को भी गैर-योजना मद से कम से कम 25 फीसदी की हिस्सेदारी करनी होगी। इस राशि का उपयोग राज्य सरकार खाद्यान्नों की खरीदारी,भंडारण, ट्रांसपोर्टेशन और खुदरा बिक्री में कर सकेगी।

खास बात यह कि इस रकम का उपयोग सार्वजनिक वितरण प्रणाली में नहीं किया जाएगा। हालांकि इस कोष से अर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को महंगाई से राहत मिलने की उम्मीद है, लेकिन केंद्र सरकार के इस कदम से सरकारी खजाने पर अनावश्यक बोझ बढ़ने का खतरा भी है।

First Published - August 4, 2008 | 2:41 AM IST

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