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पूर्वोत्तर क्षेत्र के उद्योगों पर गहराए संकट के बादल

Last Updated- December 05, 2022 | 9:24 PM IST

केंद्रीय वित्त मंत्रालय के  पूर्वोत्तर राज्यों के उद्योगों लिए उत्पाद शुल्क में मिल रही छूट में कमी करने की हालिया अधिसूचना से व्यापक प्रभाव पड़ने के आसार हैं।


सरकार ने पूर्वोत्तर राज्य औद्योगिक और निवेश संवर्धन नीति (एनईआईआईपीपी) के तहत इन इलाकों में कर छूट का प्रावधान किया है।केंद्र सरकार ने 27 मार्च को जारी एक अधिसूचना से पर्सनल लेजर एकाउंट (पीएलए) पर मिलने वाले उत्पाद शुल्क छूट को हटा लिया है।

साथ ही दवाओं, सौंदर्य प्रसाधन और टॉयलेटरीज पर लगने वाले पीएलए पर कुल उत्पाद शुल्क का 56 प्रतिशत छूट मिलेगा। यह दरें विभिन्न उद्योगों के लिए भिन्न-भिन्न होंगी।फेडरेशन आफ इंडस्ट्रीज ऐंड कामर्स आफ नार्थ ईस्ट रीजन (एफआईएनईआर) के अध्यक्ष आरएस जोशी ने कहा कि , ‘सरकार की इस अधिसूचना का असर कमोवेश हर उद्योग पर पड़ेगा। यह विभिन्न उद्योगों पर अलग-अलग होगा।’

बहरहाल उन्होंने कहा कि यह बताना मुश्किल है कि किस क्षेत्र के उद्योग पर कितना असर पड़ने जा रहा है। इस समय यही कहा जा सकता है कि पूर्वोत्तर की हर यूनिट पर इसका प्रभाव पड़ेगा।अब तक पूर्वोत्तर के उद्योगों को 10 प्रतिशत से लेकर 50 प्रतिशत तक उत्पाद शुल्क में छूट मिलती थी। यह उनके उत्पाद पर निर्भर था। अब अनुमान लगाया जा रहा है कि पहले की तुलना में उद्योगों का संचालन मुश्किल और खर्चीला होगा।

यह कुछ यूनिटों में 50 प्रतिशत तक हो सकता है। कलरटेक मेघालय प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक विकास जैन का कहना है कि ‘जो कंपनियां एफएमसीजी उत्पाद के क्षेत्र में काम करने वाली कंपनियों जैसे गोदरेज सारा-ली, रेवलॉन, पार्क एवेन्यू आदि के उत्पाद इस अधिसूचना कै बाद 30 प्रतिशत महंगे हो जाएंगे।’

जैन ने यह भी कहा, ‘अधिकतम खुदरा मूल्य देने वाली हम जैसी कंपनियों के लिए अचानक दाम बढ़ाना मुश्किल होगा। उत्पाद की कीमतें बढ़ने से हमें यूनिटें बंद करने पर मजबूर होना पड़ेगा।’ उन्होंने कहा कि 6 यूनिटें और हैं जो हमारे संपर्क में हैं और अगर नया अधिनियम लागू होता है, तो वे यूनिटें बंद करने पर विचार कर रही हैं। उन्होंने आगे कहा कि गोदरेज सारा ली (जीएसएल) और रेवलान इस क्षेत्र से पलायन करने की योजना बना रही हैं। इस नोटीफिकेशन के बाज जीएसएल का 20 करोड़ रुपये के निवेश से इंटिग्रेटेड कांप्लेक्स बनाने की योजना टल गई है।

रेवलान भी अपनी विस्तार योजनाओं पर फिर से विचार कर रहा है।जैन ने कहा, ‘अगर कंपनियों को यहां उत्पाद बनाने में कीमत का लाभ नहीं मिलता तो वे उत्तरांचल और हिमांचल जैसे राज्यों का रुख कर सकती हैं। इस तरह से स्थानीय उत्पाद पर बुरा प्रभाव पड़ेगा।’ उन्होंने कहा कि यूनिटों के बंद होने के साथ बड़ी कंपनियों का पलायन शुरू हो जाएगा।

एसआरडी ग्रुप आफ कंपनीज के डायरेक्टर प्रद्युत भुइयां ने कहा कि इस इलाकों में प्रसंस्करण उद्योग के उत्पाद की कीमतों में कम से कम 25-30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो जाएगी। अगर तत्काल उत्पादन बंद नहीं किया जाता तो इस अधिसूचना के बाद से कंपनियों के संचालन पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। 

उन्होंने कहा कि इस समस्या से निजात पाने के सूत्रों की तलाश की जा रही है जिसमें डाउनसाइजिंग जैसी रणनीति शामिल है।अनुमान लगाया जा रहा है कि इस अधिनियम के लागू होने पर इस इलाके के उद्योगों पर 700 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा।

इसका सीधा असर स्थानीय उद्यमशीलता पर पड़ेगा और उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार को धक्का लगेगा। जोशी ने कहा कि सभी लोग निवेश की योजनाएं बना रहे थे लेकिन अब सबको नए सिरे से सोचना पडेग़ा।इस बात का भी भय बना हुआ है कि बड़ी एफएमसीजी कंपनियों जैसे हिंदुस्तान यूनीलीवर के  उत्पाद संयंत्र हिमांचल प्रदेश और उत्तरांचल में हैं और निकट भविश्य में वे अपने पूर्वोत्तर की इकाइयों को बंद करके उन राज्यों में ही विस्तार की योजनाएं बना लेंगे। अब कंपनियों को ये दो राज्य निवेश के लिए ज्यादा सुविधाजनक नजर आ रहे हैं।

हालांकि हिंदुस्तान यूनीलीवर ने नोटीफिकेशन के बाद उत्पन्न हुई स्थिति और कंपनी की विस्तार योजना के बारे में ई-मेल से पूछे गए बिजनेस स्टैंडर्ड के सवालों का कोई जवाब नहीं दिया। एफआईएनईआर के शुरुआती अध्ययन में यह तथ्य सामने आया है कि अधिसूचना के लागू होने के बाद गैस क्रैकर प्रोजेक्ट और हाशिये पर चल रहे उद्योगों को इस अघिसूचना के लागू होने का सीधा असर पड़ेगा।

उम्मीद की जा रही है कि सिक्किम की दवा कंपनियों पर भी सीधा असर पड़ेगा। कुछ कंपनियां उत्पाद शुल्क में छूट पाने के लोभ में इस इलाके में बड़ी परियोजनाओं पर काम कर रही थीं। इस मामले पर कानफेडरेशन आफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) कोई आंकड़ा नहीं दे सका।

First Published - April 14, 2008 | 10:28 PM IST

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