तमाम अनुमानों के विपरीत वर्ष 2008-09 के लिए कपास के उत्पादन में गिरावट की आशंका जाहिर की जा रही है। दूसरी तरफ निर्यात की रफ्तार को देखते हुए देश को 7000 करोड़ रुपये तक नुकसान हो सकता है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की मांग और कीमत में कमी के कारण इसके निर्यात में गत दो महीनों के दौरान 90 फीसदी से अधिक की गिरावट दर्ज की गयी है।
निर्यात मामले में ऐसी हालत जारी रहने पर पिछले साल के मुकाबले इस साल 10 फीसदी से अधिक निर्यात होने की संभावना नजर नहीं आ रही है।
वर्ष 2006-07 के दौरान 58 लाख बेल (1 बेल = 170 किलोग्राम) कपास का निर्यात किया गया था, जिससे देश को 5,232 करोड़ रुपये प्राप्त हुए। वर्ष 2007-08 के दौरान कुल 85 लाख बेल का निर्यात किया गया और वर्ष 2006-07 को ही निर्यात कीमत का आधार मान लें, तो यह निर्यात 7,668 करोड़ रुपये का रहा।
लेकिन वर्ष 2008-09 के गत तीन महीनों में मात्र 1.15 लाख बेल का ही निर्यात किया गया है। गत दो महीनों में यह निर्यात मात्र 75,000 बेल का रहा, जबकि पिछले साल की समान अवधि के दौरान कपास का कुल निर्यात 20 लाख बेल का रहा। यानी कपास के निर्यात में 95 फीसदी तक की गिरावट हो चुकी है।
हालांकि वर्ष 2008-09 के लिए 50 लाख बेल कपास निर्यात का अनुमान लगाया गया है। कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त से नवंबर के बीच कुल 5.5 लाख बेल कपास के निर्यात का ऑर्डर मिला था,
लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार की कीमत में घरेलू बाजार के मुकाबले आयी गिरावट से इस दौरान मात्र 1.15 लाख बेल कपास का निर्यात किया जा सका।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कपास की कीमत भारत के मुकाबले करीब 1.50 रुपये प्रति किलोग्राम कम है। फिलहाल सबसे अधिक निर्यात बांग्लादेश में किया जा रहा है।
कॉटन एडवाइजरी बोर्ड (सीएबी) ने गत 16 अक्टूबर की अपनी बैठक में वर्ष 2008-09 के लिए 322 लाख बेल कपास के उत्पादन की संभावना जाहिर की थी।
जबकि अब गुजरात, महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश की मंडियों में कपास की आवक मंल 50 फीसदी तक की कमी को देखते हुए 285-290 लाख बेल कपास के उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है। वर्ष 2007-08 के दौरान देश भर में 310 लाख बेल कपास का उत्पादन हुआ।
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीएआई) की व्यापार शाखा के मुताबिक , महाराष्ट्र में कपास की फसल में कीड़े लगने की भी खबर मिल रही है। कपास की बोआई के दौरान बारिश में देरी के कारण भी इसके उत्पादन पर असर पड़ा है।
कपास के निर्यात में आई 95 फीसदी की गिरावट
सात हजार करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान