मंत्रिमंडल इस महीने सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (पीएसयू) के बहुप्रतीक्षित निजीकरण की नीति पर विचार कर सकता है। इससे रणनीतिक और गैर रणनीतिक क्षेत्रों में सरकारी मालिकाना वाली इकाइयों की संख्या कम करने का खाका तैयार होगा।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि केंद्र का बजट आने के पहले ही इस नीति पर मंत्रिमंडल द्वारा विचार किए जाने की संभावना है और उसके बाद इसकी घोषणा हो सकती है।
बजट 1 फरवरी को पेश किए जाने की संभावना है।
सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यम की नीति में सरकार की निजीकरण की व्यापक योजना शामिल होगी। इसे निवेश एवं सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग द्वारा जल्द ही अंतिम रूप दिया जाएगा और कैबिनेट सचिवालय जल्द ही इसे आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल की समिति के सामने विचार करने के लिए एजेंडे में शामिल करेगा।
बिजली, उर्वरक, दूरसंचार, रक्षा, बैंकिंग व बीमा सहित करीब 18 क्षेत्रों को रणनीतिक क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत किए जाने की संभावना है। इनका श्रेणीकरण खनन व अन्वेषण, विनिर्माण व प्रसंस्करण और सेवा के रूप में किया जा सकता है।
इन क्षेत्रों में सरकार सिर्फ एक से चार के बीच सरकारी कंपनी रखेगी और शेष का निजीकरण कर दिया जाएगा या एक होल्डिंग कंपनी के तहत विलय कर दिया जाएगा।
जिन क्षेत्रों को गैर रणनीतिक क्षेत्र में रखा जाएगा, उनमें कोई सरकारी कंपनी नहीं होगी। उपरोक्त उल्लिखित अधिकारी ने कहा कि गैर रणनीतिक क्षेत्रों में कंपनियों का निजीकरण अलग-अलग मामलों के आधार पर किया जाएगा। सभी क्षेत्रों को निजी क्षेत्र के लिए खोलने के लिए समग्र नीति आत्मनिर्भर भारत पैकेज का हिस्सा था, जिसकी घोषणा वित्त मंत्री ने पिछले साल मई में की थी। चालू वित्त वर्ष में सरकार ने भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन, शिपिंग कॉर्पोरेशन आफ इंडिया, कंटेनर कॉर्पोरेशन आफ इंडिया और एयर इंडिया के निजीकरण की योजना बनाई है। इनमें कुछ का निजीकरण अगले साल ही हो सकेगा।