भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने कहा है कि ‘जलवायु के झटके’ खाद्य महंगाई और कुल मुद्रास्फीति के लिए जोखिम बन सकते हैं, मगर रिजर्व बैंक ने कुल मिलाकर देश की आर्थिक वृद्धि का परिदृश्य बेहतर बने रहने का अनुमान लगाया है।
बैंकिंग नियामक ने वाणिज्यिक बैंकों को ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव और मार्जिन में सुस्ती के कारण से बैंक की बही के जोखिमों से आगाह किया है।
गुरुवार को वित्त वर्ष 2023-24 के लिए जारी सालाना रिपोर्ट में केंद्रीय बैंक ने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला का दबाव कम होने, समग्र महंगाई व्यापक रूप से कम होने और दक्षिण पश्चिमी मॉनसून सामान्य से बेहतर रहने के शुरुआती संकेतों से वित्त वर्ष 2024-25 के लिए मुद्रास्फीति को लेकर परिदृश्य बेहतर नजर आ रहा है।
रिजर्व बैंक ने कहा, ‘हालांकि, जलवायु संबंधी झटकों की बढ़ती घटनाएं खाद्य महंगाई और कुल मिलाकर मुद्रास्फीति को लेकर उल्लेखनीय रूप से अनिश्चितता पैदा कर रही हैं। ’ रिजर्व बैंक ने कहा कि 2023-24 में समग्र महंगाई दर 1.3 प्रतिशत अंक गिरकर सालाना औसत के हिसाब से 5.4 प्रतिशत रह जाएगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि खासकर दक्षिण भारत में जलाशयों का स्तर कम रहने और 2024-25 के शुरुआती महीनों में औसत से अधिक तापमान रहने के कारण स्थिति पर लगातार नजर रखने की जरूरत है।
रिजर्व बैंक ने कहा, ‘कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय दाम में उतार चढ़ाव, भू-राजनीतिक तनाव बने रहने और वैश्विक वित्तीय बाजारों में उतार चढ़ाव से भी मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम है।’
वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जोखिम समायोजन के साथ उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। खाद्य महंगाई को लेकर चिंता जताते हुए रिजर्व बैंक ने कहा कि बार-बार आपूर्ति संबंधी कठिनाइयों के कारण इसका जोखिम बना हुआ है, जिसके कारण इससे प्रमुख महंगाई दर के लक्ष्य के साथ मिलान करने में बाधा आ रही है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि समग्र महंगाई घटकर लक्ष्य की ओर आ रही है, लेकिन खासकर ग्रामीण इलाकों में खपत बढ़ने से इसमें तेजी आएगी।
केंद्रीय बैंक ने इस बात पर जोर दिया है कि रीपो और रिवर्स रीपो के माध्यम से नकदी प्रबंधन को लेकर उसका रुख चुस्त व लचीला बना रहेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘वृहत आर्थिक बुनियादी अवधारणा की निरंतर मजबूती, मजबूत वित्तीय व कॉर्पोरेट क्षेत्र व लचीले बाहरी क्षेत्र के हिसाब से भारतीय अर्थव्यवस्था का भविष्य उज्ज्वल बना हुआ है।’ रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष2025 के लिए सकल घरेलू उत्पाद में वास्तविक वृद्धि 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है, जिसमें जोखिम का ध्यान रखा गया है। इसमें कहा गया है कि सरकार पूंजीगत व्यय जारी रखने का रुख बनाए हुए है, साथ ही राजकोषीय घाटे को कम करने पर भी ध्यान दे रही है। साथ ही उपभोक्ता व कारोबारी आशावाद से निवेश व खपत मांग बेहतर रहने का अनुमान है।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘केंद्र सकार के विकास प्रेरित पूंजीगत व्यय के 2024-25 में भी सतत रहने की उम्मीद है। इसमें से आधी से अधिक उधारी पूंजीगत परिव्यय के लिए होगी।’
इसमें राज्यों के लिए राजकोषीय नजरिया अनुकूल है और पूंजीगत व्यय को बढ़ाने के लिए पर्याप्त राजकोषीय इंतजाम किए गए हैं।
रिपोर्ट में चेताया गया कि भारत की अर्थव्यवस्था को तेजी से एआई/एमआई तकनीकें अपनाने और पर्यावरण संबंधित दिक्कतों के कारण मध्यम अवधि की नकारात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।