G20 के दौरान नई दिल्ली घोषणा पत्र पर सहमति जताने के बाद क्रिप्टो एसेट के रेगुलेशन को लेकर भी चर्चा बढ़ गई है। आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने रविवार को संकेत दिया कि क्रिप्टो एसेट पर IMF और FSB की तरफ से सिंथेसिस नोट का नई दिल्ली घोषणापत्र में स्वागत किया गया और इसके बाद ऐसी उम्मीद है कि भारत क्रिप्टो एसेट्स के रेगुलेशन पर व्यापक परामर्श और चर्चा कर सकता है।
सेठ ने कहा, ‘चूंकि क्रिप्टो-करेंसी पर बहुपक्षीय स्तर पर सहमति है और नेताओं का समर्थन है, इसलिए अब हम इसका अध्ययन करेंगे और उसके अनुसार अपनी पॉलिसी बनाएंगे।’
हालांकि, भारत क्रिप्टो परिसंपत्तियों (crypto assets ) पर वैश्विक सहमति का पालन करेगा जो G20 से परे है, यानी भारत उन देशों के साथ भी इसपर चर्चा करेगा जो G20 के सदस्य देश नहीं हैं। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘अकेले एक देश, चाहे वे कोई भी रास्ता अपनाएं, प्रभावी नहीं होगा। हम जो कुछ भी करते हैं उसका मतलब वैश्विक समुदाय (global community) से होता है। अब हमारे सिस्टम में चर्चा होगी और यह आसान नहीं है।’
क्रिप्टो पर IMF-FSB सिंथेसिस पेपर क्रिप्टो एसेट्स के व्यापक आर्थिक जोखिमों को सामने रखते हुए ‘एक न्यूनतम आधार रेखा ( minimum baseline ) स्थापित करना चाहता है जिसे न्यायक्षेत्रों (jurisdictions ) को पूरा करना चाहिए, और अधिकतम न्यायक्षेत्रों में आम मुद्दों के सेट को संबोधित करना है।’
सरकारी अधिकारी ने एक दूसरे सरकारी अधिकारी के हवाले से बताया कि ‘अगर कोई देश सख्त रेगुलेशन चाहता है, तो वह क्रिप्टो से देखे जाने वाले जोखिम के आधार पर अधिक प्रतिबंधात्मक रेगुलेशन (restrictive regulation ) तैयार कर सकता है। अगर सभी देश समान रेगुलेशन पर सहमत हों तो कोई मध्यस्थता नहीं होगी।’
सिंथेसिस पेपर में कहा गया था कि सभी क्रिप्टो-एसेट गतिविधियों को अवैध बनाने वाले व्यापक प्रतिबंध महंगे पड़ सकते हैं और साथ ही तकनीकी रूप से लागू करने की भी मांग कर सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रतिबंध लगाने का निर्णय ‘आसान विकल्प’ नहीं है, साथ ही यह भी कहा गया है कि अस्थायी प्रतिबंध मजबूत व्यापक आर्थिक नीतियों का विकल्प नहीं होना चाहिए।
कार्यान्वयन के रोडमैप के साथ IMF-FSB की सिफारिशों पर 9-15 अक्टूबर से विश्व बैंक (World Bank ) और IMF की 2023 वार्षिक बैठकों के मौके पर मोरक्को के माराकेच में होने वाली G20 वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों की चौथी बैठक में चर्चा की जाएगी।
कई नेताओं, सरकारी अधिकारियों ने क्रिप्टो एसेट से जुड़े मुद्दों के बारे में बात की और IMF-FSB सिंथेसिस पेपर पर सर्वसम्मति से स्वीकृति दी गई।
अधिकारी ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि इसे तेजी से, तेजी से और व्यापक तरीके से कैसे लागू किया जाए, इस पर काफी चर्चा होगी। हमारे पास अपना आगे का रास्ता तय करने के लिए एक अच्छी रूपरेखा है। बुनियाद तैयार है, उससे आगे हमें कितना आगे जाना है। यह हमें आने वाले महीनों में तय करना है और फिर फैसला करना है।’
पूर्व डीईए सचिव सुभाष गर्ग ने कहा कि भारत ने कम से कम सार्वजनिक अभिव्यक्ति में क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगाने के विचार को स्पष्ट रूप से त्याग दिया है। गर्ग ने कहा, ‘भारत किसी भी स्पष्ट प्रतिबंध के बजाय स्पष्ट रूप से बैंकिंग सिस्टम तक पहुंच की अनुमति नहीं दे सकता है। वे इनडाइरेक्ट टैक्स सिस्टम का विस्तार कर सकते हैं। भारत भी हमेशा कह सकता है कि नियम अभी भी विश्व स्तर पर बहस का विषय हैं।’
यह कहते हुए कि प्रतिबंध एक आसान विकल्प नहीं है, सिंथेसिस पेपर ने क्रिप्टो एसेट्स से जुड़े रिस्क को सामने रखते हुए यह भी सिफारिश की कि इसे आधिकारिक मुद्रा या कानूनी निविदा (legal tender ) का दर्जा नहीं दिया जाना चाहिए और केंद्रीय बैंकों को क्रिप्टो परिसंपत्तियों को अपने आधिकारिक रिजर्व में रखने से भी बचना चाहिए। वे मौद्रिक और वैश्विक वित्तीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा करते हैं।