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रिफंड दरों पर फिर से विचार कर सकता है वाणिज्य मंत्रालय

Last Updated- December 12, 2022 | 6:02 AM IST

वाणिज्य विभाग हाल में घोषित आरओडीटीईपी (रेमिशन आफ ड्यूटीज ऐंड टैक्सेज आन एक्सपोर्टेड प्रोडक्ट्स) की रिफंड दरों पर फिर से विचार कर सकता है। सरकार की ओर से गठित समिति ने इसकी सिफारिश की है।
इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने कहा कि आरओडीटीईपी के लिए 30,000 करोड़ रुपये की जरूरत है, जबकि केंद्रीय बजट में 13,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने पूर्व गृह एवं वाणिज्य सचिव जीके पिल्लै की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों की जांच की है।
आरओडीटीईपी की घोषणा सितंबर 2019 में की गई थी। इसका मकसद भारत से होने वाली वाणिज्यिक वस्तुओं के निर्यात पर चल रहे प्रोत्साहनों का विकल्प देना था, क्योंकि इसे लेकर विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने नियम में कहा था कि यह योजना वाणिज्य संगठन के प्रावधानों का उल्लंघन करती है क्योंकि यह योजना बड़े पैमाने पर वस्तुओं को निर्यात सब्सिडी मुहैया करा रही है।
नई योजनाा में निर्यातकों के इनपुट पर लगने वाले केंद्र, राज्य व स्थानीय कर का रिफंड करना है। इन करों को अब तक रिफंड नहीं किया गया है। यह योजना 1 जनवरी 2021 से शुरू होनी थी, लेकिन सरकार को अभी रिफंड दर अधिसूचित करना है।
दिसंबर में वित्त मंत्रालय ने कहा था, ‘अधिसूचित दरें, अधिसूचना की तिथि से परे, 1 जनवरी 2021 से प्रभावी होंगी और निर्यात के लिए पात्र सभी वस्तुओं पर लागू होंगी।’
उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा, ‘जीके पिल्लै समिति ने योजना के मानकों के मुताबिक विचार किया है। आरओडीटीईपी योजना के मुताबिक दरों की सिफारिश को लागू करने के लिए सालाना 30,000 करोड़ रुपये बजट की जरूरत पड़ सकती है। बहरहाल अगर इसे 13,000 करोड़ रुपये के मुताबिक किया जाए तो इसका मतलब यह भी है कि कुछ सेक्टर के लिए दरें ज्यादा और कुछ के लिए कम हो सकती हैं। दरों को अधिसूचित करने के पहले वाणिज्य मंत्रालय इस मसले पर अंतिम फैसला लेगा और अगर जरूरी हुआ तो दरों में बदलाव पर विचार कर सकता है।’
निर्यातकों ने सरकार से अनुरोध किया है कि वह जल्द आरओडीटीईपी दरें अधिसूचित करे और योजना के लिए जरूरी फंड जारी करे। फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष शरद कुमार सराफ ने हाल ही में कहा था कि इससे कारोबारियों व उद्योग के दिमाग में बनी अनिश्चितता दूर होगी और विदेशी खरीदारों से वे नए कॉन्ट्रैक्ट कर सकेंगे।  
विश्लेषकों का कहना है कि योजना के लिए आवंटित बजट बहुत कम है, इसलिए आरओडीटीईपी की दरें एमईआईएस योजना की तुलना में बहुत कम होंगी या इसमें शामिल किए जाने वाले सामान या सेक्टर की संख्या कम की जाएगी।

First Published - April 12, 2021 | 12:13 AM IST

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